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नवंबर, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

देवता आस्था स्वरूप चढ़ाई घंटिया अर्जीद्वारा त्वरितन्याय चितैई मंदिर अल्मोड़ा

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 देवता आस्था स्वरूप चढ़ाई घंटिया  अर्जीद्वारा त्वरितन्याय चितैई मंदिर अल्मोड़ा  गोलु जी को न्याय का देवता भी कहा जाता है। माना जाता है कि जिस किसी के साथ राज दरबार में गलत न्याय हुआ हो, न्याय में भेद-भाव हो गया हो तो वह इनके देव दरबार में अपनी करुण पुकार  लिखकर इनके समक्ष करता है।  इसी कारण कहते है गोलु देवता को दी गई अर्जी व्यर्थ नहीं जाती और अन्याय करने वाले से अवश्य राहत मिलती है। माना जाता है कि गोल्ल जी जब राजा थे तब वह राज्य में घूम-घूम कर जन अदा लत लगाकर त्वरित न्याय दिया करते थे। आज भी लोक अदालतों के माध्यम से जनता को तुरन्त न्याय दिलाने का प्रयास किया जाता है। गोल्ल जी इस जरूरत को समझते हुए लोक अदालतों का न्याय कार्य आरम्भ कर चुके थे। चितई ग्राम स्थित इनका यह प्रसिद्ध मंदिर लोक आस्थाओं का केन्द्र है चम्पावत में इनका पुराना मंदिर है। एक मंदिर घोड़ाखाल में भी है।  लेकिन चितई का ग्वेल मंदिर आस्था का अद्भुत केन्द्र है। इस मंदिर में भक्तजनों द्वारा चढ़ाई गई घंटियां इस विश्वास की प्रतीक हैं कि ग्वेल जी लोगों की मनो कामनाओं को अवश्य पूरा करते हैं। इनके दरबार में सच्चे हृदय से आने वाले क

उत्तराखंड कि कुछ खूबसूरत सीन (फोटोग्राफर)

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केदरनाथ मँदिर मे सुर्य उदय  बोट हाउस नैनीताल नयना देवी मंदिर, नैनीताल

गोरिल की गढ़वाली जागर कथा,भाग- 1

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  गोरिल की गढ़वाली जागर कथा,भाग- 1 न्याय देवता गोरिल की अनसुनी कथा   बयाली के श्मशान घाट में कैसे हुआ                           गोरिया और कलुवा भाइयों का जन्म।   हिमालय के ग्लेशियर में कैसे हुई                      राजा झालूराय की दर्दनाक मौत? गोरिल की गढ़वाली जागर कथा,भाग- 1 आज हम इस पोस्ट के द्वारा गोरिल देवता की लोकगाथा के दूसरे भाग की कथा पर चर्चा कर रहे हैं। मित्रों को इस कथा का बेसब्री से इंतजार है।किंतु इसी दौरान उत्तरायणी और गणतंत्र दिवस से सम्बंधित जरूरी पोस्टों के कारण दूसरे भाग की शेष कथा को देने में कुछ विलम्ब हो गया है। मैंने दिनांक 18 जनवरी को पोस्ट की गई प्रथम भाग की कथा में बताया है कि गढ़वाल की जागर कथा में न्याय देवता का गुणगान 'पृथीनाथ को पाट' के रूप में बहुत श्रद्धाभाव से किया जाता है। कुमाऊं की तरह गढ़वाल में भी जन सामान्य के बीच ग्वेल देवता या गोरिल की पूजा और जागर लगाने की परंपरा  सदियों से चली आ रही है किंतु कुमाऊं अंचल की तरह यह ज्यादा लोकप्रिय नहीं है।कुमाऊं और गढ़वाल की गोरिल कथा की कई घटनाओं में भी अंतर पाया जाता है।वर्त्तमान कथा की जो हम चर्चा यहां कर रह

मणिमहेश कैलाश पर्वत यहां नीलमणि के रूप में दर्शन

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मणिमहेश कैलाश पर्वत यहां नीलमणि के रूप में दर्शन देते हैं देवों के देव महादेव ऐसे मे प्रदूषण कहा  1. प्रकृति का चमत्कार होते है नीलमणि के दर्शन यहा मणिमहेश में कैलाश पर्वत  के पीछे जब सूर्य उदय होता है तो सारे आकाश मंडल में नीलिमा छा जाती है और किरणें नीले रंग में निकलती है और पर्वत शिखर नील मणि की तरह चमकता है इसीलिये इसे मणिमहेश कैलाश पर्वत कहा जाता है। 2. पांगी व जांस्कर पर्वत शृंखलाओं से घिरा यह कैलाश पर्वत मणिमहेश कैलाश के नाम से जाना जाता है। 3. चंबा को शिवभूमि के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि भगवान शिव इन्हीं पहाड़ों में निवास करते हैं। 4. महिलाएं गौरीकुंड में करती हैं स्नान...गौरीकुंड पहुंचने पर प्रथम कैलाश शिखर के दर्शन होते हैं। गौरीकुंड माता गौरी का स्नान स्थल है।  5. होते हैं नीलमणि के दर्शन मणिमहेश में कैलाश पर्वत के पीछे जब सूर्य उदय होता है तो सारे आकाश मंडल में नीलिमा छा जाती है और किरणें नीले रंग में निकलती है। पर्यावरण_की_रक्षा_सबकी_सुरक्षा

मणिमहेश कैलाश पर्वत यहां नीलमणि के रूप में दर्शन देते हैं देवों के देव महादेव

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मणिमहेश कैलाश पर्वत यहां नीलमणि के रूप में दर्शन देते हैं देवों के देव महादेव 1. पांगी व जांस्कर पर्वत शृंखलाओं से घिरा यह कैलाश पर्वत मणिमहेश कैलाश के नाम से जाना जाता है। 2. मणिमहेश झील हिमाचल प्रदेश में प्रमुख तीर्थ स्थान में से  है।झील पर एक मेला आयोजित किया जाता है, जो कि हजारों लाखों तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है, जो पवित्र जल में डुबकी लेने के लिए इकट्ठा होते हैं। 3. चंबा को शिवभूमि के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि भगवान शिव इन्हीं पहाड़ों में निवास करते हैं। 4. महिलाएं गौरीकुंड में करती हैं स्नान... गौरीकुंड पहुंचने पर प्रथम कैलाश शिखर के दर्शन होते हैं। गौरीकुंड माता गौरी का स्नान स्थल है।  5 होते हैं नीलमणि के दर्शन मणिमहेश में कैलाश पर्वत के पीछे जब सूर्य उदय होता है तो सारे आकाश मंडल में नीलिमा छा जाती है और किरणें नीले रंग में निकलती है।

मां अनसूया को पुत्रदायिनी के रूप में पूजा

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 जय माँ अनुसुया देवी, आशीर्वाद देई, सब थें राजी खुशी राखी, 45 सालों बाद देवरा पर जायेगी माँ अनुसुया, विजयदशमी पर चमोली जनपद की मंडल घाटी के नौ से अधिक गांवों खल्ला, मंडल, सिरोली, कोटेश्वर, बणद्वारा, बैरागना, भदाकोटी, कुनकुली, मंडोली तथा अनुसूया गांव की इष्ट देवी है माँ अनुसुया। 45 साल बाद इस साल मां अनुसुया देवरा यात्रा पर निकलेगी। 8 अक्तूबर को विजयदशमी के पावन पर्व पर आगामी 9 महीने के लिए माता अनुसूया देवी की उत्सव डोली देवरा यात्रा पर निकलेगी और अपनी ध्याणियों से मिलने उनके ससुराली गांव जायेगी। 1973-74 के लंबे अंतराल के बाद इस बार देवरा यात्रा निकलेगी। इस दौरान देव डोली केदारनाथ, बदरीनाथ की यात्रा पर भी जाएगी। इसके लिए मंडल घाटी में जोरदार तैयारियां शुरू हो गई हैं। देवरा यात्रा के बाद मंडल में महाकुंभ का भी आयोजन होगा। इस देवरा यात्रा में  के लोगों की सामूहिक भागीदारी रहेगी। मां अनसूया को पुत्रदायिनी के रूप में पूजा जाता है! पुराणों में मां अनुसूया को सती शिरोमणि का दर्जा प्राप्त है। अनसूया मंदिर के निकट अनसूया आश्रम में त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु व महेश) ने अनुसूया माता के सतीत्व की

भारत के ऐतिहासिक एवं दर्शनीय स्थल

भारत के ऐतिहासिक एवं दर्शनीय स्थल  अमरनाथ गुफा➖काश्मीर  सूर्य मन्दिर (ब्लैक पगोडा)➖ कोणार्क  वृहदेश्वर मन्दिर➖तन्जौर  दिलवाड़ा मन्दिर, माउंट आबू  आमेर दुर्ग➖जयपुर  इमामबाड़ा➖ लखनऊ  वृन्दावन गार्डन➖मैसूर  चिल्का झील➖ओड़ीसा  अजन्ता की गुफाएँ➖औरंगाबाद  मालाबार हिल्स➖ मुम्बई  गोमतेश्वर मन्दिर श्रवणबेलगोला➖ कर्नाटक  बुलन्द दरवाजा➖ फतेहपुर सीकरी  अकबर का मकबरा➖सिकन्दरा, आगरा  जोग प्रपात➖मैसूर  शान्ति निकेतन➖ कोलकाता  रणथम्भौर का किला➖सवाई माधोपुर  आगा खां पैलेस➖पुणे  महाकाल का मन्दिर➖उज्जैन  कुतुबमीनार➖दिल्ली  एलिफैंटा की गुफाएँ➖ मुम्बई  ताजमहल➖ आगरा  इण्डिया गेट➖ दिल्ली  विश्वनाथ मन्दिर➖वाराणसी  साँची का स्तूप➖भोपाल  निशात बाग➖श्रीनगर  मीनाक्षी मन्दिर➖मदुरै  स्वर्ण मन्दिर➖अमृतसर  एलोरा की गुफाएँ➖औरंगाबाद  हवामहल➖जयपुर  जंतर-मंतर➖दिल्ली  शेरशाह का मकबरा➖ सासाराम  एतमातुद्दौला➖आगरा  सारनाथ➖ वाराणसी के समीप  नटराज मन्दिर➖ चेन्नई  जामा मस्जिद➖ दिल्ली  जगन्नाथ मन्दिर➖ पुरी  गोलघर➖ पटना  विजय स्तम्भ➖चित्तौड़गढ़  गोल गुम्बद➖बीजापुर  गोलकोण्डा➖हैदराबाद  गेटवे ऑफ इण्डिया➖ मुम्बई  जलमन्दिर➖ पावापुरी 

श्री1008 बाबा हेड़ाखान महाराज के नाम से विख्यात

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 बाबा हेडाखान मंदिर श्वेत संगमरमर से निर्मितभव्य शिव मंदिर है उत्तराखन्ड मान्यतानुसार शिव के अवतार बाबा श्री श्री श्री1008 बाबा हेड़ाखान महाराज के नाम से विख्यात हैं  1.  प्रसिद्ध अभिनेता शम्मीकपूर बाबाजी को अपना गुरु और इस आश्रम को अपना मायका मानते थे। उन्होने अपने बड़े पुत्र का विवाह इसी आश्रम मे करवाया था। यहा का भव्य शिव मंदिर ,  आश्रम, अन्य सभी मंदिरो, प्राकृतिक दृश्यो, और यहा से दिखने वाली पर्वत श्रृखंलाओ की भव्य एवं शानदार चित्र ऐवं वीडियो बना कर योरपीय देशो मे प्रचारित किया। तब से यहा विदेशी भक्तो की मानो बाढ सी आ गई। प्राप्त दान से आश्रम का विस्तार किया गया और बाबाजी को अंतर्राष्टीय भी ख्याती मिली।  2.  हेड़ाखान मंदिर हल्द्वानी उत्तराखण्ड मे स्थित है। एक अन्य मंदिर रानीखेत से क़रीब चार या पांच किलोमीटर दूर हिमालय की सुरम्य वादियों में एक रमणीक पहाड़ी पर स्थित हैं । हल्द्वानी मे भी आश्रम है। 3.  हिमालय से इस मंदिर नजारा बड़ा ही शानदार नजर आता हैं , यदि मौसम साफ़ हो तो सैकड़ों किलोमीटर दूर हिमालय की बर्फ से ढकी मुख्य चोटियाँ जैसे पंचचूली, नंदादेवी, चौखम्बा आदि साफ नजर आती हैं ।  4

केदारनाथ की चोटियों में सरस्वती नदी के किनारे प्रसिद्ध शक्ति सिद्धपीठ श्री कालीमठ

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 केदारनाथ की चोटियों  में सरस्वती नदी के किनारे  प्रसिद्ध शक्ति सिद्धपीठ श्री कालीमठ #Pahadi_People कालीमठ ....  1.  उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के केदारनाथ की चोटियों  में सरस्वती नदी के किनारे  प्रसिद्ध शक्ति सिद्धपीठ श्री कालीमठ मंदिर स्थित है।  2.  कालीमठ मंदिर हिंदू “देवी काली” को समर्पित है। 3. यह मंदिर ऊखीमठ और गुप्तकाशी के निकट ही अवस्थित है। यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल भी है। 4.  कालीमठ मंदिर  में कोई मूर्ति नहीं है , मंदिर के अन्दर भक्त कुंडी की पूजा करते है , यह कुंड रजतपट श्री यन्त्र से ढका रहता है 5.  नवरात्री में अष्ट नवमी के दिन इस कुंड को खोला जाता है और दिव्य देवी को बाहर ले जाया जाता है और पूजा केवल मध्यरात्रि में की जाती है, वह भी  केवल मुख्य पुजारी की उपस्थिति मे ही सम्भव है। 6.   कालीमठ में महाकाली,  महालक्ष्मी और  महासरस्वती के तीन भव्य मंदिर है।

चारों धाम का प्रवेश द्वार 1360 फीट ऊँचाई पर स्थित पवित्र तीर्थस्थल

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 1360 फीट ऊँचाई पर स्थित पवित्र तीर्थस्थल चारों धाम का प्रवेश द्वार भी है अतुल्य ऋषिकेश ऋषिकेश का शांत वातावरण कई विख्यात आश्रमों का घर है। उत्तराखण्ड में समुद्र तल से #1360फीट की ऊंचाई पर स्थित ऋषिकेश भारत के सबसे पवित्र #तीर्थस्थलों में एक है।  हिमालय की निचली पहाड़ियों और प्राकृतिक सुन्दरता से घिरे इस #धार्मिक स्थान से बहती गंगा #नदी इसे #अतुल्य बनाती है। ऋषिकेश को #केदारनाथ, #बद्रीनाथ, #गंगोत्री और #यमुनोत्री का #प्रवेशद्वार माना जाता है।  कहा जाता है कि इस स्थान पर ध्यान लगाने से मोक्ष प्राप्त होता है। हर साल यहाँ के आश्रमों के बड़ी संख्या में तीर्थयात्री ध्यान लगाने और मन की शान्ति के लिए आते हैं। #विदेशी पर्यटक भी यहाँ #आध्यात्मिक सुख की चाह में नियमित रूप से आते रहते हैं।

जिला पिथौरागढ़

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 पिथौरागढ़ ज़िला  * पुराना नाम - सोहरा घाटी  * उपनाम - छोटा कश्मीर  * अस्तित्व - 24 फ़रवरी 1960  * क्षेत्रफल - 7110 वर्ग किमी .  * विकासखंड - 8 (मुनस्यारी, धारचूला, बेरीनाग, डीडीहाट, कनालीछीना, गंगोलीहाट, पिथौरागढ़, मूनाकोट)  * तहसील - 10 (पिथौरागढ़, धारचूला, मुनस्यारी, डीडीहाट, कनालीछीना, बेरीनाग, बंगापनी, गणाई-गंगोली, देवलथल, गंगोलीहाट)  * प्रसिद्ध पर्यटन स्थल - डीडीहाट, जौलजीवी, मुनस्यारी, छोटा कैलाश, पाताल भुवनेश्वर, गंगोलीहाट, नारायण स्वामी आश्रम पिथौरागढ़ कि प्रसिद्ध मंदिर पिथौरागढ़ प्रसिद्ध पर्यटन स्थल

जिला पौड़ी गढ़वाल

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 पौड़ी गढ़वाल ज़िला  * उपनाम - गढ़वाल  * अस्तित्व - 1840 ईसवी  * क्षेत्रफल - 5438 वर्ग किमी .  * तहसील - 10 (पौड़ी, श्रीनगर, थलीसैण, कोटद्वार, थुमाकोट, लैंसडाउन, यमकेश्वर, चौबटाखाल, चकीसैण, सतपुली)  🗻🏞Pauri Garhwal🏞🗻 * विकासखंड - 15 (कलजीखाल, पौड़ी, थलीसैण, पाबौ, रिखणीखाल, बीरोंखाल, दुगड्डा, लैंसडाउन, कोट, द्वारीखाल, यमकेश्वर, पोखड़ा, नैनिडाडा, खिर्सू, पाणाखेत)  * प्रसिद्ध मन्दिर -ज्वालपा देवी, दुर्गादेवी, सिद्धबली मंदिर, नीलकंठ महादेव, धारीदेवी, चामुंडादेवी, विष्णु मंदिर, कमलेश्वर मंदिर, ताड़केश्वर मंदिर  * प्रसिद्ध मेले - सिद्धबली जयंती, गेंदा कौथिक, वीरचन्द्रसिंह गढ़वाली मेला, मधुगंगा मेला, बैकुंठ चतुर्दशी मेला, ताड़केश्वर मेला, गंवाडस्यू मेला, कण्वाश्रम मेला, भुवनेश्वरी देवी मेला  * प्रसिद्ध पर्यटक स्थल - खिर्सू, चीला, कालागढ़, दूधातोली, पौड़ी, श्रीनगर, लैंसडाउन, कोटद्वार

जिला बागेश्वर

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 बागेश्वर ज़िला  * बागेश्वर उत्तराखण्ड राज्य का एक जिला है। 1997 में अल्मोड़ा जिले का कुछ हिस्सा अलग करके बागेश्वर जिले की स्थापना हुई। यह नगर प्रसिद्ध नदियां पूर्वी गंगा और कोशी नदी के तट पर बसा है। आकर्षक प्राकृतिक सुंदरता और लौकिक गाथाओं के कारण बागेश्वर काफी प्रसिद्ध नगर है।  * उपनाम - व्याघ्रेश्वर, नीलगिरी, उत्तर का वाराणसी, भारत का स्विट्ज़रलैंड ‘कौसानी’  * अस्तित्व - 15 सितम्बर, 1997  * क्षेत्रफल - 2310 वर्ग किमी.  * तहसील - 6 (बागेश्वर, कपकोट, गरुड़, कांडा, दुगनाकुरी, काफीगैर)  * विकासखंड - 3 (बागेश्वर, कपकोट, गरुड़)  * प्रसिद्ध मन्दिर - बैजनाथ, बाघनाथ, चड़ीका, श्रीहारु, गौरिमंदिर, उदियार, ज्वालादेवी मंदिर  * प्रसिद्ध मेले - उत्तरायणी, नंदादेवी मेला  * प्रसिद्ध पर्यटक स्थल - कौसानी, पिण्डारी, बैजनाथ 

ज़िला हरिद्वार

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 हरिद्वार ज़िला  * हरिद्वार उत्तराखंड राज्य का एक जिला है जो कि गंगा नदी के तट पर बसा हुआ है। हरिद्वार गंगा नदी के किनारे लगने वाले कुम्भ मेले के लिए प्रसिद्ध है।  * उपनाम - मायानगरी  * अस्तित्व - 28 दिसम्बर, 1988  * क्षेत्रफल - 3090 वर्ग किमी .  * तहसील - 5 (हरिद्वार, रुड़की, भगवनापुर, लक्सर, नारसन)  * विकासखंड - 6 (रुड़की, भगवनापुर, लक्सर, नारसन, बहादराबाद, खानपुर)  * प्रसिद्ध मन्दिर - चंडीदेवी, मंशादेवी, मायादेवी, रतिप्रिया, श्रध्दादेवी  * प्रसिद्ध मेले - कुम्भ मेला, पिरान कलियर  * प्रसिद्ध पर्यटक स्थल - हर की पौड़ी, मायादेवी , मंशादेवी, भारतमाता, पिरान कलियर, दक्षेश्वर, वैष्णोमाता, बिलकेश्वर

रुद्रप्रयाग ज़िला

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 रुद्रप्रयाग ज़िला  * उपनाम - रुद्रावत, पुनाड़  * अस्तित्व - 18 सितम्बर, 1997  * क्षेत्रफल - 1984 वर्ग किमी .  * तहसील - 3 (ऊखीमठ, जखोली, रुद्रप्रयाग)  * विकासखंड - 3 (ऊखीमठ, अगस्त्यमुनि, जखोली)  * प्रसिद्ध मन्दिर - केदारनाथ, तुंगनाथ, कलपेश्वर, काटेश्वर महादेव, हरियाली देवी, कार्तिकस्वामी, कालीमठ, त्रिजुगिनारायण, चंद्रशिला, ओमकेश्वर, बाणासुर गढ़ मंदिर, गुप्तकाशी, अगस्तेश्वर महादेव, गोरीकुंड, सोनप्रयाग, उमनारायण मंदिर, नारिदेवी मंदिर  * प्रसिद्ध मेले - विषुवत संक्रांति  * प्रसिद्ध पर्यटक स्थल - देवरियाताल , केदारनाथ, कालीमठ, ऊखीमठ, त्रिजुगिनारायण, मदमहेश्वर, तुंगनाथ, गुप्तकाशी, सोनप्रयाग, चंद्रशिला

नैनीताल ज़िला

 नैनीताल ज़िला  * उपनाम - सरोवर नगरी  * अस्तित्व - 1841 ई. में “पी. बैरन” द्वारा खोजा गया  * क्षेत्रफल - 3853 वर्ग किमी .  * तहसील - 8 (नैनीताल, हल्द्वानी, रामनगर, धारी, कोश्याकुटौली, बेतालघाट, लालकुँआ, कालाढूंगी  * विकासखंड - 8 (हल्द्वानी, भीमताल, रामगढ, कोटाबाग, रामनगर, बेतालघाट, ओखलकांडा, धारी)  * प्रसिध्द मन्दिर - नैनादेवी मंदिर, हनुमानगढ़ी, मुक्तेश्वर, गर्जिया देवी  * प्रसिध्द मेले -नन्दादेवी, ग्रामीण हिमालय हाट, बैशाखी पर्व  * प्रसिध्द पर्यटक स्थल - सातताल, रामनगर, नैनीताल, भीमताल, कालाढूंगी, रामगढ, मुक्तेश्वर, हल्द्वानी, कैंचीधाम,

देहरादून ज़िला

 देहरादून ज़िला  * उपनाम - द्रोणागिरी, पहाड़ो की रानी(मसूरी)  * अस्तित्व - 1857 ईसवी  * क्षेत्रफल - 3088 वर्ग किमी .  * तहसीलें - 7 (चकराता, विकासनगर, देहरादून, ऋषिकेश, त्यूणी, डोईवाला, कालसी)  * विकासखंड - 6 (चकराता, रायपुर, सहसपुर, डोईवाला, कालसी, विकासनगर)  * प्रसिद्ध मन्दिर - संतलादेवी, टपकेश्वर, बुद्धाटेम्पल, महासू देवता, डाटकाली, कालसी  * प्रसिद्ध मेले - जौनसारी भाबर का मेला, क्वानू, दशहरा, लखवाड, महासू देवता, बिस्सू मेला, झंडा मेला, टपकेश्वर मेला, शरदोत्सव (मसूरी)  * प्रसिद्ध पर्यटक स्थल - मसूरी, मालसी, डियरपार्क, डाकपत्थर, आसन बैराज, लाखामंडल, चकराता, यमुना ब्रिज, त्रिवेणी घाट (ऋषिकेश), सहस्त्रधार, लच्छीवाला, गुच्चुपनी, टाइगर फॉल, एफ. आर. आई.-म्यूजियम

टिहरी गढ़वाल ज़िला

 टिहरी गढ़वाल ज़िला  * अस्तित्व - 01 अगस्त, 1949  * क्षेत्रफल - 4085 वर्ग किमी .  * तहसील - 10 (टिहरी, नरेन्द्र नगर, प्रतापनगर, देवप्रयाग, घनसाली, जाखणीधार, धनोल्टी, कांडीसौड़, गजा, नैनाबाग़)  * विकासखंड - 10 (टिहरी, चम्बा, प्रतापनगर, जौनपुर, नरेन्द्रनगर, देवप्रयाग, कीर्तिनगर, घनसाली, जाखाणीधार, धौलधार)  * प्रसिद्ध मन्दिर - श्री रघुनाथ जी, सुरकंडा, सेममुखेम नागराज, रमणा मंदिर, महतकुमारिका, कुंजापुरी, ओनेश्रवर महादेव, बूढा केदार, घंटाकर्ण  * प्रसिद्ध मेले - कुंजापुरी मेला, सुरकंडा मेला, वीरगब्बर सिंह मेला, नागेन्द्र सकलानी मेला, गुरुमाणिकनाथ मेला, नागटीब्बा मेला, यमुनाघाटी क्रीडा मेला  * प्रसिद्ध पर्यटक स्थल - टिहरी बांध, धनोल्टी, ईको पार्क, घुत्तु कैम्पटी फॉल, चम्बा, नई टिहरी, झड़ीपानी

चम्पावत ज़िला

 चम्पावत ज़िला  * उपनाम - चम्पावती (कुमुकाली)  * अस्तित्व - 15 सितम्बर, 1997  * क्षेत्रफल - 1955.26 वर्ग किमी .  * तहसील - 5 (चम्पावत, पाटी, पूर्णागिरी, लोहाघाट, बाराकोट)  * विकासखंड - 4 (चम्पावत, लोहाघाट, बाराकोट, पाटी)  * प्रसिद्ध मन्दिर - हिंग्लादेवी, घटोक्च मंदिर, लड़ीघुरा, मानेश्वर, पूर्णागिरी, ग्वाल देवता, दुर्गा, बालेश्वर, कान्तेश्वर,आदित्य मंदिर, नागनाथ मंदिर  * प्रसिद्ध मेले - पूर्णागिरी मेला, देवी महोत्सव, गोराअटठारी, सूर्याषष्टी, द्विपमाहोत्सव, देवीधूरा (बग्वाल मेला)  * प्रसिद्ध पर्यटक स्थल - माउंट एबर्ट, देविधूरा, स्यमलाताल, पंचेश्वर, लोहाघाट, मायावती आश्रम, एक हथिया नौला, विवेकानंद आश्रम, बाणासुर का किला, खेतीखान का सूर्य मंदिर

चमोली

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 चमोली ज़िला  * उपनाम - चांदपुरगढ़ी, अलकापुरी  * अस्तित्व - 14 फरवरी, 1960  * क्षेत्रफल - 7692 वर्ग किमी .  * तहसील - 8 (चमोली, कर्णप्रयाग, जोशीमठ, थराली, पोखरी, गैरसैंण, घाट, आदिबद्री)  * विकासखंड - 8 (कर्णप्रयाग, जोशीमठ, थराली, गैरसैण, घाट, देवाल, दशोली, नारायणबगढ़)  * प्रसिद्ध मन्दिर - बद्रीनाथ धाम (उत्तर का धाम), नंदादेवी, नारायण मंदिर, विष्णु मंदिर , उमादेवी (कर्णप्रयाग)  * प्रसिद्ध मेले - गौचर मेला , शहीद भवानिदत्त जोशी मेला, असेड सिमली मेला, रुपकुण्ड महोत्सव, वंड विकास मेला  * प्रसिद्ध पर्यटक स्थल - बद्रीनाथ, हेमकुंड, फूलो की घाटी, गैरसैण (प्रस्तावित राजधानी), आदिबद्री, औली, जोशीमठ, गौचर, कर्णप्रयाग, ग्वालदम, गोपेश्वर