कविता पहाड़ जन्म मेरो "पहाड़ का हाल" "पलायन का कारण" ❤पहाड़ जन्म मेरो❤ पहाड़ा जन्म मेरो , पहाड़े करनू बात । परदेश में रोनू अब , हेगयू नीलाम ।। (पहाड़ का हाल ) पेली गो - गो लागछी, अब सुनसान लागमेई। अपुन सब भाझमेई , मुसेई ये आमेई ।। आई ले भखत छू , बेचेलियो पहाड़ , नी करो रे पहाड़ हलाल ।। (पलायन का कारण) पेलिकेबे बाहारी लोग यति दवाप लागरेई । जेक नान तीन स्यान हेते गई , ऊ तलिही जाते रई।। किलेकी यति सरकार नाकाम छू, शराबे रेट कम करबे , बसे रेट बढ़ा मेई।। यस छू पहाड़े सरकार हाल , सरकार ले कर रो पहाड़े बरबाद। (पहाड़ की समस्या) चीड़ दाओ लेगेबे उतार हेली पहाड़े खाल। डाओ , बोटी , पंछी , नोहो सुकेहेली तुमुल सब धार।। अरे के भल भल योजना लेबे , गो - गोनुमे पाण पहुचाओ। आई ले भाखत छू , अपुन पहाड़े के बचाओ।। किले की कुछ साल में ख़तम हेजाल पहाड़ । जीतू बच राई उन गू नी करो बेहाल।। (शहरों में ) पेली मेस- मेस होछी , अब राक्षक हेमेई । काम कम , शिकार सकर खामेई।। जादू - टोना , तंतर मंतर करनी । च्योल बाप के , ब्वारी सास के मारमेई।। कीपार विश्