गढ़वाल राइफल्स शांति सेना द्वारा ऑपरेशन पवन (1987-88) Operation Pawan by Garhwal Rifles Peace Force (1987-88)

गढ़वाल राइफल्स शांति सेना द्वारा ऑपरेशन पवन (1987-88) Operation Pawan by Garhwal Rifles Peace Force (1987-88)

गढ़वाल राइफल्स

भारत-पाक युद्ध, शांति सेना द्वारा ऑपरेशन पवन (1987-88) उसके बाद 1999 में पाकिस्तान के साथ कारगिल युद्ध गढ़वाल राइफल्स के जवानों ने अपनी वीरता से दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए.

इस ऑपरेशन में 1987 में वर्तमान प्रधान मंत्री श्री राजीव गांधी द्वारा गढ़वाल राइफल की कुछ बटालियन भेजी गईं। भारत की शांति सेना द्वारा ऑपरेशन पवन के दौरान, 5 वीं बटालियन और 11 वीं बटालियन लिट्टे (लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम) कमांड को हटाने के कार्य पर थी। श्रीलंका के स्थानीय क्षेत्र। इस टास्क में 5वीं बटालियन के राइफलमैन कुलदीप सिंह भंडारी को लिट्टे के हमले में घायल हुए बटालियन के सदस्य को बचाने के लिए 11वीं बटालियन में शिफ्ट किया गया. उन्होंने 11वीं बटालियन के अन्य सदस्यों की जान बचाई और अदम्य साहस का परिचय दिया और उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया गया।
गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंट युद्ध का नारा है,'ब्रदी विशाल लाल की जय': उत्तराखंड में स्थित गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंट का युद्ध नारा है 'बद्री विशाल लाल की जय'. गढ़वालियों की युद्ध क्षमता की असल परीक्षा प्रथम विश्व युद्ध में हुई जब गढ़वाली ब्रिगेड ने 'न्यू शैपल' पर बहुत विपरीत परिस्थितियों में हमला कर जर्मन सैनिकों को खदेड़ दिया था.

10 मार्च 1915 के इस घमासान युद्ध में सिपाही गब्बर सिंह नेगी ने अकेले एक महत्वपूर्ण निर्णायक व सफल भूमिका निभाई. कई जर्मन सैनिकों को सफाया कर खुद भी वह वीरगति को प्राप्त हुए. उसके बाद द्वितीय विश्व युद्ध 1939 से 45 के बीच में गढ़वाल राइफल्स ने अपनी अहम भूमिका निभाई. ऐसे ही 1962 का भारत-चीन युद्ध, 1965 और 1971 का भारत-पाक युद्ध, शांति सेना द्वारा ऑपरेशन पवन (1987-88) उसके बाद 1999 में पाकिस्तान के साथ कारगिल युद्ध गढ़वाल राइफल्स के जवानों ने अपनी वीरता से दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए.

'तलवार चाहिए न कोई ढाल चाहिए, गढ़वालियों के खून में उबाल चाहिए': 
गढ़वाल राइफल्स
'बढ़े चलो गढ़वालियों बढ़े चलो' 
गीत के साथ देश दुनिया को अपना पराक्रम दिखाने वाले दुनिया की सबसे बड़े सैनिक परिवार की नींव आज ही रखी गई थी. जंग में जोशीले नारे 'ब्रदी विशाल लाल की जय' उद्घोष के साथ वीर सैनिकों में एक जोश भर जाता है. आज स्थापना दिवस पर गढ़वाल राइफल्स सेंटर के रेजिमेंटल मंदिर में पूजा अर्चना के साथ विधिवत सैनिकों द्वारा रेजिमेंट की खुशहाली के लिए पूजा की जाती है. उसके बाद सेंटर के सभी सैनिक वॉर मेमोरियल/ युद्ध स्मारक में जाकर मेमोरियल में पुष्प चक्र भेंट कर शहीद सैनिक को याद किया जाता है. सेना के उच्च अधिकारियों द्वारा गढ़वाल राइफल्स के वीर सैनिकों द्वारा शौर्य गाथा का उद्घोष किया जाता है.

अब तक गढ़वाल राइफल्स की इन बटालियनों की हुई स्थापना: पहली गढ़वाल राइफल्स-5 मई 1887 को अल्मोड़ा में गाठित हुई और 4 नवंबर 1887 को लैंसडाउन में छावनी बनाई गई. उसके बाद द्वितीय गढ़वाल राइफल्स 1 मार्च 1901 को लैंसडाउन में गठित हुई. जबकि तृतीय गढ़वाल राइफल्स का गठन 20 अगस्त 1916 को लैंसडाउन में हई. चौथी गढ़वाल राइफल्स का स्थापना 28 अगस्त 1918 और 5वीं गढ़वाल राइफल्स का स्थापना 1 फरवरी 1941 का लैंसडाउन में हई.

वहीं, 6वीं गढ़वाल राइफल्स का गठन 15 सितंबर 1941 और 7वीं गढ़वाल राइफल्स का गठन 1 जुलाई 1942 को लैंसडाउन में हुआ. 8वीं गढ़वाल राइफल्स का गठन एक जुलाई 1948 और 9वीं गढ़वाल राइफल्स का गठन एक जनवरी 1965 को कोटद्वार में हुआ. जबकि, 10वीं गढ़वाल राइफल्स का गठन 15 अक्टूबर 1965 को कोटद्वार में ही हुआ. 11वीं गढ़वाल राइफल्स का गठन एक जनवरी 1967 को बंगलुरु में हुआ.

उधर, 12वीं गढ़वाल राइफल्स का गठन 1 जून 1971 को और 13वीं गढ़वाल राइफल्स का गठन एक जनवरी 1976 को लैंसडाउन में हुआ. 14वीं गढ़वाल राइफल्स का गठन एक सितंबर 1980 को और 16वीं गढ़वाल राइफल्स का गठन 1 मार्च 1981 को कोटद्वार में हुआ. जबकि, 17वीं गढ़वाल राइफल्स का गठन एक मई 1982, 18वीं गढ़वाल राइफल्स का गठन एक फरवरी 1985 और 19वीं गढ़वाल राइफल्स का गठन 1 मई 1985 को कोटद्वार में ही हुआ.

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