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दिसंबर, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

प्रसिद्ध कुमाऊनी और गढ़वाली मुहावरे

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प्रसिद्ध कुमाऊनी और गढ़वाली मुहावरे Famous Kumaoni and Garhwali idioms 👉कांणिं की चै न सकन,  काणिं बिना रै न सकन। हिंदी अर्थ – अंधी को देख भी नहीं सकता, अंधी के बिना रह भी नहीं सकता। 👉मुस अरे गाव गाव, बिराउ हरी खेल। हिंदी अर्थ – चूहे को मुसीबत आई है और बिल्ली लगी है खेल में। 👉आपण-मैतक-ढूँग-लै-प्यार हूँ। हिंदी अर्थ – अपने मायके का पत्थर भी प्यारा लगता है। 👉अफणी देलिक कुकुर लेक भली हुँ | हिंदी अर्थ – अपने घर का कुत्ता भी अच्छा होता है। 👉खाणि खागे पतव चाटणि हाथ पडिगो। हिंदी अर्थ – खाना खाने वाला खा गया, बर्तन चाटने वाला हाथ पड़ गया। 👉ब्यान ब्यान बल्द हरान । हिंदी अर्थ – जिस समान से काम कर रहे है, काम करते करते उसी समान का खो जाना। 👉माॅव जानू माॅव जानू सबुलै कौय, ठाड़ी उकाॅय कैल नि देख। हिंदी अर्थ – मैं जाता हूं, मै जाता हूं सबने कहा, खड़ी चढ़ाई किसी ने नहीं देखी। 👉भगु कौतिक गोय, कौतिक कै नि लागि। हिंदी अर्थ – भगु मेला गया मेला ही नहीं लगा। 👉च्यल के देखछा, च्यलक यार देखो। हिंदी अर्थ – लड़के को क्या देखते हो, लड़के के दोस्तो को देखो। 👉मानसिंह कें मौनल चटकाइ, पानसिंह उसाड ! हिंदी अ

उत्तराखंड मैं खनिज संसाधन (Mineral Resources in Uttarakhand)

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उत्तराखंड मैं खनिज संसाधन (Mineral Resources in Uttarakhand)  राज्य में खनिज संसाधनों की कमी है, फिर भी राज्य में कुछ मात्रा में खनिजों का उत्पादन होता है। कुछ जगहों में खनिजों का पता लगाया गया है। लोहा तांबा        नैनीताल के कालाढुगी व रामगढ़ क्षेत्र ।टिहरी गढ़वाल की भागीरथी घाटी, पौड़ी गढ़वाल की   धनपुरडोबरी घाटी ता. की पट्टी तांबा उत्पादक    क्षेत्र है। गंधक                 देहरादून के सहस्रधारा प्रपात में गंधक पाया   चूने का पत्थर      जाता  है। राज्य में चूना मुख्यतया तीन क्षेत्रों में पाया जाता है। देहरादून के कालसी क्षेत्र से 10 किमी की दूरी पर मंदारम क्षेत्र में चूना   पाया जाता है। देहरादून के डोईवाला क्षेत्र में चूने के भण्डार पाये गये। ऋशिकेष क्षेत्र नीलकंठ, भाडसी गांवों में रेतीले चूने की     पेटियों का पता लगाया गया है। खड़िया             टिहरी गढ़वाल में सौंग नदी के दाहिने किनारे                         खडिया बड़ी मात्रा में पाया गया है। इसके                            अतिरिक्त, लक्ष्मण झूला के निकट नीट गांव में                        भी खड़िया के भंडार है। सेलखड़ी      

उत्तराखंड राज्य में स्थित राष्ट्रीय उद्यान (National park located in the state of Uttarakhand)

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उत्तराखंड राज्य में स्थित राष्ट्रीय उद्यान National park located in the state of Uttarakhand राज्य में 6 राष्ट्रीय उद्यान हैं। 1 कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान   इसकी स्थापना सन् 1936 में गर्वनर सर हेली के नाम से की गयी प्रारम्भ में इसका नाम हेली राष्ट्रीय उद्यान था। यह एशिया का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान था। स्वतंत्रता के पश्चात् इसका नाम रामगंगा नेशनल पार्क किया गया। 1957 में इसका नाम बदलकर जिम कार्बेट के नाम से कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान रखा गया। यह राष्ट्रीय उद्यान 520.82 वर्ग किमी. में नैनीताल और पौड़ी जिले में फैला है। नवम्बर, 1973 को इसे भारत का पहला बाघ संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया। राज्य के सभी उद्यानों में से सर्वाधिक पर्यटक इसी उद्यान में आते हैं। वर्ष 2011 में कार्बेट पार्क को 75 वर्ष पूरे हुए है। प्रसिद्ध क्रिकेटर महेन्द्र सिंह धोनी को कार्बेट नेशनल पार्क का आनेरी वाइल्ड लाइफ वार्डन बनाया गया है। 2 गोविन्द राष्ट्रीय उद्यान इसकी स्थापना सन् 1980 में की गयी। यह उत्तरकाशी जनपद में स्थित है। और 472 वर्ग किमी. में फैला है। 3 नंदादेवी राष्ट्रीय उद्यान इसकी स्थापना सन् 1982 में की गयी।

राज्य की प्रमुख नहरें (Major canals of the state)

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राज्य की प्रमुख नहरें  (Major canals of the state) ऊपरी गंगा नहर राज्य की सबसे पुरानी नहर है, इसका निर्माण 1842 से 1654 के बीच किया गया। लार्ड डलहौजी के समय बनी यह नहर, हरिद्वार में गंगा निकाली गयी है जो कि कानपुर तक जाती है। पूर्वी गंगा नहर हरिद्वार से निकाली गयी यह नहर 45.55 किमी. लम्बी है। इसकी पांच शाखाएं है। इसका उपयोग उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद, बिजनौर व उत्तराखण्ड में हरिद्वार में सिंचाई के लिए किया जाता है। शारदा नहर बनबसा (चम्पावत) स निकाली गयी इस नहर की निर्माण 1928 ई. में काली नदी पर किया गया। इससे मुख्यतः ऊधमसिंह नगर की सिंचाई की जाती है। नानक सागर बांध नैनीताल से निकलने वाली नंधौर नदी पर। यह बांध नैनीताल व ऊधम सिंह नगर की सीमा पर है। इस से नैनीताल व ऊधम सिंह नगर की सिंचाई की जाती है। राज्य में लगभग 11.5 लाख हेक्टेअर भूमि सिंचाई योग्य है, परन्तु लगभग 5.8 लाख हेक्टेअर भूमि पर ही सिचाई के साधन उपलब्ध है। प्रमुख गिरीद्वार (दरे) राज्य के उच्च हिमालयी क्षेत्र में भारत और तिब्बत की सीमाओं के आर पार जाने तथा राज्य में एक जनपद से दूसरे जनपद में जाने के लिए अनेक रास्ते या मार्ग ह

वन सम्पदा व वन्य जीव विहार/खनिज संसाधन (Forest Estates and Wildlife Vihar / Mineral Resources)

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वन सम्पदा व वन्य जीव विहार/खनिज संसाधन  (Forest Estates and Wildlife Vihar / Mineral Resources) 1. राज्य के कुल 64.79 प्रतिशत भाग पर वनों का विस्तार है।  2. सर्वाधिक वन प्रतिशत वाला जिला नैनीताल 72.64 प्रतिशत है। 3. न्यूनतम वन प्रतिशत वाला जिला ऊधम सिंह नगर 22.19 प्रतिशत है।  4. क्षेत्रफल की गणना से सर्वाधिक वन उत्तरकाशी में 3144 वर्गकिमी है।  5. क्षेत्रफल की गणना से न्यूनतम वन ऊधम सिंह नगर 564 वर्ग किमी. है। 6. शारदा नदी बेसिन में सर्वाधिक 10951 वर्ग किमी. वन हैं। 7. प्रतिशत की गणना से टोंस नदी बेसिन में सर्वाधिक 76.6 प्रतिशत वन है। वनों का विवरण 1 उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन सिन्धु तल से 300 से 600 मी. के मध्य तराई भाबर व शिवालिक श्रेणी में विस्तार पाया जाता है। जिनमें प्रतिवर्श पतझड़ होता है। जैसे साल, शीशम, सागौन, हल्दू, तून आदि राज्य के 3-3 लाख हेक्टेअर क्षेत्रफल पर साल और देवदार के वन है। 2 हिमालयी उपोष्ण चीड़ के वन चीड़ की प्रधानता वाले इन वनों का विस्तार समुद्र तल से 700 से 1400 मी. की ऊंचाई वाले क्षेत्रोंमें विस्तार से पाया जाता है। राज्य के 4 लाख हेक्टेअर क्षेत्रफल पर चीड़

राज्य की झीलें और ताल (State lakes and pools)

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उत्तराखंड राज्य की झीलें और ताल  (State lakes and pools) कुमाऊं मंडल की प्रमुख झीलें  (Major lakes of Kumaon Division) 1 नैनीताल झील समुद्रतल से 1938 मी. की ऊचाई पर स्थित राज्य की प्रसिद्ध झील है। इसकी लम्बाई 1430 मी. चौड़ाई 465 मी. व गहराई 7 से 26 मी. तक है। स्कन्द पुराण में इसे त्रिऋषि सरोवर कहा गया है। यह झील 7 पहाड़ियों से घिरी है। 2 भीमताल झील कुमाऊं मंडल की सबसे बड़ी झील है। हल्द्वानी नैनीताल मार्ग पर स्थित है। समुद्र तल से 1350 मी. ऊंचाई पर स्थित इस झील की लंबाई 1684 मी व चौड़ाई 447 मी, और गहराई 26 मीटर है। 3 नौकुचियाताल नौ कोने की आकशतिनुमा के कारण इसका नाम नौकुचियाताल , भीमताल से 5 किमी वह नैनीताल से 26 किमी. दूरी पर स्थित है। 1341 मी. की ऊंचाई पर स्थित इस ताल की लम्बाई 950 मी. चौड़ाई 700 मी. व गहराई 39 मी. हैं यह राज्य की सबसे गहरी झील है। 4 सातताल नैनीताल से 22 किमी0 और भीमताल से 4 किमी. को दूरी पर स्थित यह झील समुद्र तट से 1288 मी. की ऊचाई पर स्थित है। यह सात तालों का समूह है। जिसमें नल दम्पती ताल, गरुड़ ताल, रामसीता ताल मुख्य है। 5 खुर्पाताल नैनीताल से 12 किमी. की दूरी पर

राज्य के प्रमुख ग्लेशियर Head of State Glacier

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  राज्य के प्रमुख ग्लेशियर   Head of State Glacier  ग्लेशियर                     जिला।                    लम्बाई /विशेष   मिलम ग्लेशियर             पिथौरागढ़        16 किमी लम्बा ग्लेशियर, गोरी गंगा का उद्मम        नामिक                     पिथौरागढ़ रालम                                                       पिथौरागढ़ पोंटिंग                                                      पिथौरागढ़                 कूट भाषा पोंटिग राना से मिल। पो- पोंटिंग । रा रालम। ना- नामिक। मिल मिलम। कफनी ग्लेशियर                     बागेश्वर मैकातोोली                             बागेश्वर      पिंडर नदी  पिण्डर                                  बागेश्वर       का उद्गम सुन्दर दूंगा                             बागेश्वर कुट भाषा -  बाघ के कफन में पिस्सू। बाध - बाधेश्वर या बागेश्वर ।  कफन -कफनी।  में -मैकातोली। पि-पिंडारी। सू -सुंदरदुगा। यमुनोत्री                  उत्तरकाशी खततिंग              टिहरी          भिलगना नदी का उद्गम। कूट भाषा खत लिख दे टिहरी के नाम । डोरियानी             उत्तरकाशी बंदरपूछ               उ

उत्तराखण्ड की नदियां/झीलें/बुग्याल (Rivers / lakes / Bugyal of Uttarakhand)

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उत्तराखण्ड की नदियां/झीलें/बुग्यायल (Rivers / Lakes / Bugyal of Uttarakhand) भौगोलिक दष्टि से राज्य में प्रमुख तीन जलप्रवाह तंत्र हैं। 1. भागीरथी अलकनंदा जल प्रवाह तंत्र 2. काली या शारदा प्रवाह तंत्र 3. यमुना टोंस प्रवाह तंत्र 1. भागीरथी-अलकनंदा जल प्रवाह तंत्र * भागीरथी उपतंत्र भागीरथी नदी, उत्तरकाशी जिले में स्थित गंगोत्री ग्लेशियर के गोमुख नामक स्थान से निकलती है। पौराणिक कथा के अनुसार भगीरथ के प्रयासों से पृथ्वी गंगा पर अवतरित हुई थी। -  देव प्रयाग के बाद भागीरथी नदी का नाम गंगा हो जाता है। (DAB)गंगोत्री से कुछ आगे केदारताल से निकली केदार गंगा. तथा जाड़गंगा इसमें मिलती है। खतलिंग ग्लेशियर से निकलने वाली भिलंगना नदी, पुरानी टिहरी (अब टिहरी डैम) भागीरथी में मिलती है। इसे गणेश प्रयाग भी कहते हैं। भिलंगना की सहायक नदियां दूध गंगा, धर्म गंगा व बाल गंगा है। बालगंगा और भिलंगना का संगम घनसाली में होता है। गंगोत्री से देवप्रयाग तक भागीरथी की लम्बाई 205 किमी0 है। अलकनंदा उपतंत्र -अलकनंदा का शाब्दिक अर्थ दो शब्दों से मिलकर बना है। अल्कापुरी (घुघराले बाल) व नंदा (पुत्री)। उद्गम जगह पर इसे विष

राज्य के प्रमुख जलप्रपात (Jai Devbhumi UttarakhandHead of state waterfall)

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राज्य के प्रमुख जलप्रपात   (Head of state waterfall) सहस्त्रधारा (देहरादून) देहरादून से 11 किमी. की दूरी पर स्थित है, यहां एक झरना गंधकयुक्त है जिसमें नहाने से चर्म रोग ठीक होने की अवधारणा है। कैम्टी फॉल (टिहरी) मसूरी से 15 किमी0 दूरी यमुनोत्री मार्ग पर स्थित है। यह सर्वाधिक सुन्दर व विशाल जल प्रपात है। इसका मुख्य भाग पौड़ी गढवाल जिले में है। विर्थी जल प्रपात (पिथौरागढ़) पिथौरागढ़ से मुनस्यारी मार्ग पर स्थित मनमोहक बिर्थी जल प्रपात बिर्थी गांव के पास स्थित है। वसुन्धरा जल प्रपात (चमोली) सुदूर माणा गांव से 5 किमी. की दूरी पर स्थित है। इस प्रपात की ऊंचाई लगभग 146 मी. है। बुग्याल राज्य के ऊंचे भाग जिनकी औसत ऊंचाई 3500 मीटर से 5800 मीटर है, तथा जिनमें घास के मैदानों का विस्तार पाया जाता है। बुग्याल कहलाते है। यह जैव विविधता के क्षेत्र है। इन धास के मैदानों को पशुपालकों का स्वर्ग भी कहते है। राज्य के प्रमुख बुग्याल निम्न है बेदनी बुग्याल          रूपकुंड मार्ग पर                  चमोली फूलों की घाटी        जोशीमठ-बद्रीनाथ मार्ग          चमोली औली                    जोशीमठ के पास           

प्राकृतिक प्रदेश

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  (प्राकृतिक प्रदेश ) Uttarakhand Natural Region 1. ट्रांस हिमालय ( ट्रांस हिमालय अर्थात दूसरी ओर या ढालयुक्त हिमालय)-इस भूभाग की ऊंचाई 2500 से 3500 मीटर व चौड़ाई 20-35 किमी० है। ट्रांस हिमालय में ऊंची -नीची घाटियों का विस्तार है। 2. महाहिमालय इस भू भाग का अधिकांया बर्फ से ढका रहता है। यह राज्य का सबसे उत्तरी भाग है। यह भाग 15 से 20 किमी० चौड़ाई व 4000 से 6000 हजार मीटर ऊचा है।राज्य की अधिकांश ऊंची चोटियों महान हिमालय श्रेणी में ही स्थित है। नंदा देवी राज्य की तथा इस भाग की सर्वोच्च श्रेणी (7817मी) है। 3.  कामेट, बंदरपूछ, केदारनाथ, गंगोत्री, पंचाचूली, दूनागिरी, त्रिशूल, इस भाग की अन्य चोटियां है। उत्तराखंड ( Uttarakhand ) उत्तराखंड सामान्य ज्ञान (Uttarakhand General Knowledge) (भारतीय इतिहास, भूगोल, राजव्यवस्था, सामान्य ज्ञान, सामान्य विज्ञान एवं जनसंख्या-2021 का बिन्दुवार सम्मिलन सहित)  (Including point-wise integration of Indian History, Geography, Polity, General Knowledge, General Science and Population-2021) ©©©©©©©©©©©©©©©©©©©©©©©©

उत्तराखण्ड का राज्य प्राप्ति हेतु संघर्ष आन्दोलन The struggle for the attainment of the kingdom of Uttarakhand

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  (उत्तराखण्ड का राज्य प्राप्ति हेतु संघर्ष आन्दोलन ) The struggle for the attainment of the kingdom of Uttarakhand (1) 5,6 मई, 1938 में श्रीनगर (गढ़वाल) में आयोजित कांग्रेस के विशेष राजनैतिक सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए पं. जवहार लाल नेहरु ने कहा था, "इस पर्वतीय अंचल को अपनी विशेष परिस्थियों के अनुरुप स्वयं निर्णय लेने तथा अपनी संस्कृति को समृद्ध करने का अवसर व अधिकार मिलना चाहिए। (2) 1938 में श्रीदेव सुमन ने दिल्ली में गढ़देश सेवा संघ की स्थापना की जिसे बाद में हिमालय सेवा संघ नाम दिया गया। (3) 1946 हल्द्वानी सम्मेलन में बद्रीदत्त पाण्डे द्वारा पर्वतीय क्षेत्र को विशेष दर्जा तथा अनसूया प्रसाद बहुगुण द्वारा कुमाऊँ गढ़वाल को पृथक इकाई के रुप में गठित किया गया। (4) आजादी के बाद 1950 में बश्हद हिमालयी राज्य (हिमाचल और उत्तराखण्ड) के लिए पर्वतीय जन विकास समिति का गठन।  (5) 1952 में मार्क्सवादी नेता पी. सी. जोशी द्वारा आवाज उठाई गयी। (6) 1954 में विधान परिषद के सदस्य इन्द्र सिंह नयाल द्वारा उ. प्र. के मुख्यमंत्री गोविन्दबल्लभ पन्त से पर्वतीय क्षेत्र के लिए पश्यक विकास योजना बनाने का आ

जनपद वार जनसंख्या दशकीय वृद्धि दर

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District wise population decadal growth rate जनपद वार जनसंख्या दशकीय वृद्धि दर 𒆜===================== 𒆜 * सर्वाधिक जनसंख्या वाला जिला - हरिद्वार 19.27 लाख। * न्यूनतम जनसंख्या वाला जिला - रूद्रप्रयाग 2.36 लाख  * सर्वाधिकधिक जनसंख्या बशद्धि दर -ऊधमसिंह नगर 33.40 प्रतिशत । * न्यूनतम जनसंख्या बशदधि दर - अल्मोड़ा -1.73 प्रतिशत * सर्वाधिक लिंगानुपात वाला जिला - अल्मोड़ा 1142 * न्यूनतम लिंगानुपात वाला जिला हरिद्वार 879 * सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व वाला जिला - हरिद्वार 817  * न्यूनतम जनसंख्या घनत्व वाला जिला - उत्तरकाशी 41प्रतिशत * सर्वाधिक साक्षरता वाला जिला -देहरादून 8524 प्रतिशत * न्यूनतम साक्षरता वाला जिला -ऊधमसिंह नगर 74.44 प्रतिशत * सर्वाधिक पुरूष साक्षरता वाला जिला-रूद्रप्रयाग 9497 प्रतिशत * न्यूनतम पुरूष साक्षरता वाला जिला हरिद्वार 82.26 प्रतिशत * सर्वाधिक महिला साक्षरता वाला जिला-देहरादून 79.61 प्रतिशत * न्यूनतम महिला साक्षरता वाला जिला-उत्तरकाशी 6223 प्रतिशत        𒆜===================== 𒆜 उत्तराखंड ( Uttarakhand ) उत्तराखंड सामान्य ज्ञान (Uttarakhand General Knowledg

(उत्तराखण्ड प्रतीक चिन्ह ) Uttarakhand insignia

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(उत्तराखण्ड प्रतीक चिन्ह ) Uttarakhand insignia राज्य चिन्ह   गोलाकार मुहर में तीन पर्वतों की अखला में ऊपर अशोक की लाट तथा नीचे गंगा की लहरों को दर्शाया है। 👉  राज्य पशु कस्तूरी  मृग वैज्ञानिक नाम Moschus Chrysogaster 👉 राज्य पक्षी मोनाल वैज्ञानिक नाम - Lophophorus Impejanus 👉  राज्य वक्ष बुरांश वैज्ञानिक नाम Rhododendron Arboreum 👉  राज्य पुष्प यहा कमल वैज्ञानिक नाम Saussurea Obvallata प्रश्न और उत्तर 1 उत्तराखंड का राज्य पशु कौन सा है 2  उत्तराखंड का राज्य फूल कौन सा है  3 उत्तराखंड का राज्य पक्षी कौन सी है  4 उत्तराखंड से अतिरिक्त उत्तराखंड राज्य पक्षी किस-किस राज्य पक्षी है  5 उत्तराखंड की राज्य पक्षी किस देश की राष्ट्रीय पक्षी है 1 कस्तूरी मृग 2   बुरांश   3 मोनाल  4 हिमाचल प्रदेश  5 नेपाल उत्तराखंड ( Uttarakhand ) उत्तराखंड सामान्य ज्ञान (Uttarakhand General Knowledge) (भारतीय इतिहास, भूगोल, राजव्यवस्था, सामान्य ज्ञान, सामान्य विज्ञान एवं जनसंख्या-2021 का बिन्दुवार सम्मिलन सहित)  (Including point-wise integration of Indian History, Geography, Polity, General Knowledge, Gene

प्रमुख चोटियां/श्रेणियां Major peaks / ranges

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उत्तराखंड प्रमुख चोटियां/श्रेणियां  Major peaks / ranges   नंदादेवी               7817               चमोली कामेट                  7756                चमोली बद्रीनाथ              7138                चमोली केदारनाथ           6945                चमोली पंचाचूली            6904                पिथौरागढ़ बंदरपूंछ             6315               उत्तरकाशी गंगोत्री                6672              उत्तरकाशी उत्तराखंड की प्रमुख चोटियों के बारे में अधिक जानकारी के लिए नन्दा देवी राजजात  उत्तराखंड में नंदादेवी के अनेक मंदिर हैं. यहाँ की अनेक नदियां एवं पर्वत श्रंखलायें, पहाड़ और नगर नंदा के नाम पर है. नंदादेवी, नंदाकोट, नंदाभनार, नंदाघूँघट, नंदाघुँटी, नंदाकिनी और नंदप्रयाग जैसे अनेक पर्वत चोटियां, नदियां तथा स्थल नंदा को प्राप्त धार्मिक महत्व को दर्शाते हैं. नंदा के सम्मान में कुमाऊं और गढ़वाल में अनेक स्थानों पर मेले लगते हैं. भारत के सर्वोच्य शिखरों में भी नंदादेवी की शिखर श्रृंखला अग्रणीय है लेकिन कुमाऊं और गढ़वाल वासियों के लिए नंदादेवी शिखर केवल पहाड़ न होकर एक जीवन्त रिश्ता है.  इस पर्वत की व