भीम शिला! यकीन करना मुश्किल है लेकिन सत्य है ।

 भीम शिला! यकीन करना मुश्किल है लेकिन सत्य है ।

Bhima Shila! It's hard to believe, but it's true.

जब 2013 में केदारनाथ की त्रासदी ने पूरे भारत को झकझोर दिया तब केवल एक चीज था जो अडिग खड़ा रहा..वह था केदारनाथ मंदिर ..।

आपदा के समय यह पत्थर बाढ़ के साथ आकर मंदिर के ठीक पीछे स्थापित हो गया और बाढ़ के वेग को अत्यंत मंद कर दिया और फिर दुनियाँ ने देखा कि केदारनाथ में सबकुछ तबाह होने के बाद भी हमारा मंदिर सौर्य से खड़ा होकर दुनियाँ को चकित कर रहा था । 

जय बाबा केदारनाथ जी

मंदिर के पीछे आ रुकी बड़ी चट्टान 

पानी, रेत, चट्टान और मिट्टी का सैलाब ने केदार घाटी को उजाड़कर रख दिया था। पहाड़ों में धंसी बड़ी-बड़ी मजबूत चट्टानें भी टूटकर पत्थर की तरह गिरने लगी। सैलाब के सामने जब कोई नहीं टिक पा रहा था, ऐसे में मंदिर पर भी खतरा मंडरा रहा था। केदारनाथ के लोग और साधुओं की मानें तो मंदिर को किसी चमत्कार ने ही बचाया था। कहते हैं कि पीछे के पहाड़ से बाढ़ के साथ तेज रफ्तार से एक बहुत बड़ी चट्टान भी मंदिर की ओर आ रही थी, लेकिन अचानक वे चट्टान मंदिर के पीछे करीबन 50 फुट की दूरी पर ही रुक गई। लोगों को ऐसा लगा जैसे उसे किसी ने इतनी बड़ी चट्टान को रोक दिया हो।

शिला का नाम ये रखा गया -

चट्टान की मदद से बाढ़ का तेज पानी दो भागों एम् बन गया और मंदिर के दोनों ओर से बहकर निकल गया। उस दौरान मंदिर 300 से 500 लोग ने शरण ली हुई थी। वहां के लोगों के अनुसार चट्टान को जब उन्होंने मंदिर की ओर देखा था तो उनकी रूह कांप गई, लोगों ने वहां भोले बाबा या केदार बाबा का नाम जपना शुरू कर दिया। लेकिन बाबा के चमत्कार से उस चट्टान की मदद से मंदिर भी बच गया और अंदर बैठे लोगों की भी जान बच गई। इस घटना को 9 साल हो चुके हैं, लेकिन ये शिला आज भी केदारनाथ के पीछे आदि गुरु शंकराचार्य की समाधी के पास मौजूद है। आज इस शिला को भीम शिला के नाम से जाना जाता है। लोग इस शिला की पूजा करते हैं।

इसी शिला ने बाढ़ में केदारनाथ धाम ज्योतिर्लिंग मंदिर की रक्षा की थी। आज भी लोगों, साधुओं और हर किसी के लिए ये रहस्य बना हुआ है कि आखिर मंदिर की चौड़ाई वाली शिला आई कहां से और कैसे ये अचानक मंदिर के पीछे कुछ दूरी पर आकर रुक गई। लोगों का कहना है कि क्या ये चमत्कार भोलेनाथ का है? या गुरु शंकराचार्य का था? जिनकी समाधि मंदिर के पीछे स्थित है या केवल एक संयोग है।

आज इस चमत्कार को हर कोई नमन करता है, क्योंकि अगर ये शिला समय पर सही जगह मंदिर के पीछे आकर नहीं रूकती, तो शायद तबाही का मंजर कुछ और ही होता। पूरे बढ़ के पानी और आने वाले बड़े पत्थरों को इसी शिला ने रोककर केदारनाथ मंदिर की रक्षा की थी।

कई लोगों का कहना है कि सबसे पहले इस मंदिर को पांडवों ने बनवाया था। यहीं भीम ने भगवान शंकर का पीछा किया था। कुछ का कहना है कि इस बड़े से पत्थर को देखकर यही लगा जैसे भीम ने अपनी गदा को गाड़कर महादेव के मंदिर को बचा लिया। यही वजह है कि लोग इसे भीम शिला कहते हैं।

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