कलियुग के धर्मों का वर्णन
कलियुग वह समय है जब धर्म, सत्य, और अच्छाई का ह्रास हो जाता है, और संसार में पाप, झूठ, और विकृति फैल जाती है। वेदों और धार्मिक आस्थाओं का अपमान, और अधर्म का प्रचार इस युग के प्रमुख लक्षण हैं। शास्त्रों के अनुसार, कलियुग में मानवता के हर क्षेत्र में विकृतियाँ देखने को मिलती हैं, और धर्म का पालन अत्यंत कठिन हो जाता है।
कलियुग के धर्मों का ह्रास
महाभारत में भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं कहा था कि कलियुग में सत्य, अहिंसा, और धर्म का ह्रास होगा। लोग माया, लोभ, और अहंकार में लिप्त होंगे। यहाँ तक कि वे अपने गुरु और भगवान के प्रति निंदा और अपमान करेंगे। इसके परिणामस्वरूप समाज में अशांति और असमानता का वर्चस्व होगा। इस समय में केवल कुछ ही लोग धर्म का पालन करेंगे, और अधिकांश लोग सांसारिक सुखों में लिप्त रहेंगे।
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लिंग पुराण : कलियुग के धर्मो का वर्णन, कलियुग में धर्म आदिका हास
कलियुग के कष्ट और शोषण
कलियुग में लोग प्रमाद, रोग, और निरंतर भूख की स्थिति से पीड़ित होंगे। देश और समाज में विपर्यय और विनाश फैलेगा। सत्य और धर्म की जगह झूठ और अधर्म का प्रचार होगा। ब्राह्मणों, क्षत्रियों, और शूद्रों के बीच ऊँच-नीच की सोच और बुराईयाँ फैल जाएँगी। लोग ब्राह्मणों का सम्मान नहीं करेंगे, और शूद्रों को उच्च पदों पर देखेंगे। धार्मिक अनुष्ठान और यज्ञों का निषेध होगा, और शास्त्रों का पालन और ज्ञान कम होता जाएगा।
कलियुग में धर्म का महत्त्व
हालांकि कलियुग में धर्म का ह्रास होगा, लेकिन सत्य और धर्म के पालन में जो भी प्रयास करेगा, उसे अत्यधिक पुण्य और लाभ मिलेगा। विशेष रूप से, जब इस युग का अंत होगा, तब भगवान शिव अपने विकृत रूप में प्रकट होंगे और दुनिया को धर्म की ओर पुनः मार्गदर्शन करेंगे। इस समय जो लोग कलियुग के दोषों को पार कर सत्य की ओर अग्रसर होंगे, वे परम पद की प्राप्ति करेंगे।
कलियुग के अंत में सत्ययुग का आगमन
कलियुग का अंत एक समय में होगा, जब सभी धर्म और अच्छे कार्य विलीन हो जाएँगे, और फिर सत्ययुग का पुनः आगमन होगा। सत्ययुग में धर्म, न्याय, और अहिंसा का पालन होगा। यह समय होगा जब सत्य और अच्छाई फिर से स्थापित होंगी, और संसार में शांति का साम्राज्य होगा।
उपसंहार
कलियुग में धर्म का ह्रास होता है, लेकिन इस समय का महत्त्व यह है कि यह हमें सत्य की ओर मार्गदर्शन करने के लिए प्रोत्साहित करता है। भले ही दुनिया में असत्य और अधर्म फैल रहे हों, लेकिन हमें अपने धर्म को बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि अंततः सत्य और धर्म की जीत होती है।
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