भगवान् शिव द्वारा भस्म, भस्म स्नान एवं शिव योगियों की महिमा का प्रतिपादन
भगवान शिव ने महर्षि सनत्कुमार से कहा:
"हे मुनीश्वर! मैं इस महिमामयी कथाओं का वर्णन करने जा रहा हूं।"
भगवान शिव के अनुसार, भस्म की महिमा अत्यधिक पवित्र और महान है। यह भस्म जीवन और मृत्यु के रहस्यों का प्रतीक है, जो इस सृष्टि के रहस्यों को उजागर करता है। शिव के अनुसार, अग्नि और सोम के बीच संबंध बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भस्म के रूप में शुद्धि और नवीनीकरण का प्रतीक है।
भस्म की महिमा
भगवान शिव ने कहा कि भस्म के माध्यम से जीवन के सारे पाप समाप्त हो जाते हैं। जो व्यक्ति भस्म से स्नान करता है, उसके सभी पाप जलकर समाप्त हो जाते हैं, ठीक वैसे ही जैसे अग्नि वन को जलाकर नष्ट कर देती है। इससे व्यक्ति की आत्मा पवित्र हो जाती है और वह परमशिव की प्राप्ति के योग्य हो जाता है।
भस्म स्नान का महत्व
भस्म स्नान के बारे में शिव ने बताया कि इस क्रिया से शरीर, मन और आत्मा शुद्ध होती है। यह केवल बाहरी शुद्धता का प्रतीक नहीं है, बल्कि आंतरिक रूप से भी व्यक्ति को जागरूक करता है और उसे आत्मा की गहरी समझ प्रदान करता है। इस स्नान से व्यक्ति क्रोध और इन्द्रियों पर विजय प्राप्त करता है और अंत में भगवान शिव का साक्षात्कार करता है।
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लिंग पुराण : भगवान् शिव द्वारा भस्म, भस्मस्नान एवं शिव योगियों की महिमा का प्रतिपादन |
शिव योगियों की महिमा
भगवान शिव ने योग और ध्यान के माध्यम से आत्मज्ञान की प्राप्ति के बारे में भी चर्चा की। योगियों द्वारा किया गया भस्म स्नान उन्हें दिव्य शक्ति प्रदान करता है। वे जो निरंतर भगवान शिव की पूजा और ध्यान करते हैं, वे अमरत्व और मोक्ष की प्राप्ति करते हैं। भगवान शिव ने कहा कि जो व्यक्ति भस्म से स्नान करता है और समस्त पापों से मुक्त हो जाता है, वह रुद्रलोक को प्राप्त करता है।
भस्म और साधना
भस्म की महिमा को समझते हुए, भगवान शिव ने योग और साधना के माध्यम से भस्म के महत्व को बताया। शिव योगियों को आत्मज्ञान प्राप्ति के लिए भस्म का प्रयोग करते हुए ध्यान और साधना में लगे रहने की सलाह देते हैं। भस्म न केवल शरीर को शुद्ध करता है, बल्कि आत्मा को भी शुद्ध करता है।
निष्कर्ष
भगवान शिव के अनुसार, भस्म केवल एक साधारण पदार्थ नहीं है। यह शुद्धता, पवित्रता और दिव्यता का प्रतीक है। जो व्यक्ति भस्म स्नान करता है और इसके माध्यम से भगवान शिव का ध्यान करता है, वह निश्चित ही मोक्ष की प्राप्ति करता है। भगवान शिव ने यह भी स्पष्ट किया कि भस्म से जुड़ी क्रियाएं शुद्धता और उच्चतम साधना की ओर ले जाती हैं, जो जीवन को अधिक अर्थपूर्ण और दिव्य बनाती हैं।
शिव जी की यह शिक्षा आज भी हमें यह सिखाती है कि भस्म केवल बाहरी शुद्धता का नहीं, बल्कि आंतरिक शुद्धता और आत्मा के परम रूप में शुद्धता का प्रतीक है।
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