नन्दीश्वर द्वारा मुनियों को शिव भक्ति का संदेश | Message of devotion to Shiva by Nandishwar to the sages

नन्दीश्वर द्वारा मुनियों को शिव भक्ति का संदेश

नन्दीश्वर ने ऋषियों को भगवान शिव की महिमा और उनकी कृपा के विषय में बताया। उन्होंने कहा कि भगवान महेश्वर, जिन्होंने उन ऋषियों की स्तुति सुनी, उनके प्रति अत्यन्त प्रसन्न हुए और उनके लिए वरदान की घोषणा की। शिव जी ने कहा:

"जो भी व्यक्ति आप लोगों द्वारा की गई इस स्तुति को पढ़ेगा, सुनेगा या दूसरों को सुनाएगा, वह मेरे गणों में प्रमुख स्थान प्राप्त करेगा।"

शिव के अद्वितीय उपदेश

भगवान शिव ने मुनियों को संबोधित करते हुए कहा:

  1. प्रकृति और पुरुष की व्याख्या

    • समस्त स्त्रीलिंग, प्रकृति देवी का रूप है जो मेरे शरीर से उत्पन्न हुई है।
    • समस्त पुरुष, मेरी देह से उत्पन्न है।
    • इस नर-नारी (पुरुष-प्रकृति) के मिलन से ही यह सृष्टि बनी है।
  2. भक्तों की निंदा न करने का संदेश

    • ब्रह्मज्ञान और शिवभक्ति में लीन, ब्रह्मचारी, यति (साधु), दिगम्बर, और ब्रह्मवदी साधकों की निंदा नहीं करनी चाहिए।
    • जो व्यक्ति इनकी निंदा करता है, वह साक्षात भगवान शिव की निंदा करता है।

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लिंग पुराण : मुनियों को शिव भक्ति का उपदेश | Linga Purana: Teaching of Shiva devotion to sages

भस्म और साधना का महत्व

शिव ने भस्मस्नान का महत्व समझाते हुए बताया:

  • भस्म धारण करने वाले, ध्यान और तपस्या में लीन भक्त रुद्रलोक की प्राप्ति करते हैं।
  • ऐसे भक्त, संसार के बंधनों से मुक्त होकर महादेव के परम धाम को प्राप्त करते हैं।
  • भस्म और मुण्ड धारण करने वाले साधु परम दिव्य हैं; उनकी निंदा न करें।

मुनियों की स्तुति और भगवान शिव की प्रसन्नता

मुनियों ने भगवान शिव की महिमा गाते हुए उन्हें स्नान कराया और उनकी स्तुति की। स्तुति में शिव के स्वरूप का वर्णन किया गया:

  • "नमो देवाधिदेवाय महादेवाय नमः।"
  • अर्धनारीश्वर, गजचर्मधारी, सर्पों की माला पहनने वाले महादेव को प्रणाम।

शिव का वरदान

भगवान शिव ने प्रसन्न होकर मुनियों को वर मांगने का आदेश दिया। मुनियों ने भगवान से भस्मस्नान, नग्नता, वामता, और प्रतिलोमता जैसे विषयों की व्याख्या मांगी। भगवान शिव ने मुस्कुराकर मुनियों को उनकी जिज्ञासाओं का समाधान दिया।

निष्कर्ष

यह कथा भगवान शिव की भक्ति, उनकी महिमा और उनकी कृपा को दर्शाती है। शिवभक्तों को यह उपदेश देता है कि वे न केवल भगवान शिव की पूजा करें, बल्कि उनके भक्तों का भी सम्मान करें। भगवान शिव का वरदान यह सुनिश्चित करता है कि जो उनकी भक्ति में समर्पित रहेगा, वह संसारिक बंधनों से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त करेगा।

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