पञ्चाङ्ग-रुद्रविधान: शिव-उपासना का दिव्य मार्ग | Panchang-Rudravidhan: The divine path of Shiva-worship

पञ्चाङ्ग-रुद्रविधान: शिव-उपासना का दिव्य मार्ग

अग्निपुराण में वर्णित 'पञ्चाङ्ग-रुद्रविधान' शिव-उपासना का एक अनूठा और अत्यंत प्रभावशाली साधन है। यह विधान उन भक्तों के लिए विशेष फलदायी है जो शिव की कृपा से जीवन के कष्टों को हरना चाहते हैं और आत्मिक शांति की खोज में हैं। इस विधान में पाँच महत्वपूर्ण अंगों का समावेश है, जो रुद्र के विभिन्न स्वरूपों और शक्तियों का प्रतिपादन करते हैं।


पञ्चाङ्ग-रुद्रविधान का परिचय

  1. हृदय:

    'शिवसंकल्प' सूक्त इस विधान का हृदय है। इसमें छः ऋचाएँ (यजुर्वेद 34।1-6) आती हैं। इनका ऋषि शिवसंकल्प और छन्द त्रिष्टुप् है। यह मानव मन को शिव की ओर संकल्पित करने में सहायक है।

  2. शीर्ष:
    'पुरुषसूक्त' इस विधान का शीर्ष है। इसमें नारायण ऋषि और त्रिष्टुप्-छन्द का उल्लेख है। 'सहस्रशीर्षा पुरुषः' से प्रारंभ होने वाला यह सूक्त शिव को विश्वव्यापी पुरुष रूप में प्रतिष्ठित करता है।

  3. शिखा:
    'अद्भ्यः सम्भूतः' (यजुर्वेद 31।17) से प्रारंभ होने वाला सूक्त इस विधान की शिखा है। इसके देवता पुरुष माने गए हैं, और इसका छन्द त्रिष्टुप् तथा अनुष्टुप् है।

  4. कवच:
    'आशुः शिशानः' (यजुर्वेद 17।33) आदि सूक्त कवच का कार्य करते हैं। इनमें इन्द्र देवता और त्रिष्टुप् छन्द का उपयोग हुआ है। यह कवच भक्त को जीवन की आपदाओं से सुरक्षा प्रदान करता है।

  5. पाँच अङ्गों का समन्वय:
    शतरुद्र अध्याय के इन पाँच अंगों का क्रमशः जप करने से अनन्त पुण्य प्राप्त होता है।


महत्वपूर्ण रुद्र मंत्र और उनका प्रभाव

  • त्रैलोक्यमोहन मंत्र:
    "ॐ श्रीं ह्रीं हूं त्रैलोक्यमोहनाय विष्णवे नमः।"
    यह मंत्र विष-व्याधि और कष्टों का नाश करने में समर्थ है।

  • नृसिंह मंत्र:
    "ॐ हूं ई उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्।
    नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्युमृत्युं नमाम्यहम्॥"
    यह मंत्र भय, रोग, और विष के विनाश का साधन है।

  • कुब्जिका मंत्र:
    "कुब्जिका त्रिपुरा गौरी चन्द्रिका विषहारिणी।"
    यह मंत्र आयु वृद्धि और आरोग्यता प्रदान करता है।


पञ्चाङ्ग-रुद्रविधान का लाभ

  1. शिव की कृपा:
    नियमित जप और विधान के पालन से शिव की कृपा प्राप्त होती है।

  2. विष-व्याधि नाश:
    इसके मंत्र विष, रोग, और अन्य शारीरिक कष्टों को दूर करने में सहायक हैं।

  3. आध्यात्मिक उन्नति:
    पञ्चाङ्ग-रुद्रविधान मन को शुद्ध करता है और आत्मा को उच्च चेतना में ले जाता है।

  4. सुरक्षा और कल्याण:
    यह विधान नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा और जीवन में सुख-समृद्धि लाता है।


समापन

पञ्चाङ्ग-रुद्रविधान शिव-उपासना की एक अद्वितीय विधि है, जो वेदों के गूढ़ रहस्यों और शिव तत्व की महिमा को प्रकट करती है। यह विधान जीवन के हर क्षेत्र में शांति, समृद्धि और कल्याण लाने का माध्यम है। जो भी भक्त इस विधि का पालन श्रद्धा और निष्ठा से करता है, उसे त्रैलोक्य में अद्वितीय सिद्धियां प्राप्त होती हैं।

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