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शिलाद की तपस्या और भगवान शिव का वरदान | Shilad's penance and the boon of Lord Shiva

शिलाद द्वारा तप करने से भगवान महेश्वर का नंदी नाम से उनके पुत्र के रूप में प्रकट होना

तपस्या के माध्यम से भगवान महेश्वर का दर्शन एक बहुत ही अद्भुत कथा है। शिलाद नामक मुनि ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की, और भगवान शिव ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उनके पुत्र के रूप में प्रकट होने का वरदान दिया। यह घटना न केवल शिवभक्तों के लिए एक प्रेरणा है, बल्कि यह भी दिखाती है कि भगवान शिव अपने भक्तों की सच्ची भक्ति और तपस्या से किस प्रकार प्रसन्न होते हैं।

शिलाद की तपस्या और भगवान शिव का वरदान

शिलाद मुनि ने भगवान शिव की आराधना एक हजार वर्षों तक निरंतर तपस्या करके की। तपस्या के दौरान उनका शरीर वल्मीक से लिपटा हुआ था, वे मांस-रुधिर से विहीन होकर अस्थिमात्र शरीर के समान हो गए थे। भगवान शिव ने जब उनकी तपस्या देखी, तो वे नंदी के रूप में प्रकट हुए और शिलाद मुनि को पुत्र का वरदान दिया।

भगवान शिव ने शिलाद से कहा, "हे महात्मा! तुम्हारी तपस्या से मैं प्रसन्न हूँ। तुम्हें एक अयोनिज पुत्र मिलेगा, जो बिना जन्म के ही तुम्हारे घर में प्रकट होगा।" इसके बाद, भगवान शिव ने शिलाद से यह भी कहा कि वह स्वयं उनके पुत्र के रूप में अवतरित होंगे और उनके पुत्र का नाम नंदी होगा।

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शिलाद की प्रार्थना और शिव का उत्तर

शिलाद मुनि ने भगवान शिव से प्रार्थना की कि वे अपने पुत्र के रूप में उन्हें एक अमर और मृत्युहीन पुत्र दें। भगवान शिव ने उन्हें यह वरदान दिया कि उनका पुत्र नंदी नाम से प्रसिद्ध होगा, जो किसी भी प्रकार के जन्म और मृत्यु से परे होगा।

जब भगवान शिव ने शिलाद को यह वरदान दिया, तो शिलाद ने भगवान शिव की स्तुति की और खुशी से गद्गद हो गए। उन्होंने भगवान शिव से कहा, "आप जगत के रक्षक हैं, आप मेरे पुत्र होंगे और मुझे सब प्रकार की सुख-शांति का आशीर्वाद देंगे।"

भगवान शिव का अवतार

भगवान शिव ने शिलाद मुनि से कहा कि वह स्वयं उनके पुत्र के रूप में अवतरित होंगे और नंदी के रूप में प्रकट होंगे। इसके बाद भगवान शिव शिलाद के घर में एक छोटे से बालक के रूप में प्रकट हुए। भगवान शिव के इस रूप को देखकर सभी देवता और ऋषि गदगद हो उठे और उन्होंने भगवान शिव की स्तुति की।

निष्कर्ष

यह कथा हमें यह सिखाती है कि भगवान शिव अपने भक्तों की सच्ची भक्ति और तपस्या से अत्यधिक प्रसन्न होते हैं। भगवान शिव ने शिलाद मुनि की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें नंदी नामक पुत्र का वरदान दिया, जो उनके पुत्र के रूप में भगवान शिव का ही अवतार था। यह घटना यह भी दर्शाती है कि भगवान शिव अपने भक्तों की पूजा और तपस्या का उत्तर कभी न कभी देते ही हैं, और उनकी भक्ति से परमात्मा की प्राप्ति होती है।

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