नन्दी के जन्म का वृत्तान्त और ब्रह्मा
तथा विष्णु का परस्पर संवाद
यह कथा महर्षि सनत्कुमार द्वारा उद्धृत की गई है, जिसमें नन्दी के जन्म के पीछे का गहरा रहस्य और ब्रह्मा तथा विष्णु के बीच हुआ संवाद प्रस्तुत किया गया है। यह संवाद न केवल नन्दी के जन्म से संबंधित है, बल्कि इसके माध्यम से भगवान शिव के परमत्व को भी स्पष्ट किया गया है।
शिलाद की तपस्या और नन्दी का जन्म
शिलाद नामक एक महात्मा ने संतान की प्राप्ति के लिए कठोर तपस्या की। वे अंधे होने के बावजूद लंबी अवधि तक तप में रत रहे। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर इन्द्रदेव ने उन्हें वरदान दिया और कहा, "तुम जो भी वरदान मांगोगे, मैं तुम्हें दूंगा।" शिलाद ने इन्द्र से अमर और मृत्युहीन पुत्र की कामना की, लेकिन इन्द्र ने स्पष्ट किया कि कोई भी प्राणी मृत्यु से मुक्त नहीं हो सकता। अतः उन्होंने मृत्युहीन पुत्र देने की बजाय, योनिज (जो जन्म से संबंधित होता है) और मृत्यु से जुड़ा पुत्र देने का वचन दिया।
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लिंग पुराण : नन्दी के जन्मका वृत्तान्त, ब्रह्मा तथा विष्णु का परस्पर संवाद और शिद द्वारा दोनों पर अनुग्रह करना |
ब्रह्मा और विष्णु का संवाद
शिलाद की संताने के लिए किए गए वरदान के बाद, एक और दिलचस्प संवाद हुआ जिसमें भगवान ब्रह्मा और विष्णु के बीच विचार-विमर्श हुआ। ब्रह्मा ने बताया कि वे स्वयं भी योनिज और मृत्यु से मुक्त नहीं हैं, क्योंकि वे भी किसी अंडे से उत्पन्न हुए हैं। इसके बावजूद, ब्रह्मा ने नन्दी को भगवान शिव के साथ जोड़ने का प्रयास किया और इस समय से नन्दी के विशेष स्थान की शुरुआत हुई।
विष्णु और शिव के बीच हुआ संवाद यह स्पष्ट करता है कि भगवान शिव की भक्ति ही सबसे उच्चतम है। विष्णु ने यह स्वीकार किया कि शिव ने ही समस्त सृष्टि की रचना में उनका साथ दिया है, और इस प्रकार भगवान शिव के साथ सृष्टि की योजना में योगदान किया।
नन्दी का महत्व
नन्दी का जन्म एक महत्वपूर्ण मोड़ है क्योंकि वह भगवान शिव का परम भक्त और उनका वाहन बने। यह कथा यह भी दर्शाती है कि भगवान शिव को समर्पित व्यक्ति का स्थान देवों से ऊँचा होता है, और नन्दी का जन्म इसके प्रमाण के रूप में देखा जाता है।
इस कथा के माध्यम से यह सिद्ध होता है कि भगवान शिव, विष्णु और ब्रह्मा का आपसी संबंध और संवाद सृष्टि के संचालन में अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भगवान शिव की भक्ति से ही भक्तों को परम सिद्धि प्राप्त होती है।
निष्कर्ष
नन्दी के जन्म का यह वृत्तान्त न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमें जीवन के गहरे रहस्यों और सृष्टि के संचालन के बारे में भी बताता है। ब्रह्मा, विष्णु और शिव का आपसी संवाद यह सिद्ध करता है कि भगवान शिव की भक्ति में ही वास्तविक शक्ति और ज्ञान का भंडार है।
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