चदरी यो चदरी – पारम्परिक लोकगीत है, गांव के ग्वालों के साथ एक महिला गाय चराते हुए अपनी चादर सुखाने को डालती है. तेज हवा से सूखती हुई चादर उङ जाती है. इसी पर गाय चराने वाले लङके हंसी-मजाक करते हैं.
चदरी यो चदरी तेरी चदरी फ्वं फ्वां फ्वां
कनी भली छै चदरी तेरी चदरी फ्वं फ्वां फ्वां -२
जान्दरी रूणाई बल जन्दरी रूणाई
पल्या खोला की झुप्ली गए डांडा की वणाई
डांडा की वणाई…….तेरी चदरी फ्वं फ्वां फ्वां
चदरी यो ……………………………………….
झंगोरे की घाण बल झंगोरे की घाण
धार ऐच बैठी झुपली चदरी सुखाण
चदरी सुखाण…….तेरी चदरी फ्वं फ्वां फ्वां
चदरी यो ……………………………………….
किन्गोडा का कांडा बल किन्गोडा का कांडा -२
चदरी उडी -उडी पोहुची खैरालिंगा का डांडा
खैरालिंगा का डांडा …………..तेरी चदरी फ्वं फ्वां फ्वां
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