माँ काली मंत्र को सिद्ध करने की सरल विधि (maan kaalee mantr ko siddh karane kee saral vidhi)

 माँ काली मंत्र को सिद्ध करने की सरल विधि (maan kaalee mantr ko siddh karane kee saral vidhi)

माँ काली को माँ के सभी रूपों में सबसे शक्तिशाली स्वरुप माना गया है | भय को दूर करने वाली , बुद्धि देने वाली , शत्रुओं का नाश करने वाली माँ काली(Maa Kali) की उपासना से सभी कष्ट स्वतः ही दूर होने लगते है | माँ काली की आराधना शीघ्र फल देने वाली है | शास्त्रों में वर्णित है कि कलियुग के समय हनुमान जी , काल भैरव और माँ काली की शक्तियाँ जागृत रूप में अपने भक्तों का उद्धार करने वाली होगी | कुछ मान्यताओं के आधार पर माँ काली की उपासना केवल सन्यासी और तांत्रिक तंत्र सिद्धियाँ प्राप्त करने हेतु करते है | किन्तु यह पूर्णतया सत्य नहीं है | माँ काली(Maa Kali) की उपासना साधारण व्यक्ति भी अपने कार्य सिद्धि हेतु कर सकते है | किन्तु ध्यान रहे मंत्र उच्चारण या पूजा विधि में त्रुटी होने पर  माँ काली शीघ्र ही क्रोधित होकर आपको दण्डित भी कर सकती है | इसीलिए इनकी उपासना या मंत्र सिद्धि पूर्णतया विधि अनुसार और गुरु के सानिध्य में ही करें | यहाँ इस post में आप जान पाएंगे माँ काली के मंत्र को सिद्ध(Maa Kali Mantra Siddhi) करने की सरल विधि के विषय में |
 माँ काली मंत्र को सिद्ध करने की सरल विधि

कलियुग के समय में माँ काली की मंत्र/Mantra द्वारा साधना शीघ्र फल देने वाली है | माँ काली शीघ्र प्रसन्न होकर अपने भक्त की हर मनोकामना पूरी करती है | कोई अभागा ही होता है जो माँ काली साधना को पूरा नहीं कर पाता | वैसे तो किसी भी मंत्र को सिद्ध करते समय सामान्य पूजा विधि एक जैसी ही होती है किन्तु माँ काली के मंत्र को सिद्ध(Maa Kali Mantra Siddhi) करते समय कुछ जरुरी बातों का ध्यान रखना अनिवार्य होता है | जैसे : – माँ काली की मंत्र सिद्धि रात्रि 9 बजे के बाद ही की जानी चाहिए और माँ काली की साधना में घी के स्थान पर सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए | मंत्र जप में रुद्राक्ष या काले हकीक की माला का प्रयोग करना चाहिए | इस साधना को गुरु द्वारा दीक्षा लेकर उनकी देख-रेख में संपन्न करना चाहिए |

माँ काली मंत्र सिद्ध करने की विधि 

माँ काली मंत्र सिद्ध करने की विधि 
घर में किसी एकांत स्थान पर पूर्व दिशा की तरफ एक चौकी की स्थापना करें | चौकी पर लाल कपडा बिछाकर माँ काली(Maa Kali) की मूर्ती की स्थापना करें | अब आप माँ काली के उपरोक्त मंत्र को एक कागज़ पर लिखकर चौकी पर माँ काली की मूर्ती के नीचे रख दे | सरसों के तेल का दीपक जलाएं जिसमें बत्ती को पट लगाये | अब आप माँ काली(Maa Kali) की मूर्ती के सामने आसन बिछाकर सबसे पहले हाथ में थोड़ा जल लेकर संकल्प ले | संकल्प इस प्रकार से ले : – दायें हाथ में थोडा जल ले व इसे बाएं हाथ से ढक ले | अब इस प्रकार बोले : – हे परमपिता परमेश्वर, हे सर्वशक्तिमान – मैं (अपना नाम बोले ) , गोत्र (अपना गोत्र बोले ) माँ काली मंत्र को सिद्ध करने का कार्य कर रहा हूं , मेरे कार्य में पूर्णता प्रदान करें ऐसी मैं कामना करता हूं, मेरे द्वारा किये कार्य में किसी भी प्रकार की त्रुटी हो गयी हो तो क्षमा करें | ऐसा कहकर हाथ के जल को नीचे जमीन पर छोड़ दे और 3 बार हाथ से जमीन को स्पर्श कर माथे से लगाते हुए बोले : ॐ श्री विष्णु , ॐ श्री विष्णु , ॐ श्री विष्णु |
संकल्प लेने के पश्चात् माँ काली के इस स्तुति मंत्र/Mantra द्वारा उनका आव्हान करें : –
काली काली महाकाली कालिके परमेश्वरी ।
सर्वानन्दकरी देवी नारायणि नमोऽस्तुते ।।
अब आप रुद्राक्ष या काले हकीक की माला से मंत्र जप करने का कार्य आरम्भ करें | विधान अनुसार माँ काली मंत्र/Maa Kali Mantra की 11 मालाओं का जप प्रतिदिन करना चाहिए किन्तु यदि ऐसा संभव न हो पाए तो आप अपने सामर्थ्य अनुसार मालाओं के जप की संख्या निर्धारित कर सकते है | मंत्र जप के पश्चात् फिर से संकल्प लेकर आप अपना स्थान छोड़ सकते है | संकल्प इस प्रकार से ले : – दायें हाथ में जल लेकर बाएं हाथ से ढक ले व बोले  – हे परमपिता परमेश्वर मैंने( अपना नाम बोले ) गोत्र (अपना गोत्र बोले ) माँ काली मंत्र की सिद्धि हेतु ये जो मंत्र जप किये है इन्हें मैं अपने कार्य की पूर्णता हेतु श्री ब्रह्म को अर्पित करता हूं, ऐसा कहते हुए हाथ के जल को नीचे जमीन पर छोड़ दे व जमीन को तीन बार हाथ से स्पर्श करते हुए बोले – ॐ श्री ब्रह्मा , ॐ श्री ब्रह्मा , ॐ श्री ब्रह्मा | अब आप अपने आसन को थोडा मोड़कर अपना स्थान छोड़ सकते है | इस प्रकार से मंत्र के जप 41 दिनों तक करने से माँ काली का यह मंत्र सिद्ध हो जाता है | 41 दिन पूरे होने के पश्चात् जितने कुल मंत्र जप आपने इन दिनों में किये है उनके दशांश भाग से हवन में आहुति दे |

मां काली उपासना विधि 

मां काली की उपासना के लिए मां की तस्वीर या प्रतिमा को स्वच्छ आसान पर स्थापित करें। प्रतिमा के तिलक लगाएं और पुष्प आदि अर्पित करें। एक आसन पर बैठकर प्रतिदिन किसी भी मंत्र का 108 बार जप करें। जप के बाद अपनी सामथ्र्य के अनुसार भोग मां काली को अर्पण करें। अपनी इच्छा पूरी होने तक इस प्रयोग को जारी रखें। 

मां काली का स्वरूप

मां काली के चार हाथ हैं। एक हाथ में तलवार, एक हाथ में राक्षस का सिर। बाकी दो हाथ भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए है। मां के पास कान की बाली के लिए दो मृत सिर हैं। गर्दन में 52 खोपड़ी का एक हार, और दानव के हाथों से बना वस्त्र है। उनकी जीभ मुंह से बाहर रहती है, उनकी आंखे लाल रहती हैं। उनके चेहरा और स्तन पर खून लगा रहता है।

मां काली की उपासना  

महाकाली के रूप को देवी के सभी रूपों में से सबसे शक्तिशाली माना जाता है। काली शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के ‘काल’ शब्द से हुई है। हिन्दू शास्त्रों में मां काली को अभिमानी राक्षसों के संहार के लिए जाना जाता है। आमतौर पर मां काली की साधना सन्यासी और तांत्रिक करते हैं। यह भी मान्यता है कि मां काली काल का संहार कर मोक्ष प्रदान करती हैं।

महाकाली की पूजा के लाभ

काली शब्द काले रंग का प्रतीक है। साधक काली की उपासना को सबसे प्रभावशाली मानते हैं। काली किसी भी काम का तुरंत परिणाम देती हैं। काली की साधना के बहुत से लाभ होते हैं। जो साधक को साधना पूरी करने के बाद ही पता चल पाते हैं। यदि मां काली आपकी उपासना से प्रसन्न हो जाती हैं तो उनके आशीर्वाद से आपका जीवन बेहद सुखद हो जाता है।
एकाक्षर मां काली मंत्र : क्रीं
मां काली का एकाक्षरी मंत्र ‘क्रीं है। इसका जप मां के सभी रूपों की आराधना, उपासना और साधना में किया जा सकता है। वैसे इसे चिंतामणि काली का विशेष मंत्र भी कहा जाता है।
द्विअक्षर मां काली मंत्र : क्रीं क्रीं
इस मंत्र का भी स्वतंत्र रूप से जप किया जाता है। तांत्रिक साधनाएं और मंत्र सिद्धि हेतु हेतु बड़ी संख्या में किसी भी मंत्र का जप करने के पहले और बाद में सात-सात बार इन दोनों बीजाक्षरों के जप का विशिष्ट विधान है।
त्रिअक्षरी मां काली मंत्र : क्रीं क्रीं क्रीं 
त्रिअक्षरी मंत्र ‘क्रीं क्रीं क्रीं’ काली की साधनाओं और उनके प्रचंड रूपों की आराधनाओं का विशिष्ट मंत्र है। द्विअक्षर मंत्र की तरह इसे भी तांत्रिक साधना मंत्र के पहले और बाद में किया जा सकता है।
ज्ञान प्रदाता मां काली मंत्र: ह्रीं
यह भी एकाक्षर मंत्र है। काली की उपासना के बाद इस मंत्र के नियमित जप से साधक को सम्पूर्ण शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त हो जाता है। इसे विशेष रूप से दक्षिण काली का मंत्र कहा जाता है।
क्रीं क्रीं क्रीं स्वाहा - मां काली मंत्र
पांच अक्षर के इस मंत्र के प्रणेता स्वयं जगतपिता ब्रह्मा जी हैं। इस मंत्र का प्रतिदिन सुबह के समय 108 बार जप करने से सभी दुखों का निवारण करके घन-धान्य की वृद्धि होती है। इसके जप से पारिवारिक शांति भी बनी रहती है।
क्रीं क्रीं फट स्वाहा - मां काली मंत्र
छह अक्षरों का यह मंत्र तीनों लोकों को मोहित करने वाला है। सम्मोहन आदि तांत्रिक सिद्धियों के लिए इस मंत्र का विशेष रूप से जप किया जाता है।
क्रीं क्रीं क्रीं क्रीं क्रीं स्वाहा - मां काली मंत्र
धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष जीवन के चारों ध्येयों की आपूर्ति करने में यह मंत्र समर्थ है। आठ अक्षरों से निर्मित इस मंत्र उपासना को उपासना के अंत में जप करने पर सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
क्रीं क्रीं क्रीं क्रीं क्रीं स्वाहा - मां काली मंत्र
धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष जीवन के चारों ध्येयों की आपूर्ति करने में यह मंत्र समर्थ है। आठ अक्षरों से निर्मित इस मंत्र उपासना को उपासना के अंत में जप करने पर सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।

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