लिङ्गार्चन विधि: शिवलिंग पूजा का विस्तृत विधान | Lingarchan Vidhi: Detailed method of Shivalinga worship

लिङ्गार्चन विधि: शिवलिंग पूजा का विस्तृत विधान

परिचय:

लिङ्गार्चन विधि के अंतर्गत, महेश्वर स्वरूप को ध्यान कर विविध उपचारों द्वारा शिवलिंग का पूजन किया जाता है। यह प्रक्रिया शरीर की शुद्धि, पूजन सामग्री का पवित्रीकरण, और भक्तिभाव से परमेश्वर शिव के अभिषेक और स्तुति का समर्पण है।


लिङ्गाभिषेक की महिमा

  1. स्नान और शुद्धि:

    • स्नान के पश्चात् पूजास्थान में प्रवेश कर तीन प्राणायाम करें।
    • पंचमुखी, दशभुजाधारी, स्फटिक के समान शुद्ध शिव स्वरूप का ध्यान करें।
  2. शिव स्वरूप का ध्यान:

    • त्रिनेत्रधारी, चंद्रमौलि, और सर्वाभरण से विभूषित शिवजी की कल्पना करें।
    • शिव की इस दिव्य मूर्ति का ध्यान करते हुए, दाहन और प्लावन आदि भूतशुद्धि की क्रियाएँ करें।
  3. पूजन सामग्री का शोधन:

    • गंध, चंदन, जल से पूजन स्थल को पवित्र करें।
    • प्रोक्षण और क्षालन द्वारा सभी पूजन सामग्री को शुद्ध करें।

लिङ्गार्चन का विधान

  1. पूजन सामग्री का अभिमंत्रण:

    • "नमः शिवाय" मंत्र का उच्चारण करते हुए सामग्री में ओषधियां जैसे उशीर, चंदन, कपूर, पुष्प, कुश, और अक्षत रखें।
    • पंचाक्षर मंत्र और रुद्रगायत्री से अभिमंत्रण करें।
  2. लिंग प्रतिष्ठा और पूजन:

    • शिवलिंग पर जल, दूध, शहद, और पंचामृत से अभिषेक करें।
    • शिवलिंग पर पुष्प, बिल्वपत्र, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
  3. ध्यान और प्रार्थना:

    • परमेश्वर शिव को आवाहन कर, "सद्योजात प्रपद्यामि" मंत्र से पूजा आरंभ करें।
    • शिवलिंग पर पंचामृत अभिषेक करते समय प्रत्येक पदार्थ के साथ उनके गुण और महत्व का ध्यान करें।

अभिषेक के मंत्र

  1. जलाभिषेक:

    • "ॐ नमः शिवाय"
    • शिव को समर्पित करते हुए जल चढ़ाएँ।
  2. दुग्धाभिषेक:

    • "ॐ सोमाय नमः"
    • दूध से अभिषेक कर मन और शरीर की शीतलता के लिए प्रार्थना करें।
  3. घृताभिषेक:

    • "ॐ हिरण्यगर्भाय नमः"
    • घी का उपयोग करते हुए समृद्धि और पवित्रता का संकल्प लें।

लिङ्गार्चन की महिमा

शिवलिंग का पूजन भौतिक और आध्यात्मिक लाभ देता है। यह मानव को पापों से मुक्ति दिलाकर मोक्ष की ओर अग्रसर करता है। नियमित लिङ्गार्चन से जीवन में समृद्धि, शांति, और भौतिक संतोष प्राप्त होते हैं।

शिवरात्रि या विशेष पर्वों पर यह विधि अति फलदायी मानी जाती है।

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