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जनवरी, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

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26 जनवरी के लिए उत्तराखंड की झांकी की तैयारियां पूरी हो गई है

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26 जनवरी के लिए उत्तराखंड की झांकी की तैयारियां पूरी हो गई है  इस बार 26 जनवरी को उत्तराखंड की झांकी की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं उत्तराखंड की झांकी में क्या क्या देखने को मिलेगा उत्तराखंड की झांकी में आपको यहां चीजें दिखाई देंगे उत्तराखंड का वेशभूषा उत्तराखंड की संस्कृति उत्तराखंड का राज्य पक्षी उत्तराखंड का राज्य पशु उत्तराखंड का राज्य पुष्प उत्तराखंड का बाबा केदारनाथ की मंदिर और नंदी महाराज के साथ इन सभी के दर्शन होंगे जो 26 जनवरी को दिल्ली राजपथ राजपथ पर निकलेगीउत्तराखंड झांकी की पूरी तैयारियां हो चुकी हैं  गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजपथ में आयोजित होने वाली परेड 2021 के राज्य की झांकी

Most popular questions uttarakhand

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 कुमाऊँ मंडल को पुराणों में किस नाम से जाना जाता है ? मानसखंड  गढ़वाल मंडल को पुराणों में किस नाम से जाना जाता है ? केदारखंड

अनुसूचित जनजातियों के बारे में पूछे जाने वाले प्रशन 'उत्तराखंड सामान्य ज्ञान'

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  अनुसूचित जनजाति के संदर्भ में पूछे जाने वाले प्रश्न उत्तर उत्तराखंड राज्य में मुख्य रूप से 5 जातियां है जिन्हें 1967 में अनुसूचित जनजाति घोषित किया गया । राज्य में अनुसूचित जनजातियों को 4 प्रतिशत आरक्षण प्राप्त है  सबसे ज्यादा शिक्षित अनुसूचित जानजाति के लोग रुद्रप्रयाग जिले में है । सबसे कम शिक्षित अनुसूचित जनजाति के लोग ऊधम सिंह नगर जिले में है। अनुसूचित जनजाति की सबसे अधिक आबादी उधम सिंह नगर जिले में है । अनुसूचित जनजाति की सबसे कम आबादी रुद्रप्रयाग जिले में है । अनुसूचित जनजाति  उत्तराखंड में अनुसूचित जनजातियां कितने प्रतिशत है उत्तराखंड में सबसे ज्यादा अनुसूचित जनजातियां कहां रहते हैं उत्तराखंड में सबसे ज्यादा शिक्षित अनुसूचित जनजाति कहां है उत्तराखंड में सबसे अनुसूचित जनजाति कहां है उत्तराखंड में अनुसूचित जनजाति कितने रूप हैं  उत्तराखंड में अनुसूचित जनजाति कब घोषित किया गया उत्तराखंड में अनुसूचित जनजाति सबसे कम शिक्षित हैं उत्तराखंड में अनुसूचित जनजाति कौन-कौन सी हैं

Historical Heritage shyaamalaataal ("श्यामलाताल" #ऐतिहासिक_धरोहर_श्यामलाताल)

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 "श्यामलाताल" #ऐतिहासिक_धरोहर_श्यामलाताल श्याम यानी गहरा काला रंग, इसी रंग के जल से भरी एक ताल जनपद चंपावत की टनकपुर तहसील से 22.6 किलोमीटर दूरी पर सुखी ढाक नामक कस्बे के करीब समुद्र तल से 1500 की ऊंचाई पर स्थित है। श्यामलाताल अपने विहंगम दृश्य और शांत वातावरण के कारण पर्यटकों को स्वर्ग से सुंदरता का अनुभव कराती है, इसी प्राकृतिक खूबसूरती के वजह से यहां साल 1913 में  स्वामी विवेकानंद ने एक आश्रम की स्थापना की थी जो आज भी सरोवर के किनारे देखने को मिलता है। इसी के साथ यहां आयोजित होने वाला प्रसिद्ध झूला मेला पर्यटकों को हर साल लुभाता है। आपको जब कभी अवसर मिले तो इस स्थान का भ्रमण जरूर करें और साथ ही ध्यान रहे कि प्रकृति के प्रति उदार रहना मानव सभ्यता का अभिन्न अंग रहा है तो किसी भी तरह का प्रदूषण या प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग ना करें। #ऐतिहासिक_धरोहर_श्यामलाताल श्यामलाताल , टनकपुर से चम्पावत की ओर लगभग 22 कि.मी. दूरी पर स्थित एक पर्यटन स्थल है | श्यामलाल एक प्राकृतिक झील है जो कि खटीमा शहर से 30 किमी दूर स्थित एक सुंदर गांव में स्थित है । जैसा कि नाम से ही स्पष्ठ है कि झील

इसे गुरुद्वारे को सिखों द्वारा अत्यधिक पवित्र माना जाता है (This Gurudwara is considered highly sacred by the Sikhs.)

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 रीठा साहिब गुरुद्वारा जिसे मीठा रीठा साहिब भी कहा जाता है , इसे गुरुद्वारे को सिखों द्वारा अत्यधिक पवित्र माना जाता है   उत्तराखण्ड के चंपावत  जिले में ड्युरी नामक एक छोटे गांव में स्थित है । इसे गुरुद्वारे को सिखों द्वारा अत्यधिक पवित्र माना जाता है और यह पवित्र स्थान चम्पावत से लगभग 72 कि.मी. की दुरी पर स्थित है । इस गुरुद्वारा का निर्माण 1960 में गुरु साहिबान ने करवाया था और यह ड्युरी गांव के निकट स्थित लोदिया और रतिया नदी के संगम पर स्थित है । गुरूद्वारा रीठा साहिब उत्तराखण्ड राज्य के समुद्री तल से 7000 फुट की ऊच्चाई पर स्थित है | इस स्थान के बारे में यह कहा जाता है कि गुरु नानक जी ने इस जगह का दौरा किया था और ऐसी मान्यता है कि गुरू नानक जी गोरखपंथी जोगी से धार्मिक और अध्यात्मिक चर्चा के लिए यहां आए थे | यह जगह एक खास तरह के मीठे रीठा फल (कटुआ – साबुन का फल) पेड़ों के लिए भी प्रसिद्ध है । इस गुरुद्वारे के निकट ढ़ेरनाथ का मंदिर स्थित है | बैसाखी पूर्णिमा के अवसर पर इस मंदिर में विशाल मेले का आयोजन किया जाता है | शान्ति का केन्द्र होने के साथ-साथ यह गुरूद्वारा सदीयों से आपसी भाईचारक-

चंद राजाओं के किले (वर्तमान तहसील) के द्वार पर स्थित नागनाथ मंदिर (Nagnath Temple located at the gate of the Chand Kings' Fort (present day Tehsil).)

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 नागनाथ मंदिर, चम्पावत चंद राजाओं के किले (वर्तमान तहसील) के द्वार पर स्थित नागनाथ मंदिर । उत्तराखंड पर पहले नागवंशियों का भी राज था।  नागवंशी वो होते थे, जिनके आराध्य नागराजा हुआ करते थे।  चमोली जिले में कभी नागपुर गढ़ हुआ करता था।  ये ही नागवंशियों का गढ़ हुआ करता था।  कहा जाता है कि नागवंशियों ने यहां राज ही नहीं बल्कि सुशासन किया था।  सभ्यता को बहुत जल्द ही उत्तराखंड के इस जिले में लाया गया था।  नागवंशियों के इस गढ़ में ही नागनाथ मंदिर बना हुआ है।  कहा जाता है कि इस मंदिर में कभी नागशिला हुआ करती थी।  स्थानीय लोगों का कहना है कि इस नागसिला के दर्शन बेहद ही पुण्यदायक होते थे।

जानाए हिंदुस्तान का अंतिम गांव माणा के बारे मैं

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 हिंदुस्तान का अंतिम गांव माणा  चमोली, उत्तराखण्ड  नीती तथा माणा भारतवर्ष के उत्तर में सीमान्त गॉंवों के नाम हैं। ये दोनों गॉंव उत्तराखण्ड प्रदेश के चमोली नामक जिले के उत्तरी क्षेत्र में स्थित हैं। भारत के अन्तिम गॉंव तथा देवभूमि की रमणीक हिमालयी प्राकृतिक विरासत के लिये प्रसिद्ध हैं। ऐतिहासिक पृष्टभूमि नीती व माणा भारत के अन्तिम और प्राचीन गॉंव होने के कारण इन दोनों गॉंवों का इतिहास भी प्राचीनतम है। यह दोनों गॉंव [[तिब्बत (चीन) के मुख्य दर्रे पर हैं। नीती माणा क्षेत्र प्राचीन भारत की आध्यात्मिक, ऐतिहासिक, व्यापारिक व रक्षा-सुरक्षा समेत कई अन्य गूढ़ रहस्यों से समाविष्ट है। यह दोनों गॉंव तिब्बत (चीन) के प्राचीन मुख्य दर्रे होने के कारण महत्वपूर्ण व्यापारिक क्षेत्र रहा है, जिनकी ऐतिहासिक पृष्टभूमि विस्तृत है। भौगोलिक स्थिति नीती माणा नामक दोनों गॉंव, जिन्हें भारत के अन्तिम गॉंव कहते हैं, भारत के उत्तरी छोर पर हैं। समुद्र सतह से क्रमश: 3600 तथा 3134 मीटर की ऊँचाई पर सरस्वती नदी के समीप स्थित हैं। अत्यन्त दुर्गम व हिमाच्छादित पहाडि़यों के कारण एक गॉंव से दूसरे गॉंव की दूरी लगभग 130 किलोमीट

उत्तराखंड में भारत का सबसे लंबा सिंगल लेन सस्पेंशन ब्रिज तैयार, 3 लाख की आबादी को फायदा

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 उत्तराखंड. टिहरी गढ़वाल। उत्तराखंड में भारत का सबसे लंबा सिंगल लेन सस्पेंशन ब्रिज तैयार, 3 लाख की आबादी को फायदा कोरोना काल की चुनौतियों के बीच टिहरी-उत्तरकाशी के लोगों की एक बड़ी समस्या हल होने वाली है। टिहरी बांध पर बना देश का सबसे लंबा सिंगल लेन सस्पेंशन ब्रिज डोबरा-चांठी पुल बनकर तैयार है। टिहरी और उत्तरकाशी के लोग इस पुल के बनने का सालों से इंतजार कर रहे थे, अब ये इंतजार खत्म हो गया है। बहुत जल्द ये पुल प्रतापनगर के लोगों को समर्पित कर दिया जाएगा। 3 लाख की आबादी को इस पुल का फायदा मिलेगा। खूबसूरत डोबरा-चांठी पुल का वीडियो आपको दिखाएंगे, लेकिन उससे पहले इसकी खूबियां जान लेते हैं। प्रतापनगर की लाइफलाइन कहा जाने वाला डोबरा-चांठी पुल देश का सबसे लंबा सस्पेंशन ब्रिज है, इसे टिहरी झील के ऊपर बनाया गया है। पुल को आकर्षक बनाने के लिए इस पर अत्याधुनिक फसाड लाइटिंग सिस्टम भी लगाया जा रहा है, जिस पर पांच करोड़ की लागत आएगी। इस तरह उत्तराखंड का ये शानदार ब्रिज दिल्ली के सिग्नेचर और कोलकाता के हावड़ा ब्रिज की तरह जगमगाएगा। टिहरी बांध पर बने देश के सबसे लंबे सिंगल लेन सस्पेंशन ब्रिज की लंबाई 7

Kumauni song 2021 - Kamla, no pate ghagheri, Hit Chanara, उत्तरायणी कौतिक जैऊंला

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(1) Gopal Babu Goswami RBG #kamla_kumaonisong #ramesh_babu_goswami #newpaharisong Kamla |कमला | New Kumaoni Dj Song 2021 | Ramesh gopal Babu Goswami | asheem mangoli (2) PAHADI DAGDIYA  #Anisha#new_kumaoni_song_2021#kumaoni_song_2021 New Kumaoni song 2021||नौ पाटे घाघेरी|| uttarani kautik | Singer- DARSHAN FARSWAN & ANISHA RANGHAR  (3)Pahadi Man Hit Chanara Bageshwar Bazar singer man joshi letest kumauni song 2021  #uttranikotik2021 (4)Puran Danu #Basanti_Bisht_New_song (उत्तरायणी कौतिक जैऊंला) Latest Kumauni song-2021ll Puran Danu Presents

कविता उत्तरायणी का त्यौहार। (Festival of Poetry Uttarayani.)

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 कविता उत्तरायणी का त्यौहार। (Festival of Poetry Uttarayani.) अब के बरस जो आया उत्तरायणी का त्यौहार। मिल कर कौवे सारे करने लगे करने लगे विचार।। सयाने कौवे ने करने विचार फिर एक सभा बुलाई। मिलकर सब कौवों ने शिकायत थी दर्ज कराई।। घुघती का त्यौहार है  श्रीमान अब बस आनेवाला। ताले पड़े घरों में घुघुते भला है कौन बनाने वाला।। काले कौवा काले कह कर कौन हमें बुलायेगा। बड़े,पूरी और घुघुतों से कौन हमें अब लुभायेगा।। बोला एक कौवा तब हम भी पलायन करते हैं। यहाँ ना सही परदेश में ही स्वाद घुघुतों का चखते हैं। ठहरो सब तभी सयाने कौवे ने आवाज़ लगाई।। जाने क्या सोच कर उसकी आँखें थी भर आई।। बोला मिलेगा वहाँ सम्मान इस आशा में जाना बेकार। पहाड़ो सा नहीं मनाते वहाँ उत्तरायणी का यह त्यौहार।। दौड़ धूप में शहर की नयी पीढ़ी भूली सब पुरानी बातें। घुघुते कौन बनायेगा जब पिज्जा बर्गर से कटती हैं रातें।। कहते है पलायन , पलायन तो हम पंछी भी करते हैं। याद मुल्क की ना बिसरे ,वापस फिर उड़ान  भरते हैं।। उम्मीदों के सपनों में माना यहाँ पलायन भी जरुरी है। पर अपनी जडों से दूरी बनाना भला ये कैसी मजबूरी है।। इस बार चलो घुघुतों का त्यौह

उत्तरायनी यानी घुघुतिया त्योहार मकर सक्रांति की आपको बहुत ढेर सारी शुभकामनाएं Many wishes to you for Uttarayani i.e. Ghughutia festival Makar Sakranti

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 काले कौवा काले घुघुति माला खा ले उत्तरायनी यानी घुघुतिया त्योहार मकर सक्रांति की आपको बहुत ढेर सारी शुभकामनाएं  उत्तराखंड राज्य के कुमाऊं में मकर संक्रांति पर 'घुघुतिया' के नाम एक त्योहार मनाया जाता है। इस त्योहार की अपनी अलग ही पहचान है। त्योहार का मुख्य #आकर्षण कौवा है। बच्चे इस दिन बनाए गए घुघुते कौवे को खिलाकर कहते हैं- 'काले कौवा काले घुघुति माला खा ले'।   कविता उत्तरायणी का त्यौहार। (Festival of Poetry Uttarayani.) इस त्योहार के संबंध में एक प्रचलित कथा के अनुसार बात उन दिनों की है, जब कुमाऊं में चन्द्र वंश के राजा राज करते थे। राजा कल्याण चंद की कोई संतान नहीं थी। उनका कोई उत्तराधिकारी भी नहीं था। उनका मंत्री सोचता था कि राजा के बाद राज्य मुझे ही मिलेगा।    एक बार राजा कल्याण चंद सपत्नीक बाघनाथ मंदिर में गए और संतान के लिए प्रार्थना की। बाघनाथ की कृपा से उनका एक बेटा हो गया जिसका नाम #निर्भयचंद पड़ा। निर्भय को उसकी मां प्यार से 'घुघुति' के नाम से बुलाया करती थी। घुघुति के गले में एक मोती की माला थी जिसमें घुंघुरू लगे हुए थे। इस माला को #पहनकर घुघुति बहुत

आपको एवं आपके परिवर को मकर संक्रांति, लोकपर्व उत्तरैणी,खिचड़ी,घुघुती त्योहार, के पावनपर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।

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 आपको एवं आपके परिवर को मकर संक्रांति, लोकपर्व उत्तरैणी,खिचड़ी,घुघुती त्योहार, के पावनपर्व की हार्दिक शुभकामनाएं। आज माषांति छु , भोल हूँ मकर संक्रांति छु, यानी सूर्य भगवान मकर संक्रांति में प्रवेश कर उत्तर दिशा में उनि और य वजहल यके उतरैणी तयार ले कुनि,  गढ़वाल कुमाऊँ श्रेत्र में सरयु गंगा पार जो लोग रूनी वो लोग आज घुघुती (खजूरे) आज बने बेर भोल रत्ते कौवा के खिलूनी और इधर सैड वाल भोल हुं बने बेर पोरहु रत्ते कौवा के खिलूनी,  आपु सबनके घुघुती त्यार मकर संक्रांति और उतरैणी तयार क अग्रिम शुभकामनाएं  🙏 सुप्रभात मित्रों 🙏 🌺🍀🌸 गुरुवार मकर संक्रांति ,उत्तरायणी ,घुघुतिया त्योहार की हार्दिक शुभकामनाएं 🌸🍀🌺 भास्करस्य यथा तेजो मकरस्थस्य वर्धते। तथैव भवतां तेजो वर्धतामिति कामये।। मकरसंक्रांन्तिपर्वणः सर्वेभ्यः शुभाशयाः।

मेरी देवभूमि मेरो पहाड़ श्री नगर गढ़वाल.......

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मेरी देवभूमि मेरो पहाड़ श्री नगर गढ़वाल.......  (Meri Dev Bhoomi Mero Pahad Shri Nagar Garhwal) पौराणिक काल से ही उत्तराखंड राज्य स्थित श्रीनगर का प्राचीन शहर, जो बद्रीनाथ के मार्ग में स्थित है, निरंतर बदलाव के बाद भी अपने अस्तित्व को बचाये रखा है। श्रीपुर या श्रीक्षेत्र उसके बाद नगर के बदलाव सहित श्रीनगर, टिहरी के अस्तित्व में आने से पहले एकमात्र शहर था। वर्ष 1680 में यहां की जनसंख्या 7,000 से अधिक थी तथा यह एक वाणिज्यिक केंद्र जो बाजार के नाम से जाना जाता था, पंवार वंश का दरबार बना। कई बार विनाशकारी बाढ़ का सामना करने के बाद अंग्रेजों के शासनकाल में एक सुनियोजित शहर के रूप में उदित हुआ और अब गढ़वाल का सर्वश्रेष्ठ शिक्षण केंद्र है। विस्थापन एवं स्थापना के कई दौर से गुजरने की कठिनाई के बावजूद इस शहर ने कभी भी अपना उत्साह नहीं खोया और बद्री एवं केदार धामों के रास्ते में तीर्थयात्रियों की विश्राम स्थली एवं शैक्षणिक केंद्र बना रहा है और अब भी वह स्वरूप विद्यमान है। श्रीनगर के स्थानीय आकर्षणों तथा आस-पास के घूमने योग्य स्थान यहां के समृद्ध इतिहास से जुड़े हैं। चूकि यह गढ़वाल के पंवार राजवंश

कर्णप्रयाग उत्तराखंड स्थानीय आकर्षण प्रयाग/संगम कर्ण प्रयाग उमा देवी मंदिर मुख्य शहर

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 कर्णप्रयाग उत्तराखंड  स्थानीय आकर्षण प्रयाग/संगम कर्ण प्रयाग उमा देवी मंदिर मुख्य शहर  अलकनंदा एवं पिंडर नदियों के संगम पर बसा कर्णप्रयाग एक सुसुप्त शहर है जहां जाड़ों में अलसाये भाव से लोग धूप सेकते नजर आते हैं। गर्मियों में यात्रा मौसम के दौरान अकस्मात यह एक जाग्रत कार्यकलापों का दृश्य उपस्थित करता है क्योंकि यात्रियों से भरी बसें यहां लगातार आती रहती है और यात्री या तो विश्राम करते या रात्रि में ठहरते हैं। पर्यटक सुविधाओं के अलावा इस शहर में यात्रियों को देखने एवं करने को बहुत कुछ उपलब्ध है। मुख्य शहर  कर्णप्रयाग छोटा होते हुए भी काफी बड़े क्षेत्र में फैला है क्योंकि आस-पास के कई गांव नगर पंचायत क्षेत्र में शामिल कर लिये गये है। आप ऋषिकेश से जब कर्णप्रयाग में प्रवेश करते है तो पुराना शहर पिंडर नदी के दाहिने तट पर स्थित है। नदी पर पुल को पार कर आप उमा देवी मंदिर तथा प्रयाग के घाट पहुंच जाते हैं। यह सड़क आगे बद्रीनाथ की ओर चली जाती है। शहर में कई बाजार, होटल, लॉज एवं भोजनालय हैं, जो बद्रीनाथ जाते हुए यात्रियों एवं तीर्थयात्रियों की आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। यहां से 7 किलोमीटर दू

उमा देवी मंदिर मंदिर की स्थापना 8वीं सदी में आदि शंकराचार्य द्वारा

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 उमा देवी मंदिर मंदिर की स्थापना 8वीं सदी में आदि शंकराचार्य द्वारा हुई  जबकि उमा देवी की मूर्ति इसके बहुत पहले ही स्थापित थी। कहा जाता है कि संक्रसेरा के एक खेत में उमा का जन्म हुआ। एक डिमरी ब्राह्मण को देवी ने स्वप्न में आकर अलकनंदा एवं पिंडर नदियों के संगम पर उनकी प्रतिमा स्थापित करने का आदेश दिया। डिमरियों को उमा देवी का मायके माना जाता है जबकि कापरिपट्टी के शिव मंदिर को उनकी ससुराल समझा जाता है। हर कुछ वर्षों बाद देवी 6 महीने की जोशीमठ तक गांवों के दौरे पर निकलती है। देवी जब इस क्षेत्र से गुजरती है तो प्रत्येक गांव के भक्तों द्वारा पूजा, मडान तथा जाग्गरों का आयोजन किया जाता है जहां से वह गुजरती है। जब वह अपने मंदिर लौटती है तो एक भगवती पूजा कर उन्हें मंदिर में पुनर्स्थापित कर दिया जाता है। इस मंदिर पर नवरात्री समारोह धूम-धाम से मनाया जाता है। यहां पूजित प्रतिमाओं में उमा देवी, पार्वती, गणेश, भगवान शिव तथा भगवान विष्णु शामिल हैं। वास्तव में, उमा देवी की मूर्ति का दर्शन ठीक से नहीं हो पाता क्योंकि इनकी प्रतिमा दाहिने कोने में स्थापित है जो गर्भगृह के प्रवेश द्वार के सामने नहीं पड़ता

लैंसडाउन पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखण्ड (Lansdowne is the history city of the state of Uttarakhand. Along with this Garhwal Army traning place is also here, there is a beautiful hill here.)

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 लैंसडाउन पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखण्ड लैंसडाउन उत्तराखण्ड राज्य (भारत) के पौड़ी गढ़वाल जिले में एक छावनी शहर है। उत्तराखण्ड के गढ़वाल में स्थित लैंसडाउन बेहद खूबसूरत पहाड़ी है। समुद्र तल से इसकी ऊँचाई 1706 मीटर है। यहाँ की प्राकृतिक छटा सम्मोहित करने वाली है। यहाँ का मौसम पूरे साल सुहावना बना रहता है। हर तरफ फैली हरियाली आपको एक अलग दुनिया का एहसास कराती है। दरअसल, इस जगह को अंग्रेजों ने पहाड़ों को काटकर बसाया था। खास बात यह है कि दिल्ली से यह हिल स्टेशन काफी नजदीक है। आप 5-6 घंटे में लैंसडाउन पहुँच सकते हैं। अगर आप बाइक से लैंसडाउन जाने की योजना बना रहे हैं तो आनंद विहार के रास्ते दिल्ली से उत्तर प्रदेश में प्रवेश करने के बाद मेरठ, बिजनौर और कोटद्वार होते हुए लैंसडाउन पहुँच सकते हैं। गढ़वाल राइफल्स का गढ़ खूबसूरत हिल स्टेशन लैंसडाउन को अंग्रेजों ने वर्ष 1887 में बसाया था। उस समय के वायसराय ऑफ इंडिया लॉर्ड लैंसडाउन के नाम पर ही इसका नाम रखा गया। वैसे, इसका वास्तविक नाम कालूडांडा है। यह पूरा क्षेत्र सेना के अधीन है और गढ़वाल राइफल्स का गढ़ भी है। आप यहाँ गढ़वाल राइफल्स वॉर मेमोरियल और रेजि

#Garhwalisong Latesh Song Uttarakhand

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#Garhwalisong Latesh Song Uttarakhand  (1)  LB Shivam Bhatt Official Dhol Damo | Uttarakhandi Song | LB Shivam Bhatt | Saurav Maithani | Darshan Farswan | Meghna Chandra (2) Beleshwar dham SARKARI JAWAIN || 2021 NEW GARHWALI DJ SONG|| KAMAL DHANAI & VANDANA RAWAT|| BELESHWAR DHAM (3) Sankalp Buransh Films Ghanghor Maya | Ashish Chamoli ft. Astha Singh | Khushi Gahtiyari | New Uttarakhandi Song 2021 (4) RANGRA PRODUCTION CHALPATTI || LATEST GARHWALI VIDEO SONG 2021|| AJAY SOLANKI, AISHA BISHT||RANGRA PRODUCTION   गोपाल बाबू गोस्वामी उत्तराखण्ड राज्य के एक सुविख्यात व लोकप्रिय कुमाऊँनी लोकगायक थे। Indian television artist in Uttarakhand Hemant Pandey सुधीर पांडे एक भारतीय फिल्म और धारावाहिक टेलीविजन अभिनेता हैं। Uttarakhand hero indian telivision actor Rupa Durgapal Uttarakhand Hero ManishPandey Biography(मनीष पांडे जीवनी)   एक कहानी वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की उत्तराखंड में स्वतंत्रता आन्दोलन का इतिहास कुछ इस प्रकार था सब छोटी उम्र मैं अपने दुश्मन राजाओं को छठी का दूध याद रान

कविता चीड़ और देवदार के के पेड़ों से यह सीख (Learn this from the poetry of pine and cedar trees)

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कविता चीड़ और देवदार के के पेड़ों से यह सीख  (Learn this from the poetry of pine and cedar trees)  चीड़ और देवदार चीड़ और देवदार के जंगल चीड़  उठाये रखता है  अपनी सभी साखें  आसमान की ओर वहीं देवदार  झुका देता है अपनी निचली बाहें जमीन की ओर मानो वो बनाए रखना चाहता हो अपना मिट्टी से तालुक शत् फुट ऊंचा होने बाद भी इसलिए शायद देवदार होता है  शत् सहस्र फुट ऊंचाई पर  और चीड़ केवल निचले पहाड़ों पर   गोपाल बाबू गोस्वामी उत्तराखण्ड राज्य के एक सुविख्यात व लोकप्रिय कुमाऊँनी लोकगायक थे। Indian television artist in Uttarakhand Hemant Pandey सुधीर पांडे एक भारतीय फिल्म और धारावाहिक टेलीविजन अभिनेता हैं। Uttarakhand hero indian telivision actor Rupa Durgapal Uttarakhand Hero ManishPandey Biography(मनीष पांडे जीवनी) एक   एक कहानी वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की उत्तराखंड में स्वतंत्रता आन्दोलन का इतिहास कुछ इस प्रकार था सब छोटी उम्र मैं अपने दुश्मन राजाओं को छठी का दूध याद रानी कर्णावती का नाम रक्षाबंधन से अक्सर जोड़ दिया जाता है। मुगल सैनिकों की नाक काटने वाली गढ़वाल की रानी कर्णावती  ❝ ❝तीलू रौतेली❞ गढ़