प्रमुख चोटियां/श्रेणियां Major peaks / ranges


उत्तराखंड प्रमुख चोटियां/श्रेणियां 

Major peaks / ranges 

नंदादेवी               7817               चमोली
कामेट                  7756                चमोली
बद्रीनाथ              7138                चमोली
केदारनाथ           6945                चमोली
पंचाचूली            6904                पिथौरागढ़
बंदरपूंछ             6315               उत्तरकाशी
गंगोत्री                6672              उत्तरकाशी

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नन्दा देवी राजजात 

उत्तराखंड में नंदादेवी के अनेक मंदिर हैं. यहाँ की अनेक नदियां एवं पर्वत श्रंखलायें, पहाड़ और नगर नंदा के नाम पर है. नंदादेवी, नंदाकोट, नंदाभनार, नंदाघूँघट, नंदाघुँटी, नंदाकिनी और नंदप्रयाग जैसे अनेक पर्वत चोटियां, नदियां तथा स्थल नंदा को प्राप्त धार्मिक महत्व को दर्शाते हैं.
नंदा के सम्मान में कुमाऊं और गढ़वाल में अनेक स्थानों पर मेले लगते हैं. भारत के सर्वोच्य शिखरों में भी नंदादेवी की शिखर श्रृंखला अग्रणीय है लेकिन कुमाऊं और गढ़वाल वासियों के लिए नंदादेवी शिखर केवल पहाड़ न होकर एक जीवन्त रिश्ता है.  इस पर्वत की वासी देवी नंदा को क्षेत्र के लोग बहिन-बेटी मानते आये हैं.

हर वर्ष उत्तराखंड की जनता द्वारा मां नंदा-सुनंदा की पूजा-अर्चना पूर्ण भक्ति भाव के साथ की जाती है. प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल पक्ष आयोजित होने वाली नंदादेवी मेला समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा की याद दिलाता है.

धार्मिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मां नंदादेवी का मेला प्रत्येक वर्ष पर्वतीय क्षेत्र में विशेष उत्साह के साथ मनाया जाता है. मां नंदा को पूरे उत्तराखंड में विशेष मान मिला है. वेदों में जिस हिमालय पर्वत को देवात्मातुल्य माना गया है नंदा उसी की सुपुत्री है. कुमाऊं की संस्कृति को समझने के लिए नन्दादेवी मेला देखना जरुरी है.
आदिशक्ति नंदा देवी को उत्तराखंड में बड़ी श्रद्धा से पूजने की परंपरा शताब्दियों से है. मां नंदा के मान-सम्मान में उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिवर्ष मेलों का आयोजन किया जाता है. यह मेला अल्मोड़ा सहित नैनीताल, कोटमन्या, भवाली, बागेश्वर, रानीखेत, चम्पावत व गढ़वाल क्षेत्र के कई स्थानों में आयोजित होते है.
उत्तराखंड में गढ़वाल के पंवार राजाओं की भांति कुमांऊ के चन्द राजाओं की कुलदेवी भी नंदादेवी ही थीं इसलिये दोनों ही मंडलों के लोग नन्दा देवी के उपासक हैं.

नंदा देवी का मेला चंद वंश के शासन काल से अल्मोड़ा में मनाया जाता रहा है. इसकी शुरुआत राजा बाज बहादुर चंद के शासन काल से हुई थी. राजा बाज बहादुर चंद ( सन् 1638-78 ) ही नन्दा की प्रतिमा को गढ़वाल से उठाकर अल्मोड़ा लाये थे. इस विग्रह को उस कालखंड में अल्मोड़ा कचहरी परिसर स्थित मल्ला महल में स्थापित किया गया था. सन 1815 में ब्रिटिश हुकुमत के दौरान तत्कालीन कमिश्नर ट्रेल ने नन्दा की प्रतिमा को मल्ला महल से दीप चंदेश्वर मंदिर, अल्मोड़ा में स्थापित करवाया था.

कामेट

बद्रीनाथ

केदारनाथ

पंचाचूली

बंदरपूंछ

गंगोत्री



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