भारत उत्तराखंड अल्मोड़ा (सब कुछ) India Uttarakhand Almora (Everything)
जनपद - अल्मोड़ा Almora
अन्य नाम-रामशिला क्षेत्र, आलमनगर
- अभिलेखीय दृष्टि से त्रिमलचन्द के 1628 ई0 के ताग्रपत्र एव बाजबहादुर चन्द के ताम्रपत्र (1669) में अल्मोड़ा शब्द का उल्लेख है।
- सर्वमान्य मत है कि स्थानीय घास चल्मोड़ा के कारण अल्मोड़ा नाम की उत्पत्ति हुई।
- चन्द राजाओं ने औरंगजेब को खुश करने हेतु आलमनगर नाम रखा।
- 1891 तक इसे कुमाऊं जिला नाम से जाना जाता था।
- मध्यकाल में इसे राजपुर या राजापुर कहा जाता था।
- 1864 में नगरपालिका बनी।
- राजा भीष्मचन्द (1555-1560) ने खगमरा कोट राजधानी बनाई किन्तु रामगढ़ के गढ़पति गजुवाठिंगा ने कोट पर धावा कर भीष्म चन्द की हत्या कर दी।
- पिता की मृत्यु के पश्चात् पुत्र बालो कल्याण (1560-1568) में आलमनगर की स्थापना कर नगर को राजधानी बनाई।
- 1790 में गोरखों के अधीन हो गया।
- 1815 में हुए संगोली, चम्पारण, बिहार के समझौते से अल्मोड़ा (कुमाऊ) अंग्रेजों के कब्जे में आ गया।
- अल्मोड़ा को भौगोलिक आधार पर दो भागों में बांटा जाता है-
- तेलीफाट- पूर्वी अल्मोड़ा का सीधी धूप वाला क्षेत्र।
- सेलीफाट- कम धूप वाला पश्चिमी अल्मोड़ा का भाग।
मुख्यालय- अल्मोड़ा
स्थापना वर्ष - 1891
- पूर्व में -पिथौरागढ़ व चम्पावत
- पूर्वोत्तर -बागेश्वर
- उत्तर में -चमोली
- पश्चिम में -पौड़ी
- दक्षिण में -नैनीताल
- क्षेत्रफल - 3144 वर्ग किमी
- जनसंख्या - 6,22,506 (6.17%)
- पुरुष - 291081
- महिला -331425
- ग्रामीण - 547930
- शहरी - 74580
- जनघनत्व- 198
- साक्षरता-80.47%
- पुरुष-92.86%
- महिला-69.93%
- लिंगानुपात- 1139
- शिशु लिंगानुपात- 922
अल्मोड़ा तहसीलें (11) -
- अल्मोड़ा,
- रानीखेत,
- भिकियासैण,
- सल्ट,
- धौलछीना,
- चौखुटिया,
- सोमेश्वर,
- द्वाराहाट,
- भनौली,
- जैंती,
- स्याल्दे
अल्मोड़ा उपतहसीलें (5) -
- लमगड़ा,
- जालली,
- बग्याली-
- पोखर,
- ध्याड़ी
- मछोड़
अल्मोड़ा विकासखण्ड (11) -
- ताड़ीखेत,
- चौखुटिया,
- ताकुला,
- सल्ट,
- भिकियासैण,
- लमगड़ा,
- हवालबाग,
- भैसियाछाना(धौलछिना),
- द्वाराहाट,
- स्याल्दे
- धौलादेवी
अल्मोड़ा विधानसभा सीट (6) -
- द्वाराहाट,
- सल्ट,
- रानीखेत,
- अल्मोड़ा,
- जागेश्वर,
- सोमेश्वर
अल्मोड़ा जिले की प्रमुख नदियां -
अल्मोड़ा- रामगंगा नदी-
- इसका प्राचीन नाम रथस्था था।
- यह नदी दधातोली से निकलती है प्रारम्भ में ये रिथिया कहलाती है,
- इसके बाद लोभा क्षेत्र में बहने से लोहावती एवं पल्ला गिवाड़ चौखुटिया से इसे पश्चिमी रामगंगा नाम मिलता है।
- विनौ इसकी प्रमुख सहायक नदियों में से है, अन्य सहायकों में खनसर गाड़(खारी गाड़), गगास एवं नैल प्रमुख है।
- भिकियासैण में गगास नदी बायें से तथा नौरार गाड़ दायें तट से मिलती है।
- इस नदी में मौण मेले के रूप डहौ उठाना का आयोजन किया जाता है।
अल्मोड़ा कोसी/कौशल्या/कोसिला नदी
- बूढ़ा पिननाथ शिखर बारामण्डल परगने के भदकोट से निकलती है।
- इसे कोसिला नदी के नाम से भी जाना जाता है। * इस नदी घाटी में सोमेश्वर क्षेत्र प्रमुख उपजाऊ घाटी है।
- इस घाटी को ही उत्तराखण्ड में धान का कटोरा (कौसानी से हवालबाग तक) कहते है।
- सुयाल नदी इसमें चौंसिला में आकर मिलती है।
अल्मोड़ा गोमती नदी-
- कत्यूर घाटी का निर्माण करने वाली गोमती नदी बधाण परगने की पिंडरपार पट्टी में अयारी मादेव गोमुख से आती है।
अल्मोड़ा गगास नदी-
- दूनागिरी से निकलती है। चंदास, रिस्कोई एवं बलवागाड़ प्रमुख सहायक नदियां है।
- गर्ग ऋषि के नाम से गगास नामकरण हुआ।
- पं0 रामगंगा में शामिल हो जाती है।
- यह भिकियासैण के निकट समाहित हो जाती है।
अल्मोड़ा सुआल नदी-
- बाड़ेछीना क्षेत्र से निकलकर कोसी में।
अल्मोड़ा जिले के प्रमुख मंदिर -
- चितई के गोलू देवता - न्याय के देवता के रूप में जाने जाते है। कत्यूरी राजा झालराई के पुत्र।
- कटारमल/बड़ादित्य का मंदिर -कोणार्क के बाद दूसरा सबसे बड़ा सूर्य मंदिर है।
- झांकर सेम का मंदिर- नागवंशीय शासकों का प्रतीक। इसे देवदार वनों का रक्षक माना जाता है।
- सोमेश्वर- महादेव मंदिर जो प्राचीन दूध कुण्ड की मान्यता हेतु प्रसिद्ध है।
- द्वाराहाट- प्राचीन मंदिरो का समूह है। इसे मध्यकाल में दोरा कहा जाता था।
- रत्नेश्वर मंदिर- गोरखा काल में निर्मित।
- कसार देवी मंदिर- काषय (कश्यप) पर्वत पर स्थिता गुफा मंदिर, जो देवी कात्यायनी को समर्पित।
- उद्योत चन्द्रेश्वर मंदिर- 1690-91 राजा उद्योत चंद द्वारा स्थापित है।
- शारदा मठ- स्त्री सन्यासिनियों हेतु गठित मठ।
- रामकृष्ण कुटीर- ब्राइटन कॉर्नर (विवेकानन्द कॉर्नर) पर स्थित। 22 मई, 1916 को स्वामीजी के गुरूभाई तुरियानन्द द्वारा स्थापित।
- डोल आश्रम- महंत बाबा कल्याणदासजी महाराज द्वारा स्थापित।
- रानीखेत के मंदिर- हैड़ाखान मंदिर, झूला देवी मंदिर, मनकामेश्वर मंदिर, कालिका मंदिर एवं शिव मंदिर।
- भिकियासैंण में मंदिर- निलेश्वर महादेव, रूद्रेश्वर महादेव
- स्याल्दे में मंदिर- वृद् केदार मंदिर, देघाटका देवी माता मंदिर, पत्थर खोला का शिव मंदिर।
- सल्ट में मंदिर- मनीला देवी का मंदिर, भौना देवी मंदिर, राजा हरूहीत मंदिर।
- सोमेश्वर के मंदिर- सोमनाथ मंदिर, बयाल बद्रीनाथ
- द्वाराहाट के मंदिर- दूनागिरी मंदिर, द्वाराहाट मदिर समूह,
- मनियान मंदिर समूह- सती पद चिह्न विभाण्डेश्वर, ईडा बाराखाम कत्यूर वंशीय वीर स्तम्भ, कचहरी देवाल, बद्रीनाथ मंदिर समूह, वनदेव मंदिर।
- भनोली के मंदिर- जागेश्वर मंदिर, डाण्डेश्वर मंदिर, नौ देवाल समूह मंदिर समूह, त्रिनेत्रेश्वर मंदिर एवं एकादश रुद्र बमन सुआल, कुबेर मंदिर, नारायण काली मंदिर, सैम धूरा, हरज्यू मंदिर, सिद्ध बाबा मंदिर।
- जैती के मंदिर- पानेश्वर मंदिर, मुडेश्वर महादेव मंदिर,
- चौखुटिया के मंदिर- अगनेरी मैयया मंदिर, चित्रेश्वर महादेव, महाकालेश्वर मंदिर, सरस्वती मूर्ति वीणाधर लखनपुर किला, लखनपुर किला।
- मासी के मंदिर- भूमिया मंदिर, सोमनाथेश्वर महादेव मंदिर, चूडाकर्ण महादेव मंदिर, राम पादुका मंदिर।
- ऊंटेश्वर मंदिर समूह- ग्यारह मंदिरों का समूह जो कनारा गांव, अल्मोड़ा में है।
- अल्मोड़ा मुख्यालय परिसर के आस-पास मंदिर उद्योतचन्द्रेश्वर मंदिर,
- त्रिपुरा सुन्दरी मंदिर,
- शै भैरव मंदिर,
- चितई मंदिर,
- कसार देवी मंदिर,
- कटारमल सूर्य मंदिर,
- गैराड़ मंदिर,
- तुला रामेश्वर मंदिर,
- लक्ष्मेश्वर मंदिर,
- कपिलेश्वर मंदिर,
- बिनसर महादेव मंदिर,
- रामशिला मंदिर समूह,
- खगमरा कोट मंदिर।
अन्य मंदिर-
- राम शिला मंदिर-
- नन्दा देवी मंदिर-
- पाताल देवी मंदिर-
- कपिलेश्वर
- बिनसर महादेव-
- जागेश्वर मंदिर समूह-
- गणनाथ गुफा मंदिर
- मुरली मनोहर मंदिर-
अल्मोड़ा प्रमुख आकर्षण -
- गोल्फ मैदान - गगास नदी (गर्गमुनि का आश्रम था अतः गगास नाम पड़ा) के तट पर गोल्फ मैदान है जिसका स्थानीय नाम उपट है।
- भालू डैम- 1903 में बनाया गया कृत्रिम डैम। इसे स्वर्णलता ताल भी कहा जाता है।
- चौबटिया-फलोद्यान का स्वर्ग।
- रानीखेत- रानीखेत का प्राचीन नाम झूला देव था। यह स्थल कृत्यूरी राजा सुधारदेव की रानी पद्मिनी का रमणीय स्थल था जिसके नाम पर इसका रानीखेत पड़ा।
- ताड़ीखेत
- 1920 में गांधीजी यहां आये थे। यहां गांधी कुटिया स्थित है।
- यहां ड्रग फैक्ट्री है।
- गोलू देवता का मंदिर भी है।
- यहां मनकामेश्वर मंदिर, शीतलाखेत मंदिर, मनीला, नागदेव ताल, चिलियानौला एवं रानी झील भी दर्शनीय स्थल है।
- भिकियासैंण- गगास एवं रामगंगा नदी के तट पर
- द्वाराहाट- इसे मंदिरों का नगर /कुमाऊं का खजुराहो भी कहा जाता है। इसे कहा जाता है।
- विभाण्डेश्वर- द्वाराहाट के निकट। इसे उत्तर का काशी भी कहा जाता है। यहां स्याल्दे-बिखौती का मेला आयोजित होता है।
अल्मोड़ा दूनागिरी-
- पुराणों में उल्लिखित द्रोणांचल पर्वत।
- कुमाऊँ का प्रसिद्ध सिद्धपीठ वैष्णवी शक्ति पीठ है। (1183)।
मृत्युंजय मंदिर समूह- नागर शिखर शैली में निर्मित है।
लखनपुर का किला
- कत्यूरी वंश की पुनर्रथापना के अवसर पर बैराटपट्टनम किले में यहां के लक्ष्मणपाल देव को परम महारक
- महाधिराज की उपाधि से विभूषित किया गया। उनके ही नाम पर किले का नाम लखनपुर (13वीं शताब्दी) पड़ा।
- मनियान मंदिर समूह-सात मंदिरों का समूह इनमें जैन तीर्थकरों की मूर्तियां है।
- कुटुम्बरी मंदिर समूह-1960 तक यह मंदिर अस्तित्व में था।
खुमाड़ का शहीद मेला
- 5 सितम्बर, 1942 को यहां जॉनसन द्वारा गोलीबारी का आदेश दिया गया था। जिसमें खीमदेव, गंगाराम एवं गंगा सिंह चूडामणी शहीद हुए थे।
- इस घटना को कुमाऊं का जलियावाला नाम से जाना जाता है।
चौखुटिया
- कुमाऊं का कश्मीर नाम से प्रसिद्ध गेवाड़ घाटी में स्थित तहसील।
- इसे नवरंगी गेवाड़ या रंगीलो गेवाड़ भी कहा जाता है।
जिले के प्रमुख मेले
- अल्मोड़ा का नन्दादेवी मेला
- जागेश्वर का श्रावणी मेला- पूरे श्रावण मास में आयोजित।
- सोमनाथ मेला- रामगंगा तट पर मई माह आयोजित। कुमाऊं का एकमात्र मेला जिसमें बैलों का क्रय-विक्रय होता है। यह मेला तीन दिन तक आयोजित होता है-
- तुल कौतिक- पहली रात्रि को सल्टिया मेला लगता है।
- नैथड़ा का मेला- गेवाड़ घाटी, चौखुटिया में नैथाना मंदिर में प्रतिवर्ष भाद्रपद मास की पहली गते को मेला लगता है।
- देघाट का मेला- स्याल्दे स्थित देघाट में प्रतिवर्ष चैत्राष्टमी को मेला लगता है जिसे देघाट का मेला कहते है। यह मेला विनोदा नदी के तट पर आयोजित होता है।
- अग्नेरी का मेला- चौखुटिया बाजार के पास रामगंगा के बायी ओर स्थित मां अग्नेरी के मंदिर में प्रतिवर्ष चैत्राष्टमी का मेला लगता है।
- दूनागिरी का मेला
- सैण की शिवरात
- मानिला का मेला
प्रमुख समाचार पत्र एवं पत्रिकाएं
- अल्मोड़ा अखबार - 1871-1918 तक इसके प्रथम सम्पादक बुद्धि बल्लभ पंत थे।
- शक्ति - 18 अक्टूबर, 1918 अल्मोड़ा अखबार के बन्द होने के बाद बद्रीदत्त पाण्डे द्वारा।
- कुमाऊँ कुमुद - 1922 बसन्त कुमार जोशी द्वारा प्रकाशित।
- स्वाधीन प्रजा - 1930 को पुष्प मोहन जोशी द्वारा शुरू ।
- समता - 1934 मुंशी हरि प्रसाद टम्टा द्वारा शुरू किया गया।
- हिलॉस - 1978 हयात सिंह रावत द्वारा शुरू किया गया।
- अल्मोड़ा समाचार - 1980 जय दत्त पंत द्वारा शुरू।
- पुरवासी - 1980 से लक्ष्मी भण्डार, हुक्का क्लब द्वारा निकाली जाने वाली वार्षिक पत्रिका।
- ब्याण तार - 1990 से अनिल भोज एवं दीपक कार्की द्वारा।
- अल्मोड़ा टाइम्स - 1987 से।
- द्रोणाचल टाइम्स - अल्पजीवी पत्र जो एडवोकेट उदय किरौला ने शुरू किया।
- प्रजाबन्धु - 1947 जय दत्त वैला द्वारा।
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