उत्तराखंड के पर्व त्योहार मेले एवं आभूषण (Festivals of Uttarakhand, Festivals Fairs and Jewellery)
उत्तराखंड के पर्व त्योहार मेले एवं आभूषण (Festivals of Uttarakhand, Festivals Fairs and Jewellery)
उत्तराखण्ड त्यौहार के प्रमुख पर्व-त्यौहार
- कुमाऊँ क्षेत्र में मकर संक्रान्ति के अवसर पर मनाया जाने वाला प्रमुख घुघतिया
- घुघतिया त्यौहार पर विशेष रूप से बनाए गए टेढ़े-मेढ़े घुघुत होते हैं आटे के बने
- घुघतिया त्यौहार का अन्य नाम है काला कौआ त्यौहार
- सम्पूर्ण प्रदेश में सूर्य के उत्तराखण्ड के बाद मनाया जाने वाला त्यौहार है पंचमी
- पंचम के अवसर पर किन पत्तों की पूजा कर मन्दिर में चढ़ाया जाता है? जौ के पत्तों की
- सम्पूर्ण प्रदेश में फूल संग्राद त्यौहार कब मनाया जाता है? चैत मास के प्रथम दिन
- किस त्यौहार के अवसर पर कुँआरे बच्चों द्वारा माँगे हुए अनाज का हलवा बनाकर देवी की पूजा की जाती है? फूल संग्राद पर
- फूल संग्राद के अवसर पर देवी को प्रसन्न करने के लिए किनके द्वारा विभिन्न वाद्ययन्त्र बजाकर प्रस्तुति की जाती है? औजी लोगों द्वारा
- विषवत् संक्रान्ति (बिखौती) त्यौहार मनाया जाता है बैशाख माह के प्रथम दिन
- उत्तराखण्ड में पर्यावरण संरक्षण एवं पौध-रोपण के रूप में मनाया जाने वाला त्यौहार है हरेला
- सम्पूर्ण प्रदेश में हरेला त्यौहार मनाया जाता है श्रावण मास के प्रथम दिन
- हरेला त्यौहार के अवसर पर किस देवता की पूजा की जाती है? शिव-पार्वती, गणेश एवं कार्तिकेय की
- चैत्र माह की अष्टमी को 'चैतोल' त्यौहार विशेष रूप से मनाया जाता है पिथौरागढ़ में
- चैतोल त्यौहार के अवसर पर किस देवता की पूजा की जाती है? स्थानीय देवता देवल की
- बीमारियों से बचाव हेतु नन्दा देवी के दूतों की पूजा की जाती है सारा त्यौहार में
- गढ़वाल क्षेत्र में सारा त्यौहार मनाया जाता है वैशाख माह में
- किस त्यौहार के अवसर पर दूब घास की पत्तियाँ घी में डुबोकर सिर पर लगाई जाती हैं? घी संक्रान्ति
- घी संक्रान्ति का अन्य नाम है ओलगिया
- सम्पूर्ण प्रदेश में घी संक्रान्ति (ओलगिया) त्यौहार मनाया जाता है भाद्रपद के मध्य में
- कुमाऊँ क्षेत्र में अश्विन मास की संक्रान्ति को कौन-सा त्यौहार मनाया जाता है? खतडुवा
- खतडुवा त्यौहार विशेष रूप से सम्बन्धित है पशुओं से
- खतडुवा त्यौहार का अन्य नाम है गै त्यौहार
- जौनसार-भाबर क्षेत्र में धूमधाम से मनाया जाने वाला त्यौहार है तुणाई तुणाई त्यौहार मनाया जाता है श्रावण मास में
- सम्पूर्ण प्रदेश में आढू त्यौहार मनाया जाता है भाद्रपद में
- आढू त्यौहार के अवसर पर अखण्ड सौभाग्य की कामना हेतु पूजा-अर्चना की जाती है गौरा-महेश्वर की
- महासू देवता के स्नान के अवसर पर मनाया जाने वाला त्यौहार है जागड़ा
- सम्पूर्ण प्रदेश में जागड़ा त्यौहार मनाया जाता है भाद्रपद में
- कुमाऊँ क्षेत्र में फसल काटने के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला त्यौहार है कलाई
- कलाई त्यौहार मनाया जाता है वैशाख माह में
- सम्पूर्ण प्रदेश में 22 दिनों तक मनाया जाने वाला पर्व है बैंसी
- बैंसी पर्व मनाया जाता है श्रावण व पौष माह में
- किस पर्व पर पशुओं को नहलाकर मीठा खिलाया जाता है तथा रात्रि में दीप जलाए जाते हैं दीपावली
- दीपावली पर्व को स्थानीय भाषा में कहा जाता है बग्वाल
- सम्पूर्ण प्रदेश में दीपावली (बग्वाल) पर्व मनाया जाता है कार्तिक माह में
- सम्पूर्ण प्रदेश में किस पर्व पर रामायण का मंचन किया जाता है? दशहरा (रामलीला)
- किस रामलीला को मूलत: अल्मोड़ा शैली की रामलीला माना जाता है? कर्माचलीय रामलीला को
- सम्पूर्ण प्रदेश में होली पर्व मनाया जाता है फाल्गुन माह में
- प्रदेश में मनाई जाने वाली होली की शैलियाँ प्रचलित हैं दो ('खड़ी' एवं 'बैठकी')
- उत्तराखण्ड में नाग पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है श्रावण मास में
- सम्पूर्ण उत्तराखण्ड में रक्षाबन्धन का त्यौहार मनाया जाता है श्रावण मास में
- उत्तराखण्ड के प्रमुख मेले
- उत्तराखण्ड में मेले को कहा जाता है कौधीक
- उत्तराखण्ड में ऊधमसिंह नगर में काशीपुर के समीप कुण्डेश्वरी देवी के मन्दिर में लगने वाला मेला है चैती (बाला सुन्दरी) मेला
- 10 दिन तक चलने वाला चैती का मेला आयोजित होता है प्रतिवर्ष नवरात्रों में
- कुमाऊँ के चन्द राजाओं की कुलदेवी है बाला सुन्दरी देवी
- बाला सुन्दरी देवी को पालकी में बिठाकर मेला स्थल पर लाया जाता है अष्टमी के दिन
- चैती (बाला सुन्दरी) मेला किस जनजाति द्वारा अति विशेष रूप से मनाया जाता है? बोक्सा जनजाति द्वारा
- उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी जिले में प्रतिवर्ष 14 जनवरी से प्रारम्भ होकर आठ दिनों तक चलने वाला मेला है माघ मेला
- माघ मेले का शुभारम्भ किया जाता है कड़ार देवता की डोली के साथ
- उत्तराखण्ड में प्रतिवर्ष मकर संक्रान्ति (14 जनवरी) के अवसर पर आयोजित होने वाला प्रसिद्ध मेला है उत्तरायणी मेला
- वर्ष 1921 में उत्तरायणी मेले में कुली बेगार प्रथा का अन्त किसके नेतृत्व में किया गया था? बद्रीनाथ पाण्डेय
- उत्तरायणी मेले में कुमाऊँ क्षेत्र के शिल्पकारों के साथ हिस्सा लेते हैं नेपाल व तिब्बती व्यापारी
- किस मेले को घुघतिया ब्यार के नाम से जाना जाता है? उत्तरायणी मेले को
- वर्ष 1929 में महात्मा गाँधी ने किस मेले में स्वराज मन्दिर भूमि का शिलान्यास किया था? उत्तरायणी मेले में
- प्रत्येक वर्ष लोसर मेले का आयोजन किया जाता है नाज वसन्त के आगमन (बौद्ध पंचाल) पर
- जाड़-भोटिया समुदाय द्वारा 'लोसर मेले का आयोजन किया जाता है उत्तरकाशी के डुण्डा में
- वर्ष में दो बार (नवरात्रि) पूर्वागिरि मेले का आयोजन किया जाता है पूर्णागिरि शक्तिपीठ, टनकपुर (चम्पावत)
- दूनागिरि मेले का आयोजन किया जाता है रानीखेत में
- गुरु रामराय के जन्मदिन के अवसर पर प्रत्येक वर्ष होली के पाँचवें दिन किस मेले का आयोजन किया जाता है? झण्डा मेला
- झण्डा मेला किस स्थान पर लगता है? देहरादून
- हजरत अलाउद्दीन अली अहमद, इमामुद्दीन तथा किलकिली साहब का मजार स्थित है कलियर गाँव में
- प्रतिवर्ष अगस्त माह में कलियर गाँव में किस मेले का आयोजन किया जाता है? पिरान कलियर ( उर्स)
- सबिर का उर्स मनाया जाता है मार्च-अप्रैल माह में
- पिथौरागढ़ के बालेश्वर थल मन्दिर में 'थल मेले का आयोजन किया जाता है प्रतिवर्ष वैशाखी के अवसर
- 13 अप्रैल, 1940 को वैशाखी के अवसर पर जलियावाला दिवस मनाए जाने के पश्चात् किस मेले को मनाने की शुरुआत की गई? थल मेले की
- प्रत्येक वर्ष चैत्र माह में हरियाली पूड़ा मेले का आयोजन किया जाता है नोटी गाँव (चमोली)
- चन्द्रबदनी मेले का आयोजन किया जाता है टिहरी में
- गढ़वाल के चार प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक है चन्द्रबदनी शक्तिपीठ
- किस मेले का प्रारम्भ कत्यूरी शासनकाल से माना जाता है? स्याल्दे बिखौती मेला
- स्याल्दे-बिखौती' मेले का आयोजन प्रत्येक वर्ष वैशाख माह के प्रथम दिन किया जाता है द्वारहाट (अल्मोड़ा)
- उत्तराखण्ड के जौनसार क्षेत्र में लगने वाला ऐतिहासिक मेला है मौण मेला
- 1866 ई. में मौण मेले की शुरुआत की थी टिहरी नरेश ने
- सामूहिक रूप से मछली पकड़ने का सबसे बड़ा मेला है मौण मेला
- पशुओं के क्रय-विक्रय से सम्बन्धित मेला है सोमनाथ मेला
- प्रत्येक वर्ष वैशाख माह के अन्तिम रविवार को सोमनाथ मेले का आयोजन किया जाता है रानीखेत (अल्मोड़ा)
- घनुष-बाण के रोमांचक युद्ध के लिए प्रसिद्ध मेला है गाबिस्सू मेला
- बिस्सू मेले का आयोजन किया जाता है , उत्तरकाशी में
- प्रतिवर्ष बद्रीनाथ के कपाट खुलने से पूर्व शनिवार को किस मेले का आयोजन होता है? पौराणिक तिमुड़ा मेला
- प्रत्येक वर्ष वैशाख माह में भद्रराजा देवता के मेले का आयोजन किया जाता है मसूरी (देहरादून)
- पत्थर युद्ध से सम्बन्धित मेला है बग्वाल मेला
- बग्वाल मेले का आयोजन श्रावण माह में रक्षाबन्धन के अवसर पर किया जाता है चम्पावत में
- चम्पावत, वालिक, गहड़वाल तथा लमगड़िया खामों के लोग भाग लेते हैं पत्थर युद्ध में
- मानेश्वर मेले का आयोजन श्रावण मास में किया जाता है चम्पावत जिले में
- किस मेले को जंगलों में भेड़-बकरियों को पालन वालों के नाम से मनाया जाता है नुणाई मेले को
- देहरादून के जौनसार क्षेत्र में 'नुणाई मेले का आयोजन किया जाता है श्रावण मास में
- देवधारा (देहरादून) के समीप टपकेश्वर मन्दिर मेलों का आयोजन किया शिवरात्रि पर
- हिमालय पुत्री नन्दा देवी की पूजा-अर्चना से सम्बन्धित 'नन्दा देवी' मेले का आयोजन किया जाता है भाद्र शुक्ल पक्ष की पंचमी से
- 16वीं शताब्दी में किस कुमाऊँ राजा ने नन्दा देवी' मेले की शुरुआत की थी? राजा कल्याणचन्द
- नन्दा देवी' मेला मुख्य रूप से आयोजित किया जाता है कुमाऊं व गढ़वाल मण्डल में
- प्रतिवर्ष सितम्बर-अक्टूबर माह में जनजातीय चकराता क्षेत्र में लगने वाला मेला है लखवाड़ मेला
- अश्विन माह में लगने वाले 'बग्वाली पोखर मेले का आयोजन किया जाता है अल्मोड़ा में
- अल्मोड़ा के गणनाथ क्षेत्र में गणनाथ मेले का आयोजन किया जाता है कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर
- उत्तराखण्ड में एक माह तक लगने वाले किस मेले के अवसर पर महिलाएँ सन्तान प्राप्ति हेतु रात-भर घी का दीपक जलाकर पूजा-अर्चना करती हैं बिनाथेश्वर मेला
- बिनाथेश्वर मेले का आयोजन कार्तिक माह में किया जाता है अल्मोड़ा में
- कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर चम्पावत के पम्पदा देवी मन्दिर में लगने वाला मेला है लड़ी धूरा मेला
- प्रतिवर्ष 14-19 नवम्बर तक काली व गोरी नदी के संगम पर लगने वाला मेला है जौलजीवी मेला
- जौलजीवी मेले का आयोजन प्रारम्भ हुआ था वर्ष 1974 में मार्गशीर्ष संक्रान्ति
- युद्ध में मरे हुए शहीदों की याद में आयोजित होने वाला मेला है रणभूत मेला
- रणभूत मेले का आयोजन किया जाता है कार्तिक माह में
- प्रतिवर्ष बैकुण्ठ चर्तुदशी के दिन श्रीनगर के कमलेश्वर मन्दिर पर लगने वाला मेला है बैकुण्ठ चतुर्दशी मेला
- किस मेले के अवसर पर पति-पत्नी सन्तान प्राप्ति हेतु रातभर हाथ में दीपक रखकर पूजा-अर्चना करते हैं? बैकुण्ठ चतुर्दशी मेले पर
- हरिद्वार में गंगा नदी के किनारे कुम्भ मेला (महाकुम्भ) लगता है प्रत्येक 12 वर्षों में
- कुम्भ मेले का आयोजन किया जाता है मकर संक्रान्ति से गंगा दशहरे तक
- कुम्भ (महाकुम्भ) मेले को 'मोक्ष पर्व' की संज्ञा दी है ह्वेनसांग ने
- हरिद्वार में प्रत्येक महा कुम्भ के छठे वर्ष लगने वाला मेला है अर्द्धकुम्भ मेला
- हरिद्वार में अगले अर्द्धकुम्भ मेले का आयोजन होगा वर्ष 2028 में
- उत्तराखण्ड के प्रमुख उत्सव व महोत्सव
- प्रतिवर्ष हरिद्वार के अगस्त्यमुनि तथा बद्रीनाथ में 2 से 24 जून तक राज्य सरकार द्वारा आयोजित किया जाने वाला उत्सव है बद्री-केदार उत्सव
- सरकुण्डा उत्सव मनाया जाता है सरकुण्डा देवी मन्दिर (टिहरी)
- उत्तराखण्ड के संस्कृति एवं पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित किया जाने वाला उत्सव है ग्रीष्मोत्सव
- ग्रीष्मोत्सव का आयोजन किया जाता है अल्मोड़ा में
- पश्चिम नेपाल की दून एवं पिथौरागढ़ की सोरघाटी में (वर्षा ऋतु) किसानों द्वारा मनाया जाने वाला उत्सव है हिलजात्रा उत्सव
- गेंदी का खकोटी उत्सव मनाया जाता है पौड़ी जिले में
- बसन्त पंचमी से वैशाखी तक मनाए जाने वाले गेंदी का खकोटी उत्सव पर किया जाने वाला विशेष नृत्य है चौफल एवं झुमैला
- पिथौरागढ़ के भोटिया लोगों द्वारा प्रत्येक 12 वर्ष के पश्चात् मनाया जाने वाला महोत्सव है कण्डाली महोत्सव
- प्रतिवर्ष अगस्त माह में मक्खन एवं दही की होली के रूप में मनाया जाने वाला उत्सव है अदण्डी उत्सव
- उमा कर्ण महोत्सव का आयोजन किया जाता है कर्णप्रयाग (चमोली)
- प्रतिवर्ष दिसम्बर माह में शहीद ऊधमसिंह की स्मृति में मनाया जाने वाला ऊधमसिंह महोत्सव का आयोजन किया जाता है रुद्रपुर ( ऊधमसिंह नगर)
- किस उत्सव के अवसर पर लकड़ी के मखौटे लगाकर रामायण पर आधारित लोक नाट्य प्रस्तुत किया जाता है? रम्माण उत्सव पर
- प्रत्येक वर्ष रम्माण उत्सव का आयोजन किया जाता है वैशाख माह में
- रम्माण उत्सव को यूनेस्को द्वारा विश्व की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर घोषित किया गया था 2 अक्टूबर, 2009 को
- प्रतिवर्ष फरवरी माह में गोलज्यू महोत्सव का आयोजन किया जाता है चितई (अल्मोड़ा)
- मधुगंगा घाटी विकास महोत्सव का आयोजन स्थल है पौड़ी
- प्रतिवर्ष पिथौरागढ़ में मई माह में मनाया जाने वाला महोत्सव है छोलिया नृत्य महोत्सव
- वैशाख माह के पाँचवें सोमवार या ज्येष्ठ माह के प्रथम सोमवार को आयोजित किया जाने वाला उत्सव है नौठा कौथीग उत्सव
- किस उत्सव में ढोल-नगाड़ों के साथ प्रतीकात्मक पत्थरों की वर्षा की जाती है? नौठा कौथीग उत्सव में
- चमोली के आदिबद्री धाम में नौठा कौथीग उत्सव को मनाया जाता है हिमालय महोत्सव के नाम से
- पिथोरागढ़ के चौदांस, दरमा, व्यास घाटी में प्रतिवर्ष आयोजित किया जाने वाला उत्सव है गबला देव पूजा उत्सव
- सालम रंग महोत्सव का आयोजन किया जाता है अल्मोड़ा में
- चम्पावत के खेतीखान में दीपावली के अवसर पर मनाया जाने वाला महोत्सव है दीप महोत्सव
- कोट महोत्सव का आयोजन किया जाता है कोट (पौड़ी)
- उत्तराखण्ड के पौड़ी जिले में नवम्बर माह में आयोजित महोत्सव है गगवाडस्यूं महोत्सव
- संस्कृत विद्वानों का संगम 'कालीदास महोत्सव मनाया जाता है रुद्रप्रयाग में
- पिथौरागढ़ में सरयू एवं रामगंगा के बीच प्रतिवर्ष जून में आयोजित होने वाला महोत्सव है गंगावली महोत्सव
- कनालीछीना महोत्सव का प्रतिवर्ष आयोजन किया जाता है पिथौरागढ़ में
- भारत एवं नेपाल की संस्कृतियों की प्रस्तुति में आयोजित महोत्सव है महेशानी महोत्सव
- रवाई शारवोत्सव विकास मेला उत्सव का आयोजन प्रतिवर्ष दिसम्बर माह में किया जाता है बड़कोट (उत्तरकाशी)
- रंग संस्कृति के लिए प्रसिद्ध महोत्सव है दारमा घाटी महोत्सव
उत्तराखण्ड की प्रमुख यात्राएँ
- हिमालय के महाकुम्भ के नाम से प्रसिद्ध यात्रा है नन्दा देवी राजजात यात्रा
- नन्दा देवी राजजात यात्रा का प्रारम्भ सम्भवतः माना जाता है 8वीं सदी से
- नन्दा देवी राजजात यात्रा का आयोजन किया जाता है प्रत्येक 12 वर्ष के अन्तराल पर
- 19-20 दिन चलने वाली नन्दा देवी राजजात यात्रा आयोजित होती है चमोली के कासुवाँ गाँव के होमकुण्ड तक
- नन्दा देवी राजजात यात्रा के दौरान तय की गई कासुवाँ गाँव से होमकुण्ड तक की कुल दूरी है लगभग 280 किमी
- नन्दा देवी राजजात यात्रा में विशेष महत्त्व होता है चार सिंगों वाले मेढ़ा का
- नन्दा देवी राजजात यात्रा गढ़वाल एवं कुमाऊँ क्षेत्र की सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है। उत्तराखण्ड में इसका आयोजन हुआ था 18 अगस्त से 16 सितम्बर, 2014 को
- प्रतिवर्ष जून के प्रथम सप्ताह से सितम्बर के अन्तिम सप्ताह तक चलने वाली यात्रा है कैलाश मानसरोवर यात्रा
- कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान धर्माथी गुजरते हैं लिपुलेख दर्रे से होकर
- प्रतिवर्ष नन्दा देवी राजजात यात्रा (छोटी नन्दा राजजात) होती है चमोली के गुरुड़ से नन्दा सरोवर तक
- हिल जात्रा का केन्द्रीय पात्र होता है लछियाभूत
- पिथौरागढ़ में मनाई जाने वाली किस यात्रा में ग्रामवासी पूरी रात नंगे पाँव मन्दिर तीर्थों की परिक्रमा करते हैं? द्यवोरा यात्रा
- टिहरी गढ़वाल के पंवाली काण्ठा गौरीकुण्ड से रुद्रप्रयाग के केदारनाथ तक की पैदल यात्रा है पंवाली काण्ठा केदार यात्रा
- वारुणी पंचकोसी यात्रा का आयोजन किया जाता है उत्तरकाशी में
- प्रत्येक वर्ष टिहरी में पाँच दिनों तक चलने वाली यात्रा है गुरु मणिकनाथ जात यात्रा
- सहस्रताल-महाश्र ताल यात्रा का प्रारम्भ होता है टिहरी से
- वर्ष 1974 से नैनीताल की किस संस्था द्वारा गाँवों का आकलन करने हेतु 1,150 किमी. की पैदल अस्कोट-अराकोट यात्रा का आयोजन किया जाता है? पहाड़ संस्था द्वारा
- प्रतिवर्ष केदारनाथ यात्रा का प्रारम्भ होता है गौरीकुण्ड (रुद्रप्रयाग) से
उत्तराखण्ड प्रदेश के गढ़वाल और कुमाऊँ दोनों मण्डलों में मनाये जाने वाले मेले , पर्व तथा उत्सवों को नीचे तालिका में दिया गया है-
उत्तराखंड के प्रमुख मेले
मेले आयोजक स्थल
- सिद्धबली जयंती मेला कोटद्वार में
- रवाई किसान विकास सांस्कृतिक मेला मलेथा
- गेंदा कोथिक द्वारीखाल में
- माघ मेला उत्तरकाशी
- बसंत उत्सव मेला टिहरी तथा उत्तरकाशी
- कण्आश्रम मेला पौड़ी गढ़वाल
- तारकेश्वर महादेव मेला पौड़ी
- झंडा मेला देहरादून
- पिरान कलियर मेला रुड़की
- वीर गब्बर सिंह मेला टिहरी गढ़वाल
- सुरकंडा मेला टिहरी गढ़वाल
- विस्सु मेला चकराता
- कुंजापुरी पर्यटन विकास मेला टिहरी गढ़वाल
- बैसाखी मेला देहरादून, चंद्रबनी तथा अगस्त्यमुनि
- कंडक मेला उत्तरकाशी
- वीर चंद्र सिंह गढ़वाली स्मृति मेला पौड़ी गढ़वाल
- गुरु माणिक नाथ जात यात्रा टिहरी
- शहीद केसरी चंद मिला चकराता
- बसंत बुरास मेला चमोली
- किसान औद्योगिक पर्यटन विकास मेला चमोली
- नागटिब्बा मेला टिहरी
- जखोली मेला देहरादून
- बद्री केदार उत्सव हरिद्वार अगस्त्यमुनि,बद्रीनाथ
- खरसाली मेला उत्तरकाशी
- महासु देव जागरण पर्व चकराता देहरादून
- रूपकुंड महोत्सव चमोली
- सेलकू मेला उत्तरकाशी
- विश्व पर्यटन दिवस लैंसडौन पौड़ी गढ़वाल
- श्री नागराज देवता मेला उत्तरकाशी
- दशहरा मेला लखवाड़ देहरादून
- बैकुंठ चतुर्दशी मेला श्रीनगर
- गोचर मेला चमोली
- क्वानू मेला चकराता
- गगवाडस्यूं महोत्सव पौड़ी
- तीन दिवसीय मद्महेश्वर मेला उखीमठ रुद्रप्रयाग
- बंड विकास मेला चमोली
- जौनसार बावर महोत्सव देहरादून
- मुंडेश्वर का मेला कल्जीखाल
- कांडा का मेला पौड़ी
- एकेश्वर का मेला पौड़ी
- दनगल का मेला सतपुली
- बिनसर का मेला चौथान
- नौठा मेला आदि बद्री
- ज्वालपा देवी मेला पौड़ी
- चंद्रबदनी मेला अंजनीसेण टिहरी
- सुरकंडा मेला चंबा
- कुंजापुरी मेला नरेंद्र नगर
- टपकेश्वर महादेव गढी देहरादून
- कुलसारी का मेला थराली
- त्रिजुगीनारायण केदार घाटी
- मंडा माई की जात चमोली
- मद्महेश्वर यात्रा उखीमठ
- उत्तरायणी मेला बागेश्वर
- गोलज्यू महोत्सव अल्मोड़ा
- हाटकेश्वर शिवरात्रि मेला गंगोलीहाट पिथौरागढ़
- श्री पूर्णागिरी मेला चंपावत
- चैती मेला काशीपुर
- थल मेला पिथौरागढ़
- स्याल्दे भिखौती मेला अल्मोड़ा
- छलिया महोत्सव पिथौरागढ़
- गंगा वाली महोत्सव पिथौरागढ़
- सालम रंग महोत्सव अल्मोड़ा
- श्रावणी मेला जागेश्वर अल्मोड़ा
- देवी महोत्सव देवी धार चंपावत
- गोरा अठावाली चंपावत
- आषाढी कौथिक बग्वाल मेला चंपावत
- शहीद दिवस अल्मोड़ा
- मोस्टअमानु मेला पिथौरागढ़
- सूर्य षष्ठी मेला चंपावत
- नंदा देवी मेला अल्मोड़ा नैनीताल बागेश्वर
- दशहरा मेला अल्मोड़ा
- बिंनाथेश्वर मेला अल्मोड़ा
- दीप महोत्सव चंपावत
- जौलजीबी मेला पिथौरागढ़
- अटरिया मेला रुद्रपुर
- कनालीच्छीना महोत्सव पिथौरागढ़
- शहीद उधम सिंह महोत्सव रुद्रपुर
उत्तराखण्ड की वेशभूषा एवं आभूषण
- कुमाऊँ क्षेत्र के मुख्य परिधान मिरजई, टांक, सुराव एवं भोटू सम्बन्धित हैं पुरुषों से
- गढ़वाल क्षेत्र में पुरुषों के प्रमुख परिधान हैं बास्कट, गुलबन्द, अयकन एवं पगड़ी
- उत्तराखण्ड में महिलाओं के मुख्य परिधान हैं पिछोड़ा, धागरी, आंगड़ा, गाती एवं धोती
- उत्तराखण्ड में झुगली, झुगल, सन्तराथ एवं चूड़ीदार परिधान सम्बन्धित हैं बच्चों से
- सीसफूल एवं बाँदी आभूषण महिलाओं द्वारा पहना जाता है सिर ( मुख) पर
- उत्तराखण्ड में महिलाओं द्वारा कानों में पहने जाने वाले आभूषण हैं मुण्दड़ा, मुनाड़, मुर्खली एवं कर्णफूल
- तिलहरी, चरे, हँसुली एवं गुलबन्द आभूषण पहने जाते हैं गले में
- चाँदी से बनी स्यूण सांगल मुख्य रूप से आभूषण है कन्धों का
- उत्तराखण्ड में महिलाओं द्वारा पैरों में पहने जाने वाला मुख्य आभूषण है प्वल्या, झाँवर, इमरती, खुडले एवं पौण्टा
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