गढ़वाली, कुमाऊंनी होली : एक सांस्कृतिक विरासत(Garhwali, Kumaoni Holi: A Cultural Heritage)

गढ़वाली, कुमाऊंनी होली : एक सांस्कृतिक विरासत

गढ़वाली, कुमाऊंनी होली : एक सांस्कृतिक विरासत


प्रभु ने धारो वामन रूप , राजा बली के दुआरे हरी
राजा बली को अरज सुना दो , तेरे दुआरे अतिथि हरी
मांग रे वमणा जो मन ईच्छा , सो मन ईच्छा में देऊं हरी
हमको दे राजा तीन पग धरती, काँसे की कुटिया बनाऊं हरी
मांग रे बमणा मांगी नी ज्याण , के करमो को तू हीना हरी
दू पग नापो सकल संसारा , तिसरौ पग को धारो हरी
राजा बलि ने शीश दियो है, शीश गयो पाताल हरी
पांचाला देश की द्रोपदी कन्या, कन्या स्वयंबर रचायो हरी
तेल की चासनी रूप की मांछी, खम्बा का टूका पर बांधो हरी
मांछी की आंख जो भेदी जाले, द्रोपदी जीत लिजालो हरी
दुर्योधनज्यू उठी बाण जो मारो, माछी की आंख ना भेदो हरी
द्रौपदी उठी बोल जो मारो , अन्धो पिता को तू चेलो हरी
कर्णज्यू उठी बाण जो मारो, माछी की आंख ना भेदो हरी
द्रौपदी उठी बोल जो मारो , मैत घरौ को तू चेलो हरी
अर्जुनज्यू उठी बाण जो मारो, माछी की आंख को भेदो हरी
अर्जुनज्यू उठें द्रौपदी लै उठी, जयमालै पहनायो हरी
पैली शब्द ओमकारा भयो है, पीछे विष्णु अवतार हरी
बिष्णु की नाभी से कमलक फूला, फूला में ब्रह्मा जी बैठे हरी
ब्रह्मा जी ने सृष्टि रची है , तीनों लोक बनायो हरी
पाताल लोक में नाग बसो है , मृत्युलोक में मनुया हरी
स्वर्गालोक में देव बसे हैं , आप बसे बैकुंठ हरी।।
Garhwali, Kumaoni Holi: A Cultural Heritage

आप सभी को होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं 🙏
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होली : ओ सुमिरौ सीता राम ( Holi: O sumirau Sita Ram )

यह होली प्रश्न-उत्तर के रूप में है जहॉं भक्तों का एक समूह दूसरे समूह से प्रश्न करता है और दूसरा समूह उन प्रश्नों के उत्तर देता है | ये प्रश्न सीधे सरल और पौराणिक कथाओं से लिए जाते हैं | सीधी -सादी लोकभाषा शैली में होने के बाद भी कई बार ये कई गूढ़ बातें कह जाते हैं | इस होली में रामायण में हुई घटनाओं की जगहों और उसकी विशालता को समझने की कोशिश की गयी है | कैलाश पर्वत, लंका नगरी और अयोध्या नगरी बहुत दूर हैं फिर भी रामायण के चरित्र इतने बड़े क्षेत्र को मापते हैं | प्रश्न ये किया जाता है कि ये जगहें हमसे कितनी दूर हैं ( कुमाऊँ से ) और किस दिशा में हैं ? एक जगह से शुरू होकर ये घटनाएं इतनी व्यापक किस तरह हुई?

गढ़वाली, कुमाऊंनी होली : एक सांस्कृतिक विरासत(Garhwali, Kumaoni Holi: A Cultural Heritage)


हे सुमिरौ सीता-राम, रम भज हरि भज राधे,
हे सुमिरौ सीता-राम, रम भज हरि भज राधे,
एक पेड़ मथुरा में जन्में, जद पाहुंचे जगन्नाथ,
फुल जो फुले द्वारिका, ओ फल बद्रीनाथ,
राम भज हरि भज राधे,
हे सुमिरौ सीता- राम रम भज हरि भज राधे
कौन दिशा गढ़ लंका है रे, कौन दिशा कैलाश
कौन दिशा अयोध्या, हे जम ठाढ़े राम
राम भज हरि भज राधे,
हे सुमिरौ सीता-राम, रम भज हरि भज राधे
दक्षिण दिशा गढ़ लंका है रे, उत्तर दिशा कैलास
पुरब दिशा अयोध्या, ओ जम ठाड़े राम,
राम भज हरि भज राधे,
हे सुमिरौ सीता- राम रम भज हरि भज राधे
कहीं का गढ़ लंका है, रे कहीं का कैलास,
कहीं की अयोध्या ओ जम थाड़े राम,
राम भज हरि भज राधे,
हे सुमिरौ सीता- राम रम भज हरि भज राधे
सोने की गढ़ लंका है रे, पत्थर की कैलास,
पावन की अयोध्या, ओ जम थाढ़े राम,
राम भज हरि भज राधे,
हे सुमिरौ सीता- राम रम भज हरि भज राधे
कौन बसै गढ़ लंका है, रे कौन बसाई बस्ती,
कौन बसे अयोध्या ओ जम थाड़े राम,
रम भज हरि भज राधे,
हे सुमिरौ सीता- राम रम भज हरि भज राधे
रावण बसै गढ़ लंका है रे शिवजी बसै कैलास,
राम बसे अयोध्या ओ जम थाड़े राम
राम भज हरि भज राधे,
हे सुमिरौ सीता राम ………………………………..
हे सुमिरौ सीता- राम रम भज हरि भज राधे ।

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