बांज के वृक्ष के बारे में रोचक तथ्य { Interesting facts about the oak tree }
बांज के वृक्ष के बारे में रोचक तथ्य
समुद्र तल से 1800 मीटर की ऊंचाई पर बांज ( Oak) "बांझ" के पेड़ पाए जाते हैं । बांझ के पेड़ उत्तराखंड में अधिक पाए जाते हैं । पूरे उत्तराखंड में बांज ( Oak) "बांझ" के पेड़ पाए जाते हैं । बांज ( Oak) बांझ को उत्तराखंड में हरा सोना भी कहा जाता है ।
बांझ पूरे विश्व में एकमात्र ऐसा पेड़ है जो वायुमंडल से नमी को खींच कर भूमि तक पहुंचा देता है । इसलिए जहां भी बांझ के पेड़ पाए जाते हैं उस क्षेत्र में पानी भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है ।
बांझ की दूसरी विशेषता है कि इसकी ताजा काटी गई लकड़ी भी आग में फटाफट जलती है । इसकी पत्तियां गुलाब की पत्तियों की भांति बाहर की ओर से आरी की तरह कटी हुई होती हैं । पत्तियों के नीचे का भाग सफेद रंग का और ऊपर का भाग गहरे हरे रंग का होता है । तेज हवा चलने पर जब इसकी पत्तियां उलटी हो जाती हैं तो चांदी जैसी चमकती हैं ।
काफल ( Kafal ) ] [ काफल औषधीय गुणों से है भरपूर ] [ हिसालू हिसालू की जात बड़ी रिसालू है, पर उसका काव्यफल बड़ा रसालू है ] [ खट्ठा-मीठा मनभावन फल काफल ]
इसका फल ओषधीय गुणयुक्त होता है । बिच्छू के डंक मारे गए स्थान पर इसके फल को घिसकर लगाने से बहुत लाभ होता है ।
उत्तराखण्ड की ऊंची पहाड़ियों पर बांज के वृक्ष बहुतायत से पाये जाते हैं। यह बहुत उपयोगी वृक्ष है। इसकी मजबूत लकड़ी से इमारती लकड़ी व कृषि कार्य के लिए हल, कुदाल के हत्थे आदि बनते हैं। इसकी लकड़ियाँ जलाने के लिए सबसे अच्छे अंगारों वाली होती है। इसकी जड़ से जल निकलता है। इसके फलों को बच्चे लट्टू बनाकर खेलते हैं और बताते हैं कि रीछ इसके फलों को खाता है।
Oak एक पेड़ है जिसे हिंदी में बांज, बलूत या शाहबलूत कहते हैं. इसकी लगभग 600 से ज्यादा प्रजातियां हैं. यह पेड़ मुख्य रूप से उत्तरी गोलार्ध में ही पाया जाता है. उत्तरी गोलार्ध में यह मलेशिया से लेकर हिमालय, चीन, उत्तरी अमेरिका समेत उत्तरी ध्रुव पर पाया जाता है. आज हम आपको इसके बारे में कुछ रोचक तथ्य बताएंगे.
ब्राहमी(Brahmi) बीज |
- बांज ( Oak) ट्री दिखने में सुंदर होता है इसलिए इसे सड़कों के किनारे और पार्कों में लगाया जाता है.
- बांज ( Oak) ट्री की अलग – अलग प्रजातियों के पत्तों में मामूली फर्क होता है लेकिन सभी खांचेदार दिखते हैं.
- बांज ( Oak) के पेड़ का फल पकने के बाद लाल रंग का और बीच में पीले रंग का होता है. इस फल को बांज फल कहा जाता है.
- बांज ( Oak) फल मीठे भी हो सकते हैं और कड़वे भी. खाने के सिवाए इन फलों से टैनिस भी बनाया जाता है. जो कि चमड़ा पकाने के काम आता है.
- बांज ( Oak) के फल का आटा सुआरों को भी खिलाया जाता है. इसके लिए पहले फल को उबालकर, उसे सुखाया जाता है और फिर उसके आटे का केक बनाकर सुअर को दिया जाता है.
- अगर आपको एक बांज ( Oak) ट्री उगाना हो तो इसके फल की मदद से ही उगाया जा सकता है. Oak ट्री साल में लगभग 2000 बांज फल देता है जिसमें से सिर्फ 150 ही नये पेड़ जन्म दे सकते हैं.
- बांज ( Oak) ट्री को बड़ा होने में काफी समय लगता है और यह 200 से 300 साल तक जिंदा रह सकता है. यह 20 साल की उम्र में फल देना शुरू करता है.
- 8. बांज के पेड़ कई रंग के होते हैं, हरे, लाल और काले. यह पेड़ 100 से लगभग 150 फुट की ऊंचाई तक बढ़ सकते हैं.
- 9. बांज पेड़ की लकड़ी बहुत ही बढ़िया होती है जो 100 साल से भी ज्यादा समय तक टिकाऊ रहती है. इसका इस्तेमाल फर्नीचर बनाने में किया जाता है.
- 10. भारत के उत्तराखंड में बांज के पेड़ों की काफी महत्ता है उसे वहां हरा सोना कहा जाता है.
- 11. Oak अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी, लाटविया, पोलैंड और सर्बिया सहित कई देशों का राष्ट्रीय पेड़ है.
- 12. कई देशों में मौजूद Oak पेड़ों की उम्र 1000 साल से ज्यादा है
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