काफल औषधीय गुणों से है भरपूर kafal aushadhiy gunon se hai bharpur
History of kafal: क्या है पहाड़ों में गर्मियों में होने वाले जंगली फल काफल का इतिहास?
औषधीय गुणों से है भरपूर
काफल की बात करें तो जंगल में इसके पेड़ होते हैं. मार्च की शुरुआत में इस फल पर फूल आते हैं और मई-जून में इसके फल तैयार हो जाते हैं. इसके बाद इन्हें खाने के लिए तोड़ा जाता है.
बेड़ू पाको बारामासा, हो नरैण काफल पाको चैता मेरी छैला. उत्तराखंड का सर्वाधिक लोकप्रिय लोक गीत है. आपको पता है इस गीत में जिस काफल का जिक्र किया गया है, वो आखिर है क्या. दरअसल काफल पहाड़ों में होने वाला जंगली फल है, जिसका मजा आप गर्मियों में ही ले सकता है. ये गहरे लाल रंग का होता है और इसका स्वाद खट्टा-मीठा होता है. उत्तराखंड के अलावा ये हिमाचल प्रदेश में मिलता है.
आज हम आपको इसी फल के इतिहास के बारे में बताया जा रहा है, जिसे पहाड़ों में लोग इसके स्वाद के साथ इसकी औषधीय गुणों के लिए भी खाते हैं. काफल की बात करें तो इसे उत्तराखंड के राजकीय फल का दर्जा हासिल है. पिछले कई सालों से ये गरीब और निम्न आय वर्ग के लोगों की रोजी रोटी का भी जरिया बन रहे हैं. बाजारों में इसकी कीमत 400 रुपये प्रति किलो तक मिल रही है.
सिरदर्द में फायदेमंद काफल (Kafal Benefits in Headache in Hindi)
अगर आपको काम के तनाव और भागदौड़ भरी जिंदगी के वजह से सिरदर्द की शिकायत रहती है तो काफल का घरेलू उपाय बहुत लाभकारी सिद्ध होगा।
(काफल) कायफल के छाल का चूर्ण बनाकर नाक से सांस लेने पर कफ जनित सिरदर्द से राहत मिलता है।
कटफल ( काफल) चूर्ण तथा मरिच चूर्ण को मिलाकर सूंघने से भी सिरदर्द कम होता है।
कायफल ( काफल ) के तेल को 1-2 बूंद नाक में डालने से आधासीसी का दर्द तथा प्रतिश्याय (Coryza) से राहत मिलती है।
आँखों के रोग में लाभकारी काफल (Kafal Fruit Beneficial in Eye Disease in Hindi)
आँख संबंधी बीमारियों में बहुत कुछ आता है, जैसे- सामान्य आँख में दर्द, रतौंधी, आँख लाल होना आदि। इन सब तरह के समस्याओं में काफल से बना घरेलू नुस्ख़ा बहुत काम आता है। गोमूत्र, घी, समुद्रफेन, पीपल, मधु तथा कायफल को सेंधानमक के साथ मिलाकर बांस की नली में संग्रह करके आँखों में काजल की तरह लगाने से आँखों के बीमारी से राहत मिलती है।
नाक संबंधी समस्याओं में लाभकारी काफल ( Benefits of Kafal for Nose Disease in Hindi)
नकछिकनी तथा कट्फल के चूर्ण को मिलाकर नाक से सांस लेने से नाक संबंधी रोगों में लाभ होता है। (इसका नस्य लेने से छींक आती है।)
कान के रोग से दिलाये राहत काफल (Kafal Benefits for Ear Pain in Hindi)
अगर सर्दी–खांसी या किसी बीमारी के साइड इफेक्ट के तौर पर कान में दर्द होता है तो काफल से इस तरह से इलाज करने पर आराम मिलता है। कटफल को तेल में पकाकर-छानकर, 1-2 बूंद कान में डालने से कर्णशूल (कान का दर्द) से आराम मिलता है।
दांत दर्द में फायदेमंद काफल (Kafal Beneficial in Tooth ache in Hindi)
अगर दांत दर्द से परेशान हैं तो काफल का इस तरह से सेवन करने पर जल्दी आराम मिलता है।
कायफल के तने के छाल को चबाकर दांतों के बीच दबाकर रखने से दांत दर्द दूर होता है।
कायफल चूर्ण को सिरके में पीसकर दांतों पर रगड़ने से दांतों का दर्द ठीक हो जाता है।
कायफल का काढ़ा बनाकर गरारा करने से गलगण्ड या घेंघा, दांतदर्द तथा गले का संक्रमण का शमन होता है।
दस्त से दिलाये राहत काफल (Kafal to Treat Diarrhoea in Hindi)
अगर ज्यादा मसालेदार खाना, पैकेज़्ड फूड या बाहर का खाना खा लेने के कारण दस्त है कि रूकने का नाम ही नहीं ले रहा तो काफल का घरेलू उपाय बहुत काम आयेगा।
-1-2 ग्राम काफल चूर्ण को दो गुना मधु के साथ मिलाकर सेवन करने से दस्त में लाभ होता है।
-10-30 मिली काफल के छाल का काढ़ा बनाकर का सेवन करने से दस्त, प्रवाहिका तथा जठरांत्र संक्रमण में लाभ होता है।
-काफल तथा बेल गिरी का काढ़ा बनाकर, 10-30 मिली मात्रा में पिलाने से दस्त से राहत मिलता है।
मस्से में फायदेमंद काफल (Kafal Benefits to Ease Warts in Hindi)
काफल का पेस्ट मस्सों पर लगाने से तुरन्त आराम मिलता है। कटफल को महीन पीसकर उसमें घी मिलाकर मस्सों पर लगाने से मस्से नष्ट हो जाते हैं।
काफल |
श्वेत प्रदर या सफेद पानी में फायदेमंद काफल (Kafal Beneficial in Leucorrhoea in Hindi)
काफल का काढ़ा बनाकर 10-20 मिली मात्रा में सेवन करने से डिलीवरी होने के बाद ब्लीडिंग, अतिमासिकस्राव तथा श्वेत प्रदर के परेशानी से लाभ मिलता है।
नपुंसकता में लाभकारी काफल (Kafal Fruit Beneficial in Impotency in Hindi)
काफल छाल को भैंस के दूध में पीसकर रात को इन्द्रिय (कामेन्द्रिय) पर लेप करने के बाद सुबह धो लेना चाहिए। इसका प्रयोग कई दिनों तक करने से नपुंसकता मिटती है। कटफल छाल तेल को कामेन्द्रिय पर मलने से भी नपुंसकता दूर होती है।
[ पहाड़ी फल तिमले का लाजवाब जायका ] [भमोरे का फल स्ट्रॉबेरी की तरह लाल हो जाता ] [घिंघारू के फलों में उक्त रक्तचाप और हाइपरटेंशन जैसी बीमारी को दूर करने की क्षमता है।]
पेट दर्द में लाभकारी काफल (Kafal Fruit to Treat Stomach Pain in Hindi)
अक्सर मसालेदार खाना खाने या असमय खाना खाने से पेट में गैस हो जाने पर पेट दर्द की समस्या होने लगती है। 1 ग्राम कटफल चूर्ण में चुटकी भर नमक मिलाकर खिलाने से पेट दर्द दूर होता है।
लकवा के परेशानी से दिलाये राहत काफल (Kafal Beneficial in Paralysis in Hindi)
काफल तेल की मालिश करने से पक्षाघात (लकवा) में भी लाभ होता है।
रक्तपित्त (नाक-कान से खून बहना) की परेशानी करे कम काफल (Kafal Benefit to Get Relief from Haemoptysis ya Raktpitta in Hindi)
1-2 ग्राम उशीरादि चूर्ण अथवा 1-2 ग्राम काफल चूर्ण में समान मात्रा में लाल चंदन चूर्ण मिलाकर, शर्करा युक्त चावल के धोवन के साथ सेवन करने से रक्तपित्त, सांस संबंधी समस्या, पिपासा तथा जलन में फायदेमंद होता है।
बुखार करे कम काफल (Kafal Benefits in Fever in Hindi)
अगर मौसम के बदलने के वजह से या किसी संक्रमण के कारण बुखार हुआ है तो उसके लक्षणों से राहत दिलाने में काफल बहुत मदद करता है।
-काफल, नागरमोथा, भारंगी, धनिया, रोहिषतृण, पित्तपापड़ा, वच, हरीतकी, काकड़ा शृंगी, देवदारु तथा शुण्ठी, इन 11 द्रव्यों का काढ़ा बनाकर 10-20 मिली मात्रा में पीने से हिक्का, खाँसी तथा बुखार से छुटकारा मिलता है।
-1-2 ग्राम कट्फलादि चूर्ण में मधु अथवा अदरक का रस मिलाकर सेवन करने से बुखार, खांसी तथा सांस संबंधी समस्या, खाना खाने की इच्छा में कमी, वातरोग, उल्टी, दर्द तथा क्षय रोगों या टीबी में फायदेमंद होता है।
-काफल, इन्द्रयव, पाठा, कुटकी तथा नागरमोथा, इन द्रव्यों से बने 10-20 मिली काढ़े का सेवन करने से पित्त के कारण जो बुखार होता है, वह कम होता है।
-1 ग्राम काफल चूर्ण में 500 मिग्रा काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर मधु के साथ चटाने से कफ जनित बुखार से राहत मिलता है।
अत्यधिक पसीना से दिलाये राहत काफल (Kafal Fruit to Treat Excessive Sweat in Hindi)
कटफल चूर्ण को बारीक पीसकर उसमें सोंठ चूर्ण मिलाकर शरीर पर मर्दन (रगड़ने) करने से अत्यधिक पसीना निकलना बंद हो जाता है।
सूजन करे कम काफल (Kafal Beneficial in Inflammation in Hindi)
काफल चूर्ण को पानी में पीसकर सूजन पर लगाने से सूजन कम हो जाता है।
काफल का उपयोगी भाग (Useful Parts of Kafal)
आयुर्वेद में काफल के छाल, फूल, बीज तथा फल का प्रयोग औषधि के लिए सबसे ज्यादा किया जाता है।
काफल का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए? (How to Use Kafal in Hindi?)
बीमारी के लिए काफल के सेवन और इस्तेमाल का तरीका पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए काफल का उपयोग कर रहे हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।
चिकित्सक के परामर्श के अनुसार
-2-4 ग्राम काफल का चूर्ण,
-30-60 मिली काढ़े का सेवन कर सकते हैं।
काफल की क्या है खासियत? |
काफल की क्या है खासियत?
काफल की बात करें तो जंगल में इसके पेड़ होते हैं. मार्च की शुरुआत में इस फल पर फूल आते हैं और मई-जून में इसके फल तैयार हो जाते हैं. इसके बाद इन्हें खाने के लिए तोड़ा जाता है. स्थानीय लोग इसे पिसे हुए नमक के साथ बड़े चाव से खाते हैं. पर्यटकों को भी काफल अपनी तरफ आकर्षित कर रहे हैं.
इस फल की विशेषता इसके औषधीय गुण हैं. ये फल पेट की बीामरियों का रामबाण माना जाता है. पेट से जुड़ी कई बीमारियों के इलाज के लिए फायदेमंद है. इसके अलावा डायबिटीज, ब्लड प्रेशर के मरीजों को भी इसे खाने से फायदा मिलता है. इसी वजह से लोग पूरे साल इस फल का इंतजार करते हैं.
काफल का क्या है इतिहास?
काफल का वैज्ञानिक नाम मिरिका एस्कुलेंटा है. ये पेड़ हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाता है. हजारों साल से उत्तराखंड के जंगलों में काफल का पेड़ उग रहा है. उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में ये काफी ज्यादा मात्रा में पाया जाता है. इसके अलावा ये हिमाचल प्रदेश और नॉर्थ ईस्ट के पहाड़ी इलाकों में होता है. नेपाल के कई इलाकों में भी काफल का पेड़ पाया जाता है, जहां इसके नाम अलग-अलग है. उत्तरांखड की बात करें तो ये यहां की संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है.
काफल में हैं कई औषधीय गुण
इस जंगली फल में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं. इसमें कैल्शियम, जिंक और फास्फोरस जैसे पदार्थ पाए जाते हैं, जो शरीर के लिए वरदान से कम नहीं है. काफल में विटामिन सी और एंटी ऑक्सीडेंट भी होता है. कुल मिलाकर ये फल कई पोषक तत्वों से भरपूर होता है. इसलिए इसकी डिमांड काफी ज्यादा है. इस फल का आनंद लेने के आपको पहाड़ का ही रुख करना होगा क्योंकि ये बहुत जल्दी खराब होता है और एक बार इसका रस निकाल जाए तो ये बेस्वाद लगता है.
उत्तराखंड का प्रसिद्ध फल क्या है?
अगर नहीं खाया तो बता दें कि काफल एक पहाड़ी फल है, जो मुख्य रूप से उत्तराखंड में मिलता है. कभी उत्तराखंड जाएं तो इसका स्वाद जरूर चख कर देखें. इस राज्य का यह प्रसिद्ध फल है, जिसे यहां के लोग बेहद चाव से खाते हैं. काफल एक छोटे आकार का बेरी जैसा फल है, जो गोल और लाल, गुलाबी रंग का होता है.
उत्तराखंड का फल क्या है?
काफल की बात करें तो इसे उत्तराखंड के राजकीय फल का दर्जा हासिल है.
काफल का वैज्ञानिक नाम क्या है?
काफल (वैज्ञानिक नाम: मिरिका एस्कुलेंटा myrica esculata), उत्तरी भारत और नेपाल के पर्वतीय क्षेत्र, मुख्यत: हिमालय के तलहटी क्षेत्र मैं पाया जाने वाला एक वृक्ष या विशाल झाड़ी है।
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