निर्मल पांडे - Nirmal Pandey

निर्मल पांडे - Nirmal Pandey 

भारतीय सिनेमा में अभिनय के क्षेत्र में अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति अर्जित करने वाला उत्तराखण्ड का अकेला प्रतिभावान युवा। 'दायरा' फिल्म में सर्वश्रेष्ठ अभिनय के लिए फ्रांस में आयोजित फिल्म समारोह में पुरस्कार पाने वाला पहला भारतीय कलाकार। निर्मल पांडेय एक ऐसा नाम है जो कम समय में अपने पीछे ज्यादा दिन तक जीवित रहने वाली निशानी छोड़ गये। निर्मल पांडेय उर्फ नानू उर्फ परुवा डान आज इस दुनिया इस में नहीं है, पर एक अच्छे अभिनेता के तौर पर वो हमेशा याद किये जाते रहेंगे।

प्रारम्भिक जीवन

उनकी पारम्भिक शिक्षा अल्मोड़ा और नैनीताल में हुई। वो स्कूल के दिनों से नाटक में भाग लिया करते थे। स्कूल खत्म होते-होते वो तय कर चुके थे कि उनको अपना करियर अभिनय में ही नजर आता है। बी.काम., एम.ए. शिक्षा प्राप्त निर्मल पाण्डे ने 'नेशनल स्कूल आफ ड्रामा' से अभिनय का प्रशिक्षण प्राप्त किया। अभिनय का उच्च प्रशिक्षण प्राप्त कर एक बार पाण्डे इंग्लैण्ड गए। सी.आर.एस.टी. में पढ़ाई के दौरान उन्होंने नाटकों और रामलीलाओं में अभिनय करना शुरू किया। अपनी शिक्षा पूरी होने के बाद उन्होंने भीमताल के ब्लाक आफिस में क्लर्क की नौकरी भी की। लेकिन रंगमंच में ओर झुकाव होने के कारण सरकारी नौकरी त्याग दी।

करियर

नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा दिल्ली से अपने तीन साल के सफर को तय करके अपने अभिनय की दुनिया में पैर जमाने के लिये निर्मल पांडेय जी लन्दन के तारा नामक थियेटर ग्रुप में शामिल हो गये। और उन्होंने इस रंगमंच में कई सफल नाटक जैसे हीर रांझा और एन्टीगोन किये। उन्होंने लगभग 125 नाटक में अभिनय किया। ये सफर उनकी जिंदगी का बेहतरीन सफर था। उन्होंने अपने इस कार्य में बहुत प्रंशसा बटोरी। इंग्लैंड में सुप्रसिद्ध फिल्म निर्देशक शेखर कपूर ने इनकी अभिनय कला को देखा और परखा। कपूर साहब इनसे इतने प्रभावित हुए कि वहीं उन्होंने पाण्डे को अपनी निर्माणाधीन फिल्म "बैंडिट क्वीन" के लिए अनुबंधित कर दिया। यह फिल्म दस्यू सुंदरी फूलन देवी के जीवन पर आधारित है। फिल्म में निर्मल पाण्डे ने फूलन के प्रेमी विक्रम मल्लाह की भूमिका अभिनीत की। विवादों और सेंसर बोर्ड की कैंची से गुजरते यह फिल्म अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति अर्जित कर गई। निर्मल पाण्डे इस फिल्म से अन्तर्राष्ट्रीय सिने कलाकार स्थापित हो गए। अब फिर क्या था- पाण्डे ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। इन्हें धड़ाधड़ फिल्में मिलती चली गई। भाग्य ने साथ दिया और इनकी हर फिल्म 'हिट' होती चली गई। उल्लेखनीय भूमिका वाली इनकी अब तक प्रदर्शित फिल्में हैं- बैंडिट क्वीन, शिकारी, ट्रेन टु पाकिस्तान, औजार, इस रात की सुबह नहीं, दायरा, हम तुम पे मरते हैं, प्यार किया तो डरना क्या, जहां तुम ले चलो। 'दायरा' फिल्म में अभिनय के लिए इन्हें सर्वश्रेष्ठ नायिका का तमगा दिया गया। यह सम्मान इन्हें फ्रांस में आयोजित एडवेंचर डि वलेन्सीन्नीज फिल्म समारोह में एक ऐसे पुरुष के अभिनय के लिए दिया गया है जो महिला के परिधान में रहता है और उसके रहन-सहन के लक्षण स्त्रीगत स्वभाव के हैं। यह पुरस्कार प्राप्त करने वाले निर्मल पाण्डे पहले भारतीय हैं

अप्रैल 1997 में निर्मल पाण्डे लखनऊ निवासी कौसर रजा से परिणय सूत्र में बंधे। कौसर रजा से इनकी एक बेटी है। शादी के बाद कौसर रजा कौसर पाण्डे हो गई। सितम्बर 1999 में निर्मल का एक आडियो कैसेट जज्बा और वीडियो कैसेट 'मार डाला' रिलीज हुए। आडियो कैसेट के गाने इनकी सह-धर्मिणी कौसर पाण्डे ने लिखे हैं और वीडियो कैसेट का निर्देशन प्रदीप सरकार ने किया था। 2005 में निर्मल पांडे की शादी अर्चना शर्मा से हुई थी। अर्चना शर्मा से इनके दो बच्चे हैं।

बैंडिट क्वीन की सफलता के बाद निर्मल पांडेय जी बहुत आगे बढ़े। 1996 में ही अमोल पालेकर के निर्देशन बनी फिल्म दायरा आयी जिसमे फिर निर्मल पांडेय पर्दे पर नजर आये। इस फ़िल्म में उनके बेहतरीन अभिनय के कारण उनको फ्रांस फ़िल्म महोत्सव में पुरस्कार मिला। 1998 में उनकी फ़िल्म ट्रेन टू पाकिस्तान आयी और इसके बाद 1999 फिर एक हिट फिल्म हम तुमपे मरते हैं आयी।

इन्होंने हिंदी भाषा के साथ और कई भाषाओ की फिल्मों में काम किया। अपने काबिलियत और जुनून के बल पर निर्मल जी बिना किसी के सहारे फिल्मी दुनिया में बने रहे। लेकिन उनको बॉलीवुड से वो मुक़ाम नही मिला जितना के वो हक़दार थे। लेकिन फिर भी वो अपने काम से खुश थे।

टीवी शोज में सक्रिय रहे

निर्मल लगातार फिल्मों और टीवी शोज में सक्रिय रहे। उन्होंने फिल्म अभिनेता बनने के बावजूद कभी टीवी से अपनी दूरी नहीं बनाई। उनके निभाए सभी किरदारों में एक किरदार टीवी शो हातिम में दज्जाल का भी है। यह एक नकारात्मक किरदार था जिसे दर्शकों ने खूब पसंद किया। इस शो के करीब 47 एपिसोड प्रसारित हुए थे। इस दौरान लोग जितना हातिम को देखना पसंद करते थे उतना ही दज्जाल को लेकर भी क्रेज रहता था।

दायरा को फिल्म महोत्सवों में काफी वाह-वाही मिली

अमोल पालेकर निर्देशित इस फिल्म में निर्मल पांडे और सोनाली कुलकर्णी मुख्य किरदार में दिखे। यह फिल्म अपने विषय के कारण भारत में कभी रिलीज नहीं हो पाई। हालांकि इस फिल्म को दूसरे देशों और फिल्म महोत्सवों में काफी वाह-वाही मिली। फिल्म में निर्मल ने एक ट्रांसवेस्टीट (विषुपहिरणी) का किरदार अदा किया है। इस चुनौतीपूर्ण किरदार ने सभी का ध्यान अपनी तरफ खींचा। इस फिल्म में एक गांव की लड़की की मजबूरी को दिखाया गया है जो एक लड़का बनने पर मजबूर होती है। इस फिल्म के जरिए समाज की मानसिकता पर चोट की गई है। फिल्म का कहानी, निर्देशन, अभिनय और संगीत से लेकर सभी पक्ष काफी मजबूत और प्रभावी रहे।

लाहौर स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म

इस फिल्म के प्रीमियर से ठीक पहले निर्मल पांडे दुनिया को अलविदा कह गए थे। यह एक स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म है। जिसमें निर्मल ने अनवर शेख नामक एक दयालु पाकिस्तानी व्यक्ति का किरदार अदा किया था। वैसे तो यह फिल्म का मुख्य किरदार नहीं था लेकिन प्रभावी जरूर था। बताया जाता है कि 22 फरवरी 2010 को इस फिल्म का प्रीमियर था और इससे सिर्फ चार दिन पहले 18 फरवरी को उनकी मृत्यु हो गई।

विभाजन के इर्द-गिर्द घूमती यह फिल्म ट्रेन टू पाकिस्तान

विभाजन के इर्द-गिर्द घूमती यह फिल्म खुशवंत सिंह की नॉवेल पर आधारित है। पामेला रुक्स निर्देशित इस फिल्म में निर्मल पांडे ने जगत सिंह/जग्गा का किरदार निभाया है। वह एक डकेत होता है जो एक मुस्लिम लड़की नूरन (स्मृति मिश्रा) से प्यार करता है। फिल्म में एक ऐसे गांव की कहानी दिखाई जाती है जो सरहद के पास है। गांव में सिख और मुस्लिम लोग रहते हैं। बंटवारे के दौरान एक ट्रेन पाकिस्तान से भारत आती है जिसमें लोगों की लाशें होती हैं, जिसके बाद से वहां का पूरा माहौल बदल जाता है। खुशवंत सिंह की इस किताब पर फिल्म बनाने की कोशिश कई कलाकारों ने पहले भी की थी लेकिन इस विषय की संवेदनशीलता को देखते हुए किसी ने इसपर फिल्म नहीं बनाई।

फिल्मी दौर

उनकी मुटठी भर फिल्मे उनको कई सालों तक जिंदा रखेंगी

  1. लाहौर (2010) - अनवर शेख
  2. केडी (तेलगु फ़िल्म) (2010)
  3. देशद्रोही (2008)
  4. राजकुमार आर्यन
  5. डकैत (2006)
  6. लैला (2005)
  7. हातिम टीवी सीरीज (2003)
  8. आँच (2003)
  9. दीवानगी (2002)
  10. वन टू का फोर (2001)
  11. शिकारी (2000)
  12. दुबई (2000)
  13. हद कर दी आप ने (2000)
  14. हम तुम पे मरते हैं (1999)
  15. गॉडमदर (1999)
  16. जहाँ तुम ले चलो (1999)
  17. प्यार किया तो डरना क्या (1998)
  18. ट्रेन टू पाकिस्तान (1998)
  19. औजार (1997)
  20. दायरा (1996)
  21. इस रात की सुबह नही (1996)
  22. बैंडिट क्वीन (1996)

पुरस्कार

निर्मल पांडेय जी को दायरा फ़िल्म के लिये फ्रांस फ़िल्म महोत्सव में बेस्ट एक्टर के पुरस्कार से सम्मानित किये गये। टी०वी० शोज के दौर में गब्बर मिक्स के लिये उन्हें चैनल वी ने भी सम्मानित किया।

मृत्यु

इनका जीवनकाल बहुत लम्बा नही रहा। 47 वर्ष की उम्र में इन्होंने दुनियां को अलविदा कहकर चले गये। इनकी मृत्यु 18 फरवरी सन 2010 में हार्ट अटैक से मुम्बई में हुई।

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