गढ़वाल और कुमाउनी मंगल गीत : "औ बैठ कागा हरिया बिरीच" - कौए) के माध्यम से सारे देवी-देवताओं को विवाह के निमंत्रण
गढ़वाल और कुमाउनी मंगल गीत : "औ बैठ कागा हरिया बिरीच" - कौए) के माध्यम से सारे देवी-देवताओं को विवाह के निमंत्रण
"औ बैठ कागा... हरिया बिरीच..."-२
बुल-बोल कागा... चोंदिशी सगुन...
बिचारा बरमा जी तें कागा की बोली...
बेदमुखी बरमाजी... बेद पढ़ाला...
"सगूनी कागा सगून बोल्यालो..."-२
पिंजरी का सूवा अटरी का सूवा
दे अ सूवा तू स्वागीण्यों न्युतो
सोनपंखी सूवा तू लालठूँठ सुआ
"दे अ सूवा तू स्वागीण्यों न्युतो"-२
जणदों नी छों मैं पछणदों नी छों मैं
"कै घर कै देवी न्यूती की औलू"-२
बरमाजी का घर होली सावित्री देवी
वें घर वीं देवी न्यूती की एई
विष्णुजी का घर होली लक्षमी देवी
वें घर वीं देवी न्यूती की एई
शिवजी का घर होली पारवती देवी
"वें घर वीं देवी न्यूती की एई"-२
"दे अ सूवा तू स्वागीण्यों न्युतो"-२
उपरोक्त गीत में कागा(कौए) के माध्यम से सारे देवी-देवताओं को विवाह के निमंत्रण देने की बात को बताया गया है| इन गीतों को समय-समय पर कईं कलाकारों ने अपने-अपने तरीके से गाया है और साथ ही इन गीतों को पुनः बेहतरीन गायकी और लय से शुशोभित किया गया है|
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