उत्तराखंड का लोकपर्व हरेला -Harela, the folk festival of Uttarakhand

उत्तराखंड का लोकपर्व हरेला

उत्तराखंड अपनी सांस्कृतिक कला  एवं रीति रिवाजों के तौर पर पूरे देश विदेश में महशूर है। रीती रिवाजों को जीवंत रखते हुये यहाँ पर पौराणिक  काल से ही विभिन्न से पर्व एवं त्यौहार मनाएं जाते है।  उन्ही प्रमुख लोकपर्वों  में से एक है हरेला पर्व जिसे की उत्तराखंड में बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाएं जाने का प्रवधान है।  जहाँ ये पर्व उत्तराखंड की सुंदरता की अलौकिक छवि को प्रस्तुत करते है वही यह पर्व लोगों के बीच मेल मिलाप एवं प्रेम भावना को जागृत करता है।  आज के इस लेख में हम आपको उत्तराखंड का लोकपर्व  हरेला से सम्बंधित मूलभूत  जानकारी देने वाले है की आखिर उत्तराखंड का लोकपर्व  हरेला किस तरह से मनाया जाता है।

क्या होता है लोकपर्व  हरेला

वैसे तो उत्तराखंड में बहुत से पर्व मनाएं जाते है। लेकिन हरेला पर्व सभी पर्वों से अलग है।  उत्तराखंड की संस्कृति एवं रीती रिवाजों में  हरेला पर्व का बड़ा योगदान माना जाता है।  जहाँ ये पर्व अच्छी फसल कामना के उदेश्य से मनाया जाता है।  वही यह पर्व लोगों के बीच आपसी एकता को बढ़ावा देता है।  माना जाता है की हरेला के दिन अपने देवी देवताओं की पूजा करके राज्य के निवासी अपनी अच्छी फसल की कामना करते है।  भारत एक कृषि प्रधान  देश होने के कारण कृषि को बड़ा महत्व दिया जाता है।  इसलिए उत्तराखंड में अपने इष्ट देव से अच्छी फसल की कामना करते हुए हरेला पर्व मनाया जाता है।  उत्तराखंड में हरेला पर्व पारिवारिक तौर पर तो मनाया ही जाता है साथ में यह पर्व किसी किसी जगह गांव वाले एक साथ मिल कर  मानते है। इसीलिए इस पर्व को आपसी प्रेम का प्रतिक माना जाता है।

हरेला पर्व कब मनाया जाता है

अन्य पर्वों के भांति भी इस पर्व को मनाएं जाने के सम्बन्ध में मतभेद बने रहते है।  हम आपको हरेला पर्व कब मनाया जाता है के बारें में भी जानकारी देने वाले है।  बताना चाहेंगे की जिस त्यौहार को मानाने के लिए उत्तराखंडवासी उत्शुक हुवा करते है वह पर्व हरेला हर वर्ष श्रावण माह की पहली गते को मनाया जाता है।  हिन्दू पंचाग के अनुसार यह पर्व श्रावण माह की पहली गते को मनाया जाता है।  लेकिन अंग्रेजी कैलेंडर में  यह पर्व  कभी कभी शंका उत्पन्न कर देता है।


हरेला 2023 में कब है

हर वर्ष बड़ी ही श्रद्धा एवं आस्था भाव के साथ मनाया जाने वाला हरेला पर्व  को लेकर भी बहुत से लोग उत्सुक दिखाई दे रहे है।  बड़ी ही बेसब्री से इस पर्व का इन्तजार किया जा रहा है।  बताना चाहेंगे की इस वर्ष यानि की 2024  में हरेला पर्व 18 जुलाई को मनाया जायेगा।  जैसा की हम आपको पहले ही बता चुके है की हरेला पर्व हर वर्ष श्रावण माह की पहली गते को मनाया जाता है जो की 2024  में 16 जुलाई को आ रहा है।

ऐसे मनाते हैं हरेला पर्व

हरेला पर्व उत्तराखंड में बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। हरेला आने से 9 दिन पहले ही घर में बने मंदिर में सात प्रकार के आनाज को एक रिंगाल की  टोकरी में रोपित किया जाता है। इसके लिए टोकरी में मिट्टी डाली जाती है और उसके बाद उसके ऊपर अन्न के बीज डाले जाते है।  दसवें दिन यानि की हरेला के दिन इन्हें काट लिया जाता है। बाद में घर  के मुखिया द्वारा इसका पूजन किया जाता है। अंत में देवता को अर्पित करके बुजुर्ग महिला सभी सदस्यों को हरेला लगाती है।  हरेला लगते समय मधुर ध्वनि में एक गीत गया जाता है।

हरियाली पर्व "हरेला" | Hindi Inspirational Poem


हरियाली पर्व "हरेला"

गेहूं,जौ और मक्का के बीजों से 
होती इसकी शुरुआत है।
डलिया में बोया जाता,अंधेरे मे रखा जाता,
कोई ना कोई बात है।।

बैशाखी, होली की तरह,
कृषि प्रधान त्योहार है।
हमारी सामाजिक,पारिवारिक और
धार्मिक सास्कृतियों का आधार है।।

अन्न,धन-धान्य् और प्रतीक
 "हरेला" समृद्धि का ।
अंबर सा ऊंचा,धरती सा विशाल,
दूब सा विस्तार,आशीर्वाद है वृद्धि का ।।

ऋतु परिवर्तन का सूचक,
पर्व हरियाली का होता है।
आशीर्वाद मिलता है बड़ों का,
वातावरण ख़शहाली का होता है।।

नौ दिन रहता अँधेरे में, 
पतीशा जाता दसवें दिन ।
तिलक चन्दन अक्षत से अभिमंत्रित होता।
देव को होता प्रथम अर्पित,
शुरु ना होता पूजा बिन।।

आओ एक पहल हम सब
मिलकर इस बार करें।
हरेला के पावन पर्व पर,
 वृक्ष लगाकर, धरती का श्रृंगार करें।।


Harela (हरेला)
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