प्रसून जोशी - Prasoon Joshi

प्रसून जोशी - Prasoon Joshi

प्रसून जोशी (जन्म: 16 सितम्बर 1968) हिन्दी कवि, लेखक, पटकथा लेखक और भारतीय सिनेमा के गीतकार हैं। वे विज्ञापन जगत की गतिविधियों से भी जुड़े हैं और अन्तर्राष्ट्रीय विज्ञापन कंपनी 'मैकऐन इरिक्सन' में कार्यकारी अध्यक्ष हैं। फ़िल्म ‘तारे ज़मीन पर’ के गाने ‘मां...’ के लिए उन्हें 'राष्ट्रीय पुरस्कार' भी मिल चुका है। अब सेंसर बोर्ड के चेयरमैन हैं
प्रसून जोशी - Prasoon Joshi

प्रसून जोशी - Prasoon Joshi
पूरा नाम                 प्रसून जोशी
जन्म                         16 सितम्बर, 1968
जन्म भूमि                 अल्मोड़ा, उत्तराखंड
अभिभावक         देवेन्द्र कुमार जोशी और सुषमा जोशी
कर्म भूमि                 मुम्बई
कर्म-क्षेत्र                 गीतकार, लेखक
शिक्षा                 एम.एस.सी, एम. बी.ए.
पुरस्कार-उपाधि फ़िल्म 'तारे ज़मीं पर' के गाने 'मां...' के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार, शैलेंद्र सम्मान आदि
                                प्रसिद्धि 'दिल्ली.6’, ‘तारे ज़मीन पर’, ‘रंग दे बस्ती’, ‘हम तुम’ और ‘फना’ जैसी फ़िल्मों में                                 कई सुपरहिट गाने लिखे हैं।
नागरिकता          भारतीय
अन्य जानकारी प्रसून जोशी विज्ञापन जगत् में "विज्ञापन गुरु" के नाम से विख्यात तो हैं ही इसके साथ ही अन्तर्राष्ट्रीय विज्ञापन कंपनी 'मैकऐन इरिक्सन' में कार्यकारी अध्यक्ष हैं।

परिचय

प्रसून जोशी का जन्म उत्तराखंड के अल्मोड़ा ज़िले में 16 सितम्बर, 1968 को हुआ था। प्रसून जोशी का पैतृक गाँव दन्या, ज़िला अल्मोड़ा है। प्रसून जोशी के पिता का नाम श्री देवेन्द्र कुमार जोशी और उनकी माता का नाम श्रीमती सुषमा जोशी है। उनका बचपन एवं उनकी प्रारम्भिक शिक्षा  टिहरी, गोपेश्वर, रुद्रप्रयाग, चमोली एवं नरेन्द्रनगर में हुई क्योंकि उनके पिता उत्तर प्रदेश सरकार में 'शिक्षा निदेशक' थे और उनका  कार्यकाल अधिकतर इन्हीं जगहों पर रहा। प्रसून जोशी बचपन से ही प्रकृति, सृष्टि द्वारा सृजित चीजों एवं प्राकृतिक सौन्दर्य के प्रति आकर्षित रहे। इसलिए लेखन उनके स्वभाव में स्वत: ही प्रवेश कर गया। बचपन में वे खुद की हस्तलिखित पत्रिका भी निकालते थे और इस प्रकार लेखन उनका शौक़ बना। जहां तक गीतों की रचना का प्रश्र है उनके माता-पिता संगीत के बहुत ज्ञाता थे। जब उन्होंने उनसे संगीत विरासत में ग्रहण किया और वे उसकी बारिकियों से वाकिफ़ हुए तो फिर वो गीतों के रचनाकार बने। बड़े होकर जब प्रसून जोशी ने व्यवसायिक शिक्षा (एमबीए) पूरी की तब उन्हें लगा कि  उन्हें सृजन को दूसरे माध्यम से भी आगे बढ़ाना चाहिए। यह माध्यम विज्ञापन के अलावा दूसरा नहीं था। काम चाहे लेखन का हो या विज्ञापन का दोनों ही अपनी बात को दूसरों के दिलों तक पहुंचाने का सशक्त माध्यम है। 

शिक्षा

प्रसून जोशी की प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा उत्तराखण्ड के गोपेश्वर एवं नरेन्द्रनगर में हुई। उन्होंने एम.एससी., के बाद एम.बी.ए. की पढ़ाई भी की।
प्रसून जोशी - Prasoon Joshi

शास्त्रीय संगीत की दीक्षा

गीतकार प्रसून के लिखे गीतों से हम सब वाकिफ हैं, पर बहुत कम लोग जानते है कि वो उन्होंने उस्ताद हफीज़ अहमद खान से शास्त्रीय संगीत की दीक्षा भी ले रखी है। उनके उस्ताद उन्हें ठुमरी गायक बनाना चाहते थे। उन दिनों को याद कर प्रसून बताते हैं कि उनके पास रियाज़ का समय नहीं होता था, तो बाईक पर घर लौटते समय गाते हुए आते थे और उनका हेलमेट उनके लिए "अकॉस्टिक" का काम करता था।

कार्यक्षेत्र

प्रसून संगीत को अपना उपार्जन नहीं बना पाये। उनके पिता उन्हें प्रशासन अधिकारी बनाना चाहते थे, पर ये उनका मिज़ाज नहीं था, तो MBA करने के बाद आखिरकार विज्ञापन की दुनिया में आकर उनकी रचनात्मकता को ज़मीन मिली। बचपन से उन्हें हिन्दी और उर्दू भाषा साहित्य में रुचि थी। उनके शहर रामपुर के एक पुस्तकालय में उर्दू शायरों का जबरदस्त संकलन मौजूद था। मात्र 17 साल की उम्र में उनका पहला काव्य संकलन आया। कविता अभी भी उनका पहला प्रेम है। प्रसून मानते हैं कि यदि संगीत के किसी एक घटक की बात की जाए जो आमो ख़ास सब तक पहुँचता हो और जहाँ हमने विश्व स्तर की निरंतरता बनाये रखी हो तो वो गीतकारी का घटक है। 50 के दशक से आज तक फ़िल्म जगत् के गीतकारों ने गजब का काम किया है। "हम तुम", "फ़ना" और "तारे ज़मीन पर" जैसी फ़िल्मों के गीत लिख कर फ़िल्म फेयर पाने वाले प्रसून तारे ज़मीन पर के अपने सभी गीतों को अपनी बेटी ऐश्निया को समर्पित करते हैं, और बताते हैं कि किस तरह एक 80 साल के बूढे आदमी ने उनके लिखे "माँ" गीत की तारीफ करते हुए उनसे कहा था कि वो अपनी माँ को बचपन में ही खो चुके थे, गाने के बोल सुनकर उन्हें उनका बचपन याद आ गया। ए. आर. रहमान के साथ गजनी में काम कर रहे प्रसून से जब रहमान गीत को आवाज़ देने की "गुजारिश" की तो प्रसून ने बड़ी आत्मीयता से कहा कि जिस दिन आप धाराप्रवाह हिन्दी बोलने लगेंगे उस दिन मैं आपके लिए अवश्य गाऊंगा.देखते हैं वो दिन कब आता है।

उपलब्धियां

राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय विज्ञापनों में पुरस्कार। शुभा मुदगल तथा ‘सिल्क रूट’ के ऊपर चार सुपर हिट ‘एलबम्स’ में धुन रचना के लिए पुरस्कार। फ़िल्म ‘लज्जा’, ‘आँखें’, ‘क्यों’ में संगीत दिया। तीन पुस्तकें प्रकाशित कीं। ‘ठण्डा मतलब कोका कोला’ एवं ‘बार्बर शॉप-ए जा बाल कटा ला’ जैसे प्रचलित विज्ञापनों हेतु अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता मिली।

सम्मान और पुरस्कार

मशहूर गीतकार प्रसून जोशी को इस क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए आज यहां 'शैलेंद्र सम्मान' प्रदान किया गया। युवा गीतकार प्रसून ने ‘दिल्ली.6’, ‘तारे ज़मीन पर’, ‘रंग दे बस्ती’, ‘हम तुम’ और ‘फना’ जैसी फ़िल्मों के लिए कई सुपरहिट गाने लिखे हैं। यह सम्मान पाने के बाद प्रसून कैफ़ी आज़मी और गुलज़ार की कतार में शामिल हो गये। इन लोगों को पहले शैलेंद्र सम्मान मिल चुका है।
उन्होंने कई हिंदी फ़िल्मों के लिए गाने भी लिखे हैं। सुपरहिट फ़िल्म ‘तारे ज़मीन पर’ के गाने ‘मां...’ के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार मिला।

पुरस्कार

सर्वश्रेष्ठ गीतकार का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार
2014, 2008, 2007 · ज़िंदा ("भाग मिल्खा भाग" से), माँ, चाँद सिफ़ारिश
सर्वश्रेष्ठ गीत के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार
2013, 2009 · चटगांव, तारे ज़मीन पर
पद्म श्री 
2015
सर्वश्रेष्ठ गीतकार के लिए आईफा पुरस्कार
2007 · चांद सिफ़ारिश
सर्वश्रेष्ठ कहानी के लिए आईफा पुरस्कार
2014 · भाग मिल्खा भाग
सर्वश्रेष्ठ गीत के लिए गिल्ड पुरस्कार
2009 · मा
सर्वश्रेष्ठ संवाद के लिए आईफा पुरस्कार
2014 · भाग मिल्खा भाग
सर्वश्रेष्ठ पटकथा के लिए गिल्ड पुरस्कार
2014 · भाग मिल्खा भाग
सर्वश्रेष्ठ गीतकार के लिए ज़ी सिने पुरस्कार
2008, 2007 · तारे ज़मीन पर, रंग दे बसंती
सर्वश्रेष्ठ गीतकार के लिए स्क्रीन अवार्ड
2012 · अच्छा लगता है
सर्वश्रेष्ठ पटकथा के लिए आईफा पुरस्कार
2014 · भाग मिल्खा भाग
सर्वश्रेष्ठ कहानी के लिए गिल्ड पुरस्कार
2014 · भाग मिल्खा भाग
सूफी परंपरा का प्रतिनिधित्व करने वाले गीत के लिए मिर्ची संगीत पुरस्कार
2014 · मेरा यार
बॉलीवुड मूवी पुरस्कार - सर्वश्रेष्ठ गीतकार
2007 · चांद सिफ़ारिश
क्रिटिक्स चॉइस एल्बम ऑफ द ईयर के लिए मिर्ची म्यूजिक अवार्ड्स
2010 · दिल्ली-6
सर्वश्रेष्ठ टीवी गीतकार के लिए इंडियन टेली अवार्ड
2002 · हम परदेसी हो गये
वर्ष के आलोचकों की पसंद के गीतकार के लिए मिर्ची संगीत पुरस्कार
2014, 2010 · मस्तों का झुंड, मसकली

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