उत्तराखण्ड में स्थित विश्व का इकलौता मन्दिर जहां रात भर नंगे पांव कठिन चढ़ाई चढ़कर प्रात:काल दर्शन किये जाते हैं !
इस जगह पर सुबह के 4 बजे सूर्योदय के दर्शन होते है। हिमालय और कैलाश पर्वत के बीच से जब सूरज निकलता है, तो वह तीन रंगों में अपना स्वरूप बदलता है भगवान सूर्य का यह रूप अनोखा होता है। जिसमे पहले लाल रंग, फिर केसरिया और अंत में चमकीले सुनहरे रंग में आता है। भगवान सूर्य के इस विलक्षण रूप को देखने के लिए लोग यहाँ रात को ही बसेरा लगा देते हैं। इतना ही नहीं माता रानी के आशीर्वाद से रात को यहाँ के जंगलों से आदमी अकेला भी गुजर जाता है।
गॉव से काफी दूर इस मंदिर में गावं ख़त्म होते ही आदमी को अपनी सुविधा पे जाना होता है। लोग यहाँ उपरी जगह पर खाने और रहने के इनजाम के साथ जाते हैं यहाँ पर मई और जून के महीने में जाना उचित माना जाता है। इन महीनों में भी यहाँ पर बड़ी कडाके की ठंड पड़ती है इसलिए अपने साथ कम्बल और गर्म कपड़ों की व्यवस्था के साथ जाना पड़ता है।
जय दीबा मां 🚩🙏🌹
रात घनघोर मांजी रात घनघोर,
मथाना नी आई मांजी दीबा डांडा ओर
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जय रशुलांण दीबा माँ (Jai Rashulan Diba Maa)
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रात घनघोर मांजी रात घनघोर
रात घनघोर मांजी रात घनघोर
पुंगरू ब्यू च मांजी पुंगरु बयू च
पुंगरू ब्यू च मांजी पुंगरु बयू च
मे बुलानू कू मांजी जवाई आयु च
रात घनघोर मांजी रात घनघोर..2
मारदू च मालेयू मांजी मारूदू मालेउ,
मैथाना नी जांडू मांजी न बनाऊं कलेऊ
रात घनघोर मांजी रात घनघोर..2
मार जेली फाल मांजी मारि जेली फाल,
जवाई नि आयू मांजी मि कुन आयु काल
रात घनघोर मांजी रात घनघोर..2
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