उत्तराखंड की प्रसिद्ध महिलाएं डॉ० हर्षवन्ती बिष्ट Famous women of Uttarakhand Dr. Harshwanti Bisht

 डॉ० हर्षवन्ती बिष्ट

उत्तराखंड की प्रसिद्ध पर्वतारोही व् अर्जुन पुरस्कार विजेता डा. हर्षवंती बिष्ट महिला सशक्तिकरण की मिसाल हैं। डा . हर्षवंती बिष्ट देश के सबसे बड़े पर्वतारोहण संस्थान इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन की अध्यक्ष हैं। IMF के इतिहास में डा. हर्षवंती बिष्ट पहली महिला अध्यक्ष बनी हैं। इसके साथ ही उत्तराखंड से IMF का पहला अध्यक्ष बनने का सम्मान भी उनके नाम पर है। 

Famous women of Uttarakhand Dr. Harshwanti Bisht

उत्तराखंड की प्रसिद्ध महिलाएं  डॉ० हर्षवन्ती बिष्ट Famous women of Uttarakhand Dr. Harshwanti Bisht

नारी सशक्तिकरण की मिसाल है उत्‍तराखंड की डा. हर्षवंती बिष्ट, जानिए इनके बारे में

उत्तराखंड की जानी मानी पर्वतारोही और अर्जुन पुरस्कार विजेता डा. हर्षवंती बिष्ट देश के सबसे बड़े पर्वतारोहण संस्थान आइएमएफ की अध्यक्ष हैं। डा. हर्षवंती बिष्ट आइएमएफ के इतिहास में पहली महिला अध्यक्ष बनी हैं।उनके शिक्षा पर्यावरण और पर्वतारोहण के क्षेत्र में किए उल्लेखनीय कार्य महिलाओं को प्रेरित करते हैं।

महिलाएं अगर कुछ करने की ठान लें तो अपने हौसले और प्रतिभा के बूते हर बड़ा मुकाम हासिल कर सकती हैं। उत्तराखंड की जानी-मानी पर्वतारोही और अर्जुन पुरस्कार विजेता डा. हर्षवंती बिष्ट इसकी मिसाल हैं। वर्तमान में डा. हर्षवंती बिष्ट देश के सबसे बड़े पर्वतारोहण संस्थान इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन (आइएमएफ) की अध्यक्ष हैं। आइएमएफ के इतिहास में डा. हर्षवंती बिष्ट पहली महिला अध्यक्ष बनी हैं। इसके साथ ही उत्तराखंड से आइएमएफ का पहला अध्यक्ष बनने का खिताब भी उनके नाम पर है। डा. बिष्ट की ओर से शिक्षा, पर्यावरण और पर्वतारोहण के क्षेत्र में किए उल्लेखनीय कार्य महिलाओं को प्रेरित करने वाले हैं।

उत्तराखंड के पौड़ी जिले के वीरोंखाल ब्लाक स्थित सुकई गांव निवासी डा. बिष्ट ने वर्ष 1975 में नेहरू पर्वतारोहण संस्थान, उत्तरकाशी से पर्वतारोहण का कोर्स पूरा किया। इसके बाद उन्होंने कई पर्वतारोहण अभियान सफलतापूर्वक पूरे किए। वर्ष 1977 में गढ़वाल विवि में अर्थशास्त्र विषय में लेक्चरर पद पर नियुक्ति के बाद भी उन्होंने पर्वतारोहण जारी रखा। 1981 में उन्होंने नंदा देवी पर्वत (7816 मीटर) के मुख्य शिखर का सफल आरोहण किया। इस अभियान में उनके साथ रेखा शर्मा और चंद्रप्रभा एतवाल भी थीं। नंदा देवी चोटी का आरोहण करने वाली ये तीनों भारत की पहली महिलाएं थीं।

इसके लिए वर्ष 1981 में हर्षवंती को अर्जुन पुरस्कार से नवाजा। वर्ष 2013 में सर एडमंड हिलेरी लीगेसी मेडल भी उन्हें प्रदान किया गया। इस सम्मान को पाने वाली हर्षवंती एशिया महाद्वीप की पहली महिला हैं। डा. हर्षवंती बिष्ट 2020 में राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय उत्तरकाशी से प्राचार्य पद से सेवानिवृत्त हुई हैं। डा. हर्षवंती अब देहरादून में रहती हैं और पर्वतारोहण के साथ ही पर्यावरण, सामाजिक मुद्दों पर उनकी सक्रियता बनी हुई है। बीते वर्ष 20 नवंबर को वे आइएमएफ की अध्यक्ष बनी हैं। वे कहती हैं कि उनका मुख्य उद्देश्य भारत में पर्वतारोहण को एक नया मुकाम देने का है, जिसमें भारत सहित विश्वभर के पर्वतारोही एवरेस्ट की ओर नहीं बल्कि भारत में स्थित विश्व विख्यात चोटियों के आरोहण के लिए आएं, जहां आरोहण करने के लिए खुद ही रोप बांधनी पड़ती है, खुद रास्ता बनाना पड़ता है। सही मायने में यही पर्वतारोहण होता है।

1989 में शुरू किया था सेव गंगोत्री प्रोजेक्ट

ग्लेशियर व हिमालय की सुरक्षा के लिए हर्षवंती बिष्ट ने वर्ष 1989 में सेव गंगोत्री प्रोजेक्ट की शुरुआत की। इसके तहत चीड़वासा के पास भोज (सिल्वर बर्च) की पौधशाला तैयार की गई। 1992 से 1996 तक गंगोत्री व भोजवासा में भोज के पौधों का रोपण किया गया। भोजवासा में करीब दस हेक्टेयर क्षेत्र में 12,500 पौधे लगाए। इनमें से 7500 पौधे अब पेड़ बने रहे हैं।

-सविता कंसवाल (युवा पर्वतारोही उत्तरकाशी) का कहना है कि डा. हर्षवंती बिष्ट नारी सशक्तिकरण की मिसाल हैं, उनसे प्रेरणा लेकर वह भी पर्वतारोहण में बुलंदियों को छूने का प्रयास कर रही हैं। महिला को सशक्त बनाने के लिए दैनिक जागरण की मुहिम हमेशा ही प्रेरणादायी है।

IMF की पहली महिला अध्यक्ष बनी पर्वतारोही हर्षवंती बिष्ट, जानें उनसे जुड़ी रोचक बातें

इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन की अध्यक्ष बनने वाली पहली महिला हैं पर्वतारोही हर्षवंती बिष्ट। आइए जानते हैं उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बातें-

Famous women of Uttarakhand Dr. Harshwanti Bisht

उत्तराखंड की जानी पर्वतारोही हर्षवंती बिष्ट आईएमएफ(इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन) की अध्यक्ष चुनी गई हैं। साल 1958 में गठितआईएमएफकी अध्यक्ष के रूप में चुनी जाने वाली पहली महिला बनकर हर्षवंती बिष्ट ने इतिहास रच दिया है। बता दें कि 62 वर्षीय हर्षवंती बिष्ट उत्तराखंड की एक प्रसिद्ध पर्वतारोही हैं, और वो 20 नवंबर को इस पद के लिए चुनी गई थीं। 20 नवंबर को हुए चुनाव में उन्हें 107 में से 60 वोट मिले थे।

हर्षवंती बिष्ट उत्तराखंड के पौड़ी जिले के गांव सुकई की रहने वाली हैं। हर्षवंती बिष्ट अध्यक्ष चुनने के बाद महिलाओं को इस क्षेत्र लाने के लिए काम करेंगी। पर्वतारोहण और अन्य साहसिक खेलों को बढ़ावा देने और अधिक महिलाओं को मैदान में लाना उनकी लिस्ट का मुख्य हिस्सा होगा। आइए जानते हैं कि हर्षवंती बिष्ट से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें-

अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित हो चुकी हैं हर्षवंती बिष्ट

पिछले कई सालों से हर्षवंती बिष्ट पर्वतारोहण के क्षेत्र में काम कर रही हैं। इस क्षेत्र में उनके काम को देखते हुए उन्हें अर्जुन पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। हर्षवंती बिष्ट ने मीडिया को बताया कि 'एक समय था, जब पर्वतारोहण जैसे साहसिक खेलों में उत्तराखंड शीर्ष पर हुआ करता था, लेकिन समय के साथ इसका परिदृश्य बदल गया है।' वहीं हर्षवंती ने साल 1975 में उत्तरकाशी स्थित नेहरू पर्वतारोहण संस्थान से पर्वतारोहण का कोर्स किया था। इसके बाद उन्होंने साल 1981 में नंदा देवी की चोटी पर चढ़ाई की थी, जिसकी वजह से उन्हें अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा हर्षवंती बिष्ट साल 1984 में माउंट एवरेस्ट के लिए एक अभियान दल की सदस्य भी रह चुकी हैं

प्रिंसिपल के पद से रिटायर हुईं हर्षवंती बिष्ट

अर्थशास्त्र की प्रोफेसर रहीं हर्षवंती बिष्ट हाल ही में उत्तराखंड के उत्तरकाशी के पीजी कॉलेज में प्रिंसिपल के पद से रिटायर हुई हैं। द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, अध्यक्ष चुने जाने के बाद हर्षवंती बिष्ट ने कहा 'c द्वारा साहसिक खेलों को लेकर अपनाई गई नीति हाल के दिनों में और अधिक मुश्किल हो गई है, जो इस क्षेत्र में शामिल होने वाले इच्छुक लोगों के उत्साह को कम कर रही है।' इसके साथ ही, उन्होंने आगे कहा कि 'वह वन्य और पर्यटन विभागों के साथ कॉर्डिनेट करती रहेंगी, ताकि पॉलिसी में बदलाव किए जाए। इससे अधिक से अधिक लोग पर्वतारोहण का हिस्सा बनने के लिए उत्साह दिखाएंगे।'

बहुत कम लोगों को पता होगा कि हर्षवंती बिष्ट पहले शिक्षण के क्षेत्र में आई और उसके बाद पर्वतारोहण की तरफ रुख किया। शिक्षा के क्षेत्र की वजह से उन्हें पर्वतारोही बनने का मौका मिला। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, एमए की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें गढ़वाल विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रवक्ता के रूप में काम करना शुरू कर दिया था। इस दौरान उन्होंने पर्यटन से पीएचडी करने का फैसला किया और फिर पहाड़ पर फोकस किया। पढ़ाई के दौरान उन्होंने नई जगहों को एक्सप्लोर किया। इसी के साथ उनका पर्वतारोहण का भी कार्य चल पड़ा था। धीरे-धीरे इस क्षेत्र में दिलचस्पी बढ़ती चली गई और फिर उसे नियमित अपने रूटीन में शामिल किया। बता दें कि शिक्षण के साथ-साथ वह पर्वतारोहण के लिए भी लगातार काम करती रहीं।

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